Parliament Special Session: लोकसभा चुनाव और उसके एजेंडे निकलने वाले हैं इस विशेष सत्र से
Parliament Special Session: जनसंघ से लेकर भाजपा तक के सभी एजेंडों को इस विशेष सत्र में पेश किये जाने की लगाई जा रहीं अटकलें भी बेबुनियाद नहीं निकलने वाली है।
Parliament Special Session: संसद के विशेष सत्र को सत्ता पक्ष भले ही सात बिलों से जोड़ कर पेश कर रहा हो। पर जिस तरह सांसदों को एक हफ़्ते पहले ही ग्रुप फ़ोटो के लिए कहा गया था उससे साफ़ है कि सरकार चुनाव में जाने के मूड में है। यह चुनावी मूड का ही तक़ाज़ा है कि गणेश चतुर्थी के दिन नये संसद में इस लोकसभा के सभी सांसदों को पाँच दिन उपस्थित रहने का अवसर दिया जा रहा है। जनसंघ से लेकर भाजपा तक के सभी एजेंडों को इस विशेष सत्र में पेश किये जाने की लगाई जा रहीं अटकलें भी बेबुनियाद नहीं निकलने वाली है। इसी सत्र में भाजपा अपने लिए चुनावी एजेंडा, चुनावी स्लोगन और चुनावी ज़मीन तैयार करने का फ़ार्मूला पूरा करने वाली है।
संसद भले ही वन नेशन वन इलेक्शन का फ़ैसला हाल फ़िलहाल न ले पाये पर इतना तो तय है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के चुनाव के साथ ही लोकसभा के चुनाव होने तक़रीबन तय हैं। इसके लिए राज्यों के चुनाव को थोड़ा आगे पीछे भले ही करना पड़े। इसकी वजह है सरकार ने इस सत्र में सात बिल पेश करने की बात कही है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष से देखें तो सात में चार बिल का रिश्ता चुनाव से जुड़ता है। इनमें तीन बिल अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से संबंधित हैं। एक बिल का रिश्ता सीनियर सिटिज़न से जुड़ता है। यही नहीं, चुनाव आयोग बहुत पहले ही कह चुका है कि वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए वह पूरी तरह से तैयार है।
इसी सत्र में मोदी सरकार समान नागरिक संहिता और महिला आरक्षण जैसे मुद्दों को इस कदर धार देगी कि या तो इनके पूरा होने का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा। या फिर इनके लागू न करने का ठीकरा विपक्ष पर फूट जायेगा। सनातन के सवाल पर मोदी इंडिया एलाएंस को विपक्ष को नसीहत देंगे।
प्रधानमंत्री का यह कहना कि सत्र छोटा है पर बहुत मूल्यवान है।यह कहना कि नये संसद भवन से नये संकल्प निकलेंगें। यह कहना कि ऐतिहासिक निर्णयों का सत्र है। यह बताता है कि मोदी सरकार ने भाजपा और जनसंघ के मुद्दों की ओर मुँह कर लिया है। महिला आरक्षण को पास कराने में सरकार चूकने वाली नहीं है। जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर को जनता के लिए खोला जाना है। यदि लोकसभा चुनाव के बीच यह कार्यक्रम पड़ जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए । 1991 में एक सांसद प्राइवेट मेंबर बिल लाये थे। जिसके मुताबिक़ 1947 को जिस धर्म स्थल की जो यथा स्थिति थी, वह बनाये रखी जायेगी।
दो महीने बाद दिसंबर ,1991 में तत्कालीन गृह मंत्री एस बी चौहान ने प्राइवेट मेंबर बिल को सरकारी बिल के रूप में तब्दील कर संसद में पेश कर दिया।यह दिसंबर में पास हो गया। तत्कालीन राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर भी कर दिये। इस बिल पर भी सरकार क़वायद करती नज़र आये तो हैरानी होनी नहीं चाहिए। नये संसद में भाजपा नेता और प्रधानमंत्री का दिया हुआ भाषण आने वाले चुनाव में मील का पत्थर न केवल साबित होगा। बल्कि आगामी चुनाव में घर घर तक पहुँचाने की कोशिश की जायेगी।