बाहर से आए और ऐसे ली भारत की नागरिकता, जानिए पूरी जानकारी

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में प्रदर्शन हो रहा है। इस बीच सामने आया है कि करीब 4 लाख 17 लोगों ने भारत की नागरिकता ले ली है। एक मीडिया रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि समय समय पर पहले भी भारत सरकार के विशेष प्रावधानों के तहत विदेशी लोगों को भारत की नागरिकता दी गई है।

Update:2019-12-17 13:19 IST

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में प्रदर्शन हो रहा है। इस बीच सामने आया है कि करीब 4 लाख 17 लोगों ने भारत की नागरिकता ले ली है। एक मीडिया रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि समय समय पर पहले भी भारत सरकार के विशेष प्रावधानों के तहत विदेशी लोगों को भारत की नागरिकता दी गई है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 6 ऐसे व्यक्ति को भारत का नागरिक मानता है जो 19 जुलाई 1948 से पहले पाकिस्तान से भारत आकर बस गए थे। दूसरा, इस तिथि या इसके बाद कोई व्यक्ति पाकिस्तान से भारत आकर रजिस्टर्ड हो गया हो, बशर्तें वह छह माह तक भारत में रह चुका हो। 1964 से 2008 के बीच 4.61 लाख भारतीय मूल के श्रीलंकाई तमिलों को भारत की नागरिकता दी गई थी, इसके अलावा पिछले छह साल में 2830 पाकिस्तानी नागरिक, 912 अफगानी और 172 बांग्लादेशियों को भारत का नागरिक बनाया गया।

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2014 में भारत और बांग्लादेश के बीच बॉर्डर एग्रीमेंट हुआ था और उस दौरान 50 एन्क्लेव को बांग्लादेश से भारत में शामिल किया गया था। इसकी वजह से 14864 बांग्लादेशी नागरिकों को भारत की नागरिका प्रदान की गई थी।

मीडिया रिपोर्ट में गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि नागरिक संशोधन बिल 2016 से पब्लिक डोमेन में है। इसे संसद की लोकसभा एवं राज्यसभा की 30 सदस्यीय समिति द्वारा क्लीयर किया गया था। मौजूदा कानून भी विस्तृत रूप में उसी बिल पर आधारित है। भारत सरकार ने 2015-16 में कानूनी प्रावधानों में उचित बदलाव कर उन विदेशी नागरिकों की भारत में लीगल एंट्री सुनिश्चित की थी, जो तीन देशों के छह अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित थे।

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प्रावधान के मुताबिक धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार इन लोगों को दिसंबर 2014 तक भारत में आ जाना था। भारत सरकार ने इस श्रेणी के कई लोगों के लिए लंबी अवधि का वीजा योजना भी शुरू की थी। नागरिक संशोधन कानून के तहत अब इन लोगों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी, बशर्ते वे नागरिकता लेने की सभी योग्यताएं पूरी करते हों, जिनके आधार पर वे 31 दिसंबर 2014 से पहले माइग्रेट होकर भारत में आए थे।

1964 से 2008 के बीच 4.61 लाख भारतीय मूल के तमिलों को भारत की नागरिकता प्रदान की गई थी। इसके अलावा पिछले छह साल में 2830 पाकिस्तानी नागरिक, 912 अफगानी और 172 बांग्लादेशियों को भारत की मागरिकता दी गई। इन सभी को केंद्र सरकार द्वारा समय समय पर बनाए जाने वाले विशेष प्रावधानों के तहत नागरिकता प्रदान की गई है। तमिलों को इतनी बड़ी संख्या में इसलिए नागरिकता मिल सकी, क्योंकि 1964 और 1974 में भारत श्रीलंका के बीच अंतरराष्ट्रीय समझौता हुआ था।

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वर्तमान में 95 हजार श्रीलंकन शरणार्थी तमिलनाडु में रह रहे हैं। उन्हें राशन कार्ड सहित दूसरी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। यह इसलिए किया गया कि वे समय पर भारतीय नागरिकता लेने के लिए आवेदन कर सकें। 1962 से 1978 के बीच दो लाख से अधिक भारतीय मूल के वे लोग जो बर्मा में रहते थे, उन्हें भारत में बसाया गया। वजह, उन लोगों का बर्मा में बड़ा कारोबार था, लेकिन उस पर वहां की सरकार ने जबरन कब्जा कर लिया। इन लोगों को भारत लाकर विभिन्न हिस्सों में रहने की इजाजत दी गई।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सूत्र बताते हैं कि मौजूदा नागरिक संशोधन कानून बाहर से आए किसी धार्मिक समुदाय को निशाना नहीं बनाता। ये उन लोगों को केवल एक तरीका बताता है, जो अवैध नागरिक शब्द साथ लगने का दर्द सह रहे थे। वे लोग अब योग्यताएं पूरी कर भारत की नागरिकता ले सकते हैं।

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