Arvind Kejriwal: केजरीवाल 21 दिन बाद आज फिर जाएंगे तिहाड़ जेल, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के लिए दी थी अंतरिम जमानत

Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज यानी 2 जून को फिर से वापस तिहाड़ जेल लौटना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चुनाव प्रचार के लिए तीन हफ्ते की अंतरिम जमानत दी थी।

Update:2024-06-02 11:17 IST

Arvind Kejriwal (Pic:Social Media)

Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज यानी दो जून को तिहाड़ जेल में सरेंडर करेंगे। वे अपने घर से राजघाट उसके बाद हनुमान मंदिर में दर्शन कर पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करने क बाद तिहाड़ जेल जाएंगे। जहां वे सरेंडर करेंगे। उनकी जमानत अवधि समाप्त होने के बाद कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के कारण केजरीवाल रविवार को वापस जेल लौटेंगे। वे 21 दिन से बाहर थे और लोकसभा चुनाव में अपनी आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे थे।सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत को मंजूरी दी थी। हालांकि, बाद में केजरीवाल ने मेडिकल ग्राउंड का हवाला देकर हफ्तेभर की और मोहलत देने की कोर्ट से मांग की है, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इस याचिका पर 5 जून तक के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया है।

55 दिन बाद मिली थी जमानत

दिल्ली के मुख्यमंत्र अरविंद केजरीवाल को 10 मई को 55 दिन बाद जमानत मिली थी और तिहाड़ जेल से बाहर आए थे। 21 मार्च को गिरफ्तारी के बाद से पहले वो 10 दिन तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में रहे। उसके बाद 1 अप्रैल को कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया था। 39 दिन उन्होंने तिहाड़ में बिताए थे। अब एक बार फिर केजरीवाल को तिहाड़ जेल में सरेंडर करना होगा।


दोपहर 3 बजे जाएंगे तिहाड़

केजरीवाल ने शुक्रवार को बताया था कि वो जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करने के लिए रविवार दोपहर 3 बजे के आसपास निकलेंगे। वे दोपहर 2 बजे सिविल लाइंस स्थित आवास से निकलेंगे। राजघाट हनुमान मंदिर में दर्शन करेंगे। उसके बाद पार्टी मुख्यालय जाएंगे जहां पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे और यहां से तिहाड़ जेल में सरेंडर करेंगे।


सुप्रीम कोर्ट ने 2 जून को सरेंडर करने का निर्देश दिया था

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी और उन्हें 2 जून को सरेंडर करने का निर्देश दिया था। शीर्ष कोर्ट का कहना था कि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और राष्ट्रीय दल के नेता हैं। उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं रहा है. ना ही वे समाज के लिए खतरा हैं। अंतरिम जमानत चुनावी कैंपेन के लिए दी जा रही है। 1 जून को आखिरी चरण की वोटिंग थी।


मेडिकल ग्राउंड पर मांगी जमानत

इससे पहले शनिवार को राउज एवेंन्यू कोर्ट ने आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल की अंतरिम जमानत की मांग करने वाली याचिका पर 5 जून तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे साफ हो गया था कि केजरीवाल रविवार को वापस तिहाड़ जेल जाएंगे। स्पेशल जज कावेरी बावेजा न यह उल्लेख करते हुए आदेश रख लिया कि आवेदन मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत देने के लिए है, ना कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत के विस्तार के लिए। वहीं, केजरीवाल के वकील ने शनिवार को ही आदेश पारित करने का आग्रह किया और तर्क दिया कि केजरीवाल को रविवार को सरेंडर करना है। हालांकि, जज बावेजा ने उनका आग्रह स्वीकार नहीं किया। वकील का कहना था कि केजरीवाल बीमार हैं और उन्हें इलाज की जरूरत है।हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय ने याचिका का विरोध किया और कहा, केजरीवाल ने तथ्यों को छिपाया है और अपने स्वास्थ्य समेत गलत बयान दिए हैं। जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि यदि किसी मेडिकल परीक्षण की जरूरत होगी तो केजरीवाल को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) या अन्य अस्पताल ले जाया जाएगा।

10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था...

सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि ईडी ने यह सही फैक्ट उठाया कि केजरीवाल को गिरफ्तार करने से पहले उन्होंने 9 बार नोटिस जारी किए थे। मगर वो पेश नहीं हुए। यह केजरीवाल से जुड़ा नकरात्मक पहलू है, मगर एक पहलू यह भी है कि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्र हैं और राष्ट्रीय राजनीतिक दल के नेता हैं। इसमें कोई संशय नहीं है कि उन पर लगे आरोप गंभीर हैं, लेकिन अभी उन्हें दोषी करार नहीं दिया गया है। इस मामले में अगस्त 2022 से जांच पेंडिंग है। जबकि केजरीवाल को 21 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया गया। उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका कोर्ट के समक्ष लंबित है, जिस पर कोर्ट को निर्णय सुनाना है। 21 दिन केजरीवाल के बाहर होने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।

वहीं, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा मेडिकल परीक्षण के लिए केजरीवाल की अंतरिम जमानत के सात दिन के विस्तार के अनुरोध को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद आप संयोजक ने दिल्ली की अदालत का रुख किया था।

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