27 हाथियों का ये गैंग: किया गजब काम, हर गांव में करवाई शराबबंदी

छत्‍तीसगढ़ राज्य के कई जिलों में हाथियों की दहशत है। यहां जो काम सरकारी अमला नहीं कर पाए वो काम गजराज ने कर दिखाया है। हाथियों की धमक ने धमतरी जिले के कई गांवों में शराबबंदी करा दी है, जिसके चलते कई गांवों में महुआ शराब बनाने के लिए न चूल्हों पर हंडी चढ़ रही है और न ही गलियों में महुआ शराब की महक आ रही है।

Update: 2021-02-11 04:36 GMT
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रायपुर: छत्‍तीसगढ़ राज्य के कई जिलों में हाथियों की वजह से दहशत का माहौल है। यहां जो काम सरकारी अमला नहीं कर पाए वो काम गजराज ने कर दिखाया है। हाथियों की धमक ने धमतरी जिले के कई गांवों में शराबबंदी करा दी है, जिसके चलते कई गांवों में महुआ शराब बनाने के लिए न चूल्हों पर हंडी चढ़ रही है और न ही गलियों में महुआ शराब की महक आ रही है। अब गांव वालों ने हाथियों के खौफ से महुआ शराब से तौबा कर ली है।

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लोगों के घरों पर धावा बोल रहा हाथियों का गिरोह

दरअसल, महुआ का महक मिलते ही हाथियों का गिरोह यहां के लोगों के घरों पर धावा बोल देता है। कच्ची दीवारें तोड़कर महुआ खा जाते हैं। अब ऐसे में गांव वालों ने परिवार और मकान बचाने के लिए महुआ शराब से तौबा कर ली है। लोगों के पास विकल्प भी नहीं है। इन्हें डर है कि कहीं हाथी महुए की महक से गांवों में न धमक जाएं। इन दिनों हाथियों के दो दल धमतरी जिले के नगरी और धमतरी अनुविभाग (ब्लाक) में डेरा डाले हुए हैं।

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दहशत में लोगों ने शराब पीना भी छोड़ दिया

बताया जा रहा है कि 27 हाथियों का दल यहां के जंगल में घूम रहा है। हाथियों का यह गिरोह दो महीने से यहां डटा है। अत्यंत पिछड़ी जनजाति में शामिल कमार भी यहां रहते हैं। ग्रामीणों में हाथियों की इतनी दहशत है कि अपने परिवार, मकान व फसल को बचाने के लिए महुए की शराब बनाना तो दूर उन्होंने शराब पीना भी छोड़ दिया है। गांव में कोई महुआ शराब बना भी नहीं रहा है। याद रहे छत्तीसगढ़ के आबकारी कानून में कमारों को स्वयं के उपयोग के लिए सीमित मात्रा में शराब बनाने की इजाजत है।

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