PFI Ban: RSS फैला रहा देश में हिंदू सांप्रदायिकता, PFI की तरह इस पर भी लगे बैन, कांग्रेस सांसद ने की मांग

PFI Ban: पीएफआई को केंद्र सरकार ने 5 साल के लिए बैन कर दिया। इस पर केरल के मल्लपुरम सीट से कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश ने आरएसएस पर बैन लगाने की मांग की है।

Update:2022-09-28 12:52 IST

केरल के मल्लपुरम सीट से कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश ने कहा, PFI की तरह आरएसएस पर भी लगे बैन: Photo- Social Media

New Delhi: विवादास्पद कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को आज यानी बुधवार सुबह केंद्र सरकार (Central Government) ने 5 साल के लिए बैन (FPI Ban) कर दिया। केंद्र के इस कदम का जहां भाजपा (BJP) और अन्य हिंदू संगठनों के लोग स्वागत कर रहे हैं, वहीं मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने इसका समर्थन करते हुए सरकार से एक और मांग कर डाली। केरल के मल्लपुरम सीट से कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश (Kodikunnil Suresh Congress) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस पर बैन लगाने की मांग की है।

सुरेश लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के मुख्य सचेतक भी हैं। उन्होंने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) पर प्रतिबंध लगाना कोई उपाय नहीं है। हम आरएसएस पर भी बैन लगाने की मांग करते हैं। संघ पूरे देश में हिंदू सांप्रदायिकता फैला रहा है। पीएफआई और संघ दोनों एक समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। केवल पीएफआई पर ही क्यों ?

बता दें कि केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का सबसे मजबूत आधार है। पिछले दिनों एनआईए ने सबसे अधिक गिरफ्तारियां भी यहीं से की थी। संगठन पर यहां सांप्रदायिक गतिविधियों में लिप्त रहने के आरोप लग चुके हैं। छापे के विरोध में देशभर में पीएफआई द्वारा आयोजित किए गए बंद और विरोध – प्रदर्शनों का केरल में व्यापक असर देखा गया था।

देश में अघोषित आपातकाल

पीएफआई की राजनीतिक शाखा के तौर पर जाने जाने वाले सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए बयान जारी किया है। एसडीपीआई ने कहा कि देश में अघोषित आपातकाल लागू है। पीएफआई पर बैन लगाना भारतीय संविधान और लोकतंत्र पर हमला है।

खास बात ये है कि एक तरफ जहां केंद्र ने पीएफआई और उससे जुड़े अन्य संगठनों जैसे कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), जूनियर फ्रंट जैसे संगठनों पर बैन लगा दिया है, वहीं, एसडीपीआई पर कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि पीएफआई के कई सदस्य इस पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव मैदान में उतरते रहे हैं। 

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