पटना: पटना के गांधी मैदान में आज (27 अगस्त) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की 'देश बचाओ-भाजपा भगाओ' रैली होने जा रही है। इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। राज्य में 20 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार टूटने और लालू परिवार पर लगे 'महा घोटालों' के आरोपों के बाद इसे राजद के शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा रहा है। राजद की यह रैली राजनीतिक नजरिए से भी काफी अहम है, इसीलिए इस पर देशभर की नजरें टिकी हैं।
जानकर मानते हैं, कि लालू यादव अपनी सियासी ताकत का प्रदर्शन कर देशभर में बीजेपी विरोधी पार्टियों को गोलबंद करने की कोशिश करेंगे। साथ ही अपने बेटे और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बीजेपी विरोधी चेहरे के रूप में प्रजेंट कर सकते हैं।
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शरद-अखिलेश का अगला भविष्य तय करेगी रैली
लालू यादव की इस रैली में जदयू के बागी शरद यादव के अगले कदम का इंतजार सबको है। इस बीजेपी विरोधी रैली में शामिल होकर वह जदयू की ओर से घोषित कार्रवाई को चुनौती देंगे। वहीं, इसी रैली में भी समाजवादी पार्टी के विभाजन की भी पटकथा लिखी जाएगी। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव इस रैली में शिरकत कर रहे हैं। वहीं, अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव उनके इस कदम के खिलाफ थे।
सोनिया-राहुल ने झाड़ा पल्ला
जबकि, नीतीश कुमार की सरकार में 20 महीनों तक सत्ता सुख भोगने वाली कांग्रेस खुद को एक बार फिर हाशिए पर पा रही है। कांग्रेस उपाध्यक्ष सोनिया गांधी की बीमारी और राहुल की विदेश यात्रा का हवाला देकर कांग्रेस ने लालू की इस रैली से एक तरह से पल्ला झाड़ लिया है। लेकिन आलाकमान के इस फैसले ने बिहार कांग्रेस को संशय में ला खड़ा किया है। हालांकि, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की गैरमौजूदगी में पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और सीपी जोशी इस रैली में शामिल होंगे।
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ममता को केंद्र पर हमला का एक और मौका
केंद्र की बीजेपी सरकार से लगातार उलझती रही पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इस रैली को लेकर काफी उत्साहित हैं। वह लगातार एक ऐसा मौका ढूंढती रही हैं जो उन्हें पीएम मोदी और उनकी सरकार पर हमला करने के मौके दे। ममता तीसरा मोर्चा की भी अहम सदस्य के रूप में सामने आती रही हैं।
ये करेंगे रैली में शिरकत
राष्ट्रीय जनता दल की इस रैली में ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, गुलाम नबी आजाद, सीपी जोशी और एनसीपी के तारिक अनवर सहित विभिन्न दलों के करीब 21 नेताओं ने आने पर सहमति दी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी एवं बसपा प्रमुख मायावती को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन अन्य कारणों से उन्होंने आने में असमर्थता जताई।
लालू का है यह पुराना हथकंडा
वहीं, इस रैली का मुख्य चेहरा होंगे तेजस्वी यादव। नीतीश सरकार में उप मुख्यमंत्री रहते भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद लालू यादव की मंशा बीजेपी विरोधी नेताओं को एक मंच पर लाकर अपनी ताकत दिखाने की है। भीड़ के जरिए सियासी ताकत के प्रदर्शन का यह उनका पुराना हथकंडा रहा है। 90 के दशक में बिहार में अपनी सरकार के दौरान गरीब महारैला के आयोजनों के जरिए लालू प्रसाद कई बार ऐसा कर चुके हैं। इसीलिए जब बेटे के साथ भी वैसी ही स्थिति आई तो फिर वही हथकंडा अपनाया गया। लालू इस रैली के जरिए अपने खोए जनाधार को पाने की कोशिश में जुटे हैं।
मंच से दिखाएं बेनामी संपत्ति के दस्तावेज
लालू की इस रैली पर जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा, कि '27 अगस्त को प्रस्तावित 'अवैध संपत्ति बचाओ रैली' में गांधी मैदान में मंच पर एक शोकेस अवश्य बनाया जाए, जिसमें आपके परिवार द्वारा अर्जित नामी-बेनामी संपत्ति से संबंधित दस्तावेजों की छायाप्रति मौजूद हो, ताकि जनता उसे देख सके।'
'बेनामी संपत्ति बचाओ' फ्लॉप रैली
वहीं, लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के खुलासे करने वाले बीजेपी नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा, कि 'एक ओर जहां बिहार के करोड़ों की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। उनके सामने खाने और रहने की समस्या उत्पन्न हो चुकी है, लेकिन गरीबों का मसीहा बताने वाले लालू को इसकी कोई फिक्र नहीं है। भ्रष्टाचार के मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद 'बेनामी संपत्ति बचाओ' फ्लॉप रैली के लिए गांधी मैदान का चक्कर लगाते रहे हैं।'