इंद्र कुमार का गुजराल डॉक्ट्रिन जिसने पड़ोसी देशों से संबंध निभाने की दिखाई राह

बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में जब दुनिया के विभिन्न देशों में अपने पड़ोसियों के साथ जानी दुश्मन का माहौल बना हुआ था सभी संपन्न और समृद्ध देश अपने पड़ोसी देशों को नीचा दिखाने में जुटे थे।

Update:2020-12-04 14:11 IST
इंद्र कुमार का गुजराल डॉक्ट्रिन जिसने पड़ोसी देशों से संबंध निभाने की दिखाई राह (Photo by social media)

लखनऊ: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने पड़ोसी देशों के साथ संबंध निभाने के लिए दुनिया को जो राह दिखाई । उसने पूरे विश्व में शांति स्थापना और विभिन्न देशों के अंतर संबंध की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया उनके विचार को बाद में पूरी दुनिया ने 'गुजराल मत' के रूप में स्वीकार किया। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की पाकिस्तान यात्रा भी गुजराल की सोच का विस्तार ही है।

ये भी पढ़ें:बच्ची पैदा हुई तो उम्र थी 27 साल,डॉक्टरों ने चिकित्सा के क्षेत्र में बनाया नया रिकॉर्ड

बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में जब दुनिया के विभिन्न देशों में अपने पड़ोसियों के साथ जानी दुश्मन का माहौल बना हुआ था सभी संपन्न और समृद्ध देश अपने पड़ोसी देशों को नीचा दिखाने में जुटे थे। तब रूस में भारत के राजदूत बनकर पहुंचे इंद्र कुमार गुजराल ने भारत समेत पूरी दुनिया को पड़ोसी देशों के साथ उदार एवं मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापना का सिद्धांत दिया।

अमेरिका और रूस के हितों के मद्दे नजर अपने पड़ोसियों के साथ व्यवहार ना करें

उन्होंने भारतीय राजनय को भी यह सिखाया कि वह अमेरिका और रूस के हितों के मद्दे नजर अपने पड़ोसियों के साथ व्यवहार ना करें उनके साथ ऐसे रिश्ते बनाए जो बड़े भाई या श्रेष्ठता के बोध से लगे हुए ना इसके बजाय पड़ोसी देशों के साथ उदारता पूर्ण व्यवहार किया जाए उनके साथ सद्भावना पूर्ण मैत्री संबंध बनाया जाए जिससे पड़ोसी देश के रहने वाले लोग भी सहयोगी भाव से कार्य करें पड़ोसी देशों में अविश्वास से असुरक्षा का भाव उत्पन्न होता है इससे दोनों देशों का रक्षा खर्च बढ़ता है इसका सीधा फायदा अमेरिका और रूस को हो रहा था।

उन्होंने कहा कि जब हम पड़ोसी देश पर दबाव पूर्ण राजनीति का प्रयोग करते हैं तो उस देश के नागरिकों में असंतोष और भय बढ़ता है । इसका खामियाजा देश सभी दूसरे देशों को भी भुगतना पड़ता है गुजराल के इस सिद्धांत को झप्पी पप्पी की राजनीति कहा गया। उनकी सलाह को मानकर ही भारत की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अफगानिस्तान के मामले में रूस का साथ देने से इंकार कर दिया और अफगानिस्तान में रूस के दखल को अमान्य करार दिया। इसका परिणाम बाद के वर्षों में अफगानिस्तान के साथ भारत के अच्छे संबंधों के रूप में दिखाई दिया।

गुजराल का जीवन परिचय

पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के पिता का नाम अवतार नारायण और माता का पुष्पा गुजराल था। उनका जन्म चार दिसंबर 1919 पाकिस्तान स्थित पंजाब में हुआ था। अप्रैल 1997 में उन्होंने भारत के 13वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। इससे पहले वह इंदिरागांधी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय समेत अन्य मंत्रालय संभाल चुके थे। उन्हें वीपी सिंह ने भी अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था। उनकी शिक्षा दीक्षा डीएवी कालेज, हैली कॉलेज ऑफ कामर्स और फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज लाहौर में हुई।

ये भी पढ़ें:गुजरात आग कांड से सतर्क हुई सरकार, अस्पतालों में बचाव के पुख्ता इंतजाम के निर्देश

अंग्रेजों भारत छोड़ो अभियान के दौरान वह जेल भी गए। हिन्दी, उर्दू और पंजाबी भाषा में निपुण होने के अलावा वे कई अन्य भाषाओं के जानकार भी थे और शेरो-शायरी में काफी दिलचस्पी रखते थे। गुजराल की पत्नी शीला गुजराल से उनकी मुलाकात कॉलेज के दिनों में हुई और बाद में दोनों ने विवाह कर लिया। गुजराल के छोटे भाई सतीश गुजराल एक विख्यात चित्रकार तथा वास्तुकार भी है। 30 नवम्बर 2012 को गुडग़ाँव के मेदान्ता अस्पताल में गुजराल का निधन हो गया।

रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News