पंजाब के कसेल में है राम जी का ननिहाल, ग्रामीण गर्व से सुनाते हैं श्री राम कथा
त्रेता युग में जिस कोशल नगरी का उल्लेख किया गया है वह कोशल देश आज का कसेल ही है। ग्रामीणों का दावा है कि इसी शिव मंदिर में माता कौशल्या पूजा करने आती थीं।
दुर्गेश पार्थसारथी
अमृतसरः इन दिनों भगवान श्री राम और उनसे जुड़े स्थलों की चर्चा खूब हो रही है। रामायणकाल से जुड़े इन्हीं पौराणिक स्थलों में से एक स्थान है 'जनेर', जिसे भगवान श्री राम का ननिहाल बताया जाता है। सूबा पंजाब के तरनतारन जिले में भारत-पाक सीमा पर स्थित गांव जनरे के बारे में स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यही वो प्राचीन कौशन देश है, जिसका उल्लेख श्री रामचरित मानस में किया जाता है। हलांकि इतिहासकार ग्रामीणों के इस दावे को तर्कसंगत नहीं मानते।
शिवमंदिर में माता कौशल्या करती थीं पूजा
अमृतसर से करीब 22 किमी की दूरी पर स्थित है गांव कसेल। यहां स्थित प्राचनी शिव मंदिर ग्रामीणों के तर्क का आधार है। उनका कहना है कि त्रेता युग में जिस कोशल नगरी का उल्लेख किया गया है वह कोशल देश आज का कसेल ही है। ग्रामीणों का दावा है कि इसी शिव मंदिर में माता कौशल्या पूजा करने आती थीं। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष कहते हैं इस शिव मंदिर का निमार्ण 2050 साल पहले महाराजा विक्रमा दित्य ने करवाया था।
महराजा रणजीत सिंह ने दान में दी थी जमीन
जनश्रुतियों के अनुसार इस मंदिर में मराजा रणजीत सिंह ने भी पूजा अर्चना की थी। कमेटी के सदस्यों ने दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि दान में जमीन और 1800 रुपये सालाना जागीर लगाई थी। मंदिर के पास ही स्थित एक प्राचानी तालाब है। कहा जाता है कि इसे विक्रमादित्य ने खुदवाया था।
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रामायण में कौशल देश
हलांकि कुछ इतिहासकार वर्तमान छत्तीसगढ़ को कौशल देश मानते हैं। उनके अनुसार कौशल्या इसी छत्तीसगढ़ की राजकुमारी थीं। जिनका विवाह अयोध्या नरेश महाराजा दशरथ से हुआ था। वहीं श्री वाल्मीकि रामायण में कौशल देश को अयोध्या के पास बताया गया है।
कोसलो नाम मुदित: स्फीतो जनपदो महान।
निविष्ट: सरयूतीरे प्रभूत धनधान्यवान् ॥
अर्थात कोशल में उत्तर प्रदेश के फैजाबाद , गोंडा और बहराइच के क्षेत्र शामिल थे।
दक्षिण कौशल की थीं कौशल्या
इतिहासकारों का मत है कि कोशल या कौशल देश उत्तर और दक्षिण कोशल में बंटा हुआ था। संभवत: भगवान श्री की माता कौशल्या दक्षिण कोशल (रायपुर-बिलासपुर के ज़िले, छत्तीसगढ़) की राजकुमारी थीं। वहीं महाकवि कालिदास ने रघुवंश में अयोध्या को उत्तर कोसल की राजधानी कहा है।
यह भी हो सकता है
कसेल के कुछ लोगों का कहना है कि इतिहास कुछ भी कहे लेकिन माता कौशल्या का पुश्तैनी गांव कसेल ही है। वे तर्क को तर्कसंगत बनाते हुए कहते हैं 'हो सकता है पुराने समय में कोई ऐसी प्राकृतिक आपदा या कोरोना से बड़ी महामारी आई हो जिसकी वजह से यह नगर उजड़ गया हो। और कसेल के राजा व कौशल्या के पिता राजा सुकौशल ने कहीं और जा कर इसी नाम से दूसरा नगर बसाया हो। जिसे आज के छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में बताया जा रहा है।
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शोध का विषय हो सकता है जनेर और कसेल
इतिहासकार डॉ: ब्रह्मानंद सिंह कहते हैं कि आस्था को अनुसंधान और अन्वेषण की जरूरत नहीं होती। आस्था तो आस्था है। इतना जरूर है कि इतिहास के छात्रों के लिए कसेल शोध का विषय हो है।
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