Kota Student Suicide: सीएम गहलोत का बड़ा कदम, क्या रूक पाएगा कोटा में छात्रों के आत्महत्या का सिलसिला ?

Kota Student Suicide Case: कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी में लगे बच्चों द्वारा लगातार आत्महत्या किया जाने का मामला काफी समय से चर्चा का विषय रहा है। हालिया समय में इन घटनाओं में बढ़ोतरी के बाद राजस्थान सरकार ने इसमें दखल देने का निर्णय लिया है।

Update:2023-08-19 13:29 IST
Kota Coaching Student Suicide Case (Photo - Social Media)

Kota CoachingStudent Suicide Case: इंजीनियरिंग और मेडिकल ये दो ऐसे पारंपरिक क्षेत्र हैं, जहां लगभग हर मां-बाप अपने बच्चों को देखना चाहते हैं। ये डिग्री हासिल कर शानदार करियर बनाने के लिए जरूरी है कि उनका दाखिला प्रतिष्ठित कॉलेजों में हो। जहां सीटों की संख्या सीमित होती है और उम्मीदवार कहीं ज्यादा। ऐसे में इस गला काट प्रतिस्पर्धा में खुद को अव्वल बनाने के लिए स्कूली शिक्षा के दौरान ही बच्चों को तैयार किया जाने लगता है।

आईआईटी और मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन की लड़ाई जीतने के लिए देशभर के बच्चे एक ही शहर का रूख करते हैं, वह है कोटा। बच्चे काफी कम उम्र में राजस्थान के इस शहर से परिचित हो जाते हैं और 9वीं-10वीं आते-आते वो यहां पहुंच भी जाते हैं। कोटा का बड़ा कोचिंग बिजनेस अंपायर अपने आकर्षक विज्ञापनों की बदौलत बच्चों और उनके माता-पिता को इस बात के लिए तैयार कर लेता है कि मानो बस यहां प्रवेश पाते ही उनका सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित है।

इनमें कई बच्चे ऐसे होते हैं, जो अपनी मर्जी के विपरीत माता-पिता के दवाब में आते हैं। वहीं, कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो तमाम कोशिशों के बावजूद अपेक्षित परिणाम नहीं ला सकने के कारण निराश होते हैं। इस शहर की स्याह कहानी यहीं से शुरू होती है। ऐसे निराश और टूटे हुए बच्चों के लिए कोटा अब कब्रगाह बनता जा रहा है। वहां से लगातार आत्महत्या की खबरें आती रहती हैं। बीते 8 माह में 21 बच्चों ने अपने ही हाथों से अपने जीवन का गला घोंट दिया। कई जिंदगियां बर्बाद होने के बाद आखिरकार सरकार का ध्यान उस कठोर सिस्टम की तरफ गया है, जहां छात्रों का शोषण होता है।

राजस्थान सीएम ने कोचिंग संचालकों संग की बैठक

कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी में लगे बच्चों द्वारा लगातार आत्महत्या किया जाने का मामला काफी समय से चर्चा का विषय रहा है। हालिया समय में इन घटनाओं में बढ़ोतरी के बाद राजस्थान सरकार ने इसमें दखल देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कोटा में कोचिंग बिजनेस चला रहे सभी संचालकों से मीटिंग की और उनकी जमकर क्लास लगाई। उन्होंने कोचिंग संचालकों से दो टूक कहा कि आप अपराध कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने संस्थानों द्वारा वसूली जा रही मोटी फीस पर भी सवाल उठाए। अशोक गहलोत ने मौजूदा समय में बनने वाले आईआईटी इंजीनियरों पर भी प्रश्न खड़े करते हुए कहा कि आजकल के आईआईटीयन डिग्री लेने के बाद राजनेताओं के चक्कर लगाते रहते हैं। राजनीतिक दलों से संपर्क करते हैं। अपनी कंपनी बनाते हैं और सर्वे कराते हैं। मीटिंग में उन्होंने दिग्गज कोचिंग संस्थान एलन को निशाने पर लेते हुए पूछा कि आप के यहां सबसे अधिक सुसाइड क्यों हो रहे हैं। दरअसल, आंकड़ों के मुताबिक, इस साल कुल 21 आत्महत्याओं में से 14 मामले अकेले एलन के हैं।

सीएम ने दिया जांच कमेटी बनाने का आदेश

सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार की मीटिंग में बच्चों की सुसाइड की घटना में हो रही बढ़ोतरी पर चिंता प्रकट करते हुए कोचिंग संचालकों को फटकार लगाई। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों से इसे रोकने के लिए सुझाव देने के लिए एक कमेटी बनाने का आदेश दिया। इस कमेटी में कोचिंग संस्थानो के प्रतिनिधि, माता-पिता और डॉक्टर समेत तमाम हितधारक होंगे। कमेटी 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौपेंगी।

ऐसे में मुख्यमंत्री गहलोत की सख्ती कोटा में छात्रों के सुसाइड के मामले को रोक पाती है या नहीं ये आने वाले समय में मालूम पड़ जाएगा। फिलहाल कोटा जिला प्रशासन की ओर से कुछ एहतियात बरते जा रहे हैं। जिला प्रशासन ने छात्रों की खुदखुशी रोकने के लिए शहर के सभी पीजी, हॉस्टल और अन्य जगह जहां तैयारी करने वाले छात्र रहते हैं , वहां उनके कमरों में स्प्रिंग वाले पंखे लगाने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश की अवहेलना करने वाले पीजी और हॉस्टल संचालकों पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है।

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