Ajit Pawar: जानिए कौन हैं अजित पवार, जिन्होंने 20 की उम्र में राजनीति में रखा कदम और पहुंच गए आज इस मुकाम तक
Ajit Pawar: पांचवीं बार राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले अजित पवार ने दावा किया की उनके पास चाली विधायक हैं। 2019 के बाद से उन्होंने तीसरी बार राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है।
Ajit Pawar: अपने चाहने वालों और जनता के बीच दादा (बड़े भाई) के रूप में लोकप्रिय अजित पवार ने आज चैंकाने वाला फैसला लिया। महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार को उस समय बड़ा उलटफेर देखने को मिला जब एनसीपी के अजित पवार एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल में बतौर डिप्टी सीएम शामिल हो गए। इसके साथ ही अजित पवार ने यह भी दावा किया है कि उनके पास चालीस विधायकों का समर्थन है। उन्होंने आज पांचवीं बार राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। अजित के साथ उनके नौ विधायकों को भी मंत्री पद से नवाजा गया। इसमें दिग्गज नेता छगन भुगबल भी शामिल हैं। अजित पवार राज्य की राजनीति में बड़ा चेहरा हैं। राजनीति में उनकी मजबूत पकड़ है। यहां हम अजित पवार के बारे में जानते हैं कि कैसे आज वे इस मुकाम तक पहुंचे-
चाचा के नक्शेकदम पर चलते बने उप मुख्यमंत्री
22 जुलाई, 1959 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में अजित पवार का जन्म उनके दादा-दादी के यहां हुआ था। वे एनसीपी चीफ शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। उनके पिता वी शांताराम के राजकमल स्टूडियो में काम करते थे। अजीत पवार राजनीति में अपने चाचा के नक्शेकदम पर चलते हुए आए। राजनीति में कदम रखने के बाद से ही वे अपनी मजबूत पकड़ बनाते चले गए। वह एक राजनेता से आगे बढ़ते गए और आज पांचवीं बार महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री बन गए। अजित पवार अपने चाहने वालों और जनता के बीच दादा (बड़े भाई) के रूप में काफी लोकप्रिय हैं। अजित ने प्रारंभिक शिक्षा देओली प्रवर से और माध्यमिक शिक्षा महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड से की। पवार ने केवल माध्यमिक विद्यालय स्तर तक ही शिक्षा ग्रहण की है।
ऐसे तय किया राजनीतिक सफर और पहुंच गए बड़े मुकाम तक-
1982 में महज 20 साल की उम्र में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले अजित पवार आज बड़े मुकाम पर पहुंच गए हैं। उन्होंने राजनीति में पहले कदम के रूप में एक चीनी सहकारी संस्था के लिए चुनाव लड़ा। उसके बाद 1991 वह पुणे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बन गए और 16 साल तक इस पद पर रहे। 1991 में अजित बारामती लोकसभा सीट से सांसद चुने गए, लेकिन उन्होंने अपने चाचा शरद पवार के लिए यह सीट छोड़ दी, जो उस समय पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में रक्षा मंत्री थे।
राजनीति में एक बड़ा नाम बन चुके थे-
अजित पवार उसी साल विधानसभा का चुनाव लड़े और जीत कर विधानसभा पहुंचे। वे नवंबर 1992 से फरवरी 1993 तक कृषि और बिजली राज्य मंत्री रहे। इस समय तक अजित पवार राज्य की राजनीति में एक बड़ा नाम बन चुके थे। उसके बाद 1995, 1999, 2004, 2009 और 2014 में बारामती निर्वाचन क्षेत्र से वह लगातार विधानसभा का चुनाव जीतते रहे। वे अब तक कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे जिसमें कृषि, बागवानी और बिजली राज्य मंत्री, जल संसाधन मंत्री (कृष्णा घाटी और कोकन सिंचाई, तीन बार) और 29 सितंबर 2012 से 25 सितंबर 2014 महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री भी रहे।
पहले भी रह चुके हैं चार बार उप मुख्यमंत्री-
महाराष्ट्र में अजित पवार को एक महत्वाकांक्षी नेता के रूप में देखा जाता है। माना जाता है कि उनके पास मुख्यमंत्री बनने के वे सभी गुण हैं जो होने चाहिए। 2009 में हुए विधानसभा चुनावों के ठीक बाद अजित ने उप मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की। हालांकि, उस दौरान उनकी जगह छगन भुजबल को उप मुख्यमंत्री पद से नवाजा गया था।
फिर राजनीति में बदलाव होता है और नाटकीय रूप से दिसंबर 2010 में उनकी यह इच्छा पूरी हो जाती है वे पहली बार राज्य के उप मुख्यमंत्री बन जाते हैं।
2019 के बाद से तीन बार बने उप मुख्यमंत्री-
23 नवंबर, 2019 को जब भाजपा की ओर से देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया तो उस समय एनसीपी की ओर से अजित पवार ने शरद पवार से बगावत कर उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हालांकि, यह सरकार शपथ लेने के अस्सी घंटे बाद ही गिर गई थी। इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास अघाड़ी सरकार बनी तो अजित फिर से उप मुख्यमंत्री बने। रविवार को एक बार फिर से अजित पवार को एकनाथ शिंदे की सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाया गया।
विवादों से ऐसा है नाता-
अजित पवार का नाम जब भी सामने आता है तो विवाद भी उनके साथ ही चले आते हैं। मानों उनका विवादों से गहरा नाता हो। अजित पवार का सात अप्रैल 2013 को आया एक बयान काफी चर्चा में रहा। पुणे के पास इंदापुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि अगर बांध में पानी नहीं है तो क्या पेशाब करके भरें? उनके बयान की काफी आलोचना हुई थी। बाद में अजित पवार ने इसके लिए माफी मांगी थी और कहा था कि ये उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती थी।
सुप्रिया सुले को वोट नहीं दिया तो पानी बंद कर देंगे-
अजित पवार पर 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं को धमकाने के आरोप भी लगे थे। कहा गया कि उन्होंने गांव वालों को धमकी भी दी थी और बोला था कि अगर सुप्रिया सुले को वोट नहीं दिया तो वो गांव वालों का पानी बंद कर देंगे।
खैर जो भी हो अजित पवार ने राजनीति में आज जो मुकाम हासिल किया है उसके पीछे उनकी बड़ी मेहनत भी दिखती है। उनकी राजनीतिक समझ और राजनीति में मजबूत पकड़ आज उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाई है।