मेड इन इंडिया वैक्सीन की दुनिया दीवानी, इन 92 देशों ने साधा भारत से संपर्क
अभी तक 92 देशों ने मेड इन इंडिया वैक्सीन के लिए भारत से संपर्क साधा है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि भारत में निर्मित वैक्सीन का अभी तक कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखा है। इससे वैक्सीन हब के रूप में भारत की साख को पूरी दुनिया में बड़ी कामयाबी हासिल हुई है।
नई दिल्ली: कोरोना वैक्सीन के मामले में भारत को दुनिया में बड़ी कामयाबी मिलती दिख रही है। देश में 16 जनवरी को सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद दुनिया के तमाम अन्य देश भी मेड इन इंडिया वैक्सीन के लिए बेचैन हो उठे हैं। दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है। अभी तक 92 देशों ने मेड इन इंडिया वैक्सीन के लिए भारत से संपर्क साधा है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि भारत में निर्मित वैक्सीन का अभी तक कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखा है। इससे वैक्सीन हब के रूप में भारत की साख को पूरी दुनिया में बड़ी कामयाबी हासिल हुई है।
भारत ने की पड़ोसी देशों की मदद
भारत की ओर से सद्भावना के तौर पर नेपाल, बांग्लादेश, भूटान मालदीव आदि पड़ोसी देशों को कोरोना की वैक्सीन भेजी गई है। भारत ने पड़ोसी देश बांग्लादेश से दोस्ती निभाते हुए उसे वैक्सीन की बीस लाख डोज भेजी है, जबकि नेपाल सरकार के हालिया भारत विरोधी बयानों की अनदेखी करते हुए भारत ने नेपाल की भी मदद की है। नेपाल को वैक्सीन की दस लाख खुराकें भेजी गई हैं। खास बात यह है कि दोनों देशों को वैक्सीन की यह खुराक पूरी तरह मुफ्त दी गई है।
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म्यांमार को भी जल्द भेजी जाएगी खुराक
भारत की ओर से जल्द ही म्यांमार और सेशेल्स को भी वैक्सीन की खुराक भेजी जाएगी। भारत की ओर से भूटान को डेढ़ लाख और मालदीव को वैक्सीन की एक लाख खुराक भेजी गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बाबत ट्वीट करते हुए बताया कि भारत की ओर से सबसे पहले नेपाल को वैक्सीन भेजी गई। उन्होंने बांग्लादेश के साथ वैक्सीन मैत्री को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। भारत ने पहले ही घोषणा की थी कि वह अपने पड़ोसी देशों भूटान, मालदीव, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश और सेशेल्स को वैक्सीन के मामले में पूरी मदद करेगा।
इन देशों की भी मदद करेगा भारत
जानकारों का कहना है कि भारत की ओर से श्रीलंका, अफगानिस्तान और मॉरीशस को भी वैक्सीन की आपूर्ति की जाएगी। अभी तक वहां की नियामक संस्थाओं ने भारतीय वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है। यह मंजूरी मिलते ही भारत की ओर से इन देशों को भी वैक्सीन की मदद दी जाएगी।
कई देशों ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी
दुनिया के कई अन्य देशों ने भी भारतीय वैक्सीन के प्रति दिलचस्पी दिखाई है। डोमिनिकन रिपब्लिक के प्रधानमंत्री रूजवेल्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर भारत में निर्मित कोरोना वैक्सीन के प्रति दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने अपने पत्र में वैक्सीन भेजने का अनुरोध किया है ताकि देश के लोगों को महामारी से सुरक्षित किया जा सके।
ब्राजील के राष्ट्रपति जायल बोलसोनारो ने भारत से वैक्सीन लाने के लिए विशेष विमान भेजा है। वे मोदी को पत्र लिखकर पहले ही वैक्सीन भेजने का अनुरोध कर चुके हैं। बोलीविया की सरकार ने भी वैक्सीन के मामले में पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट के साथ पचास लाख डोज का करार किया है। दुनिया के कई अन्य देशों ने भी भारत से वैक्सीन के मामले में मदद करने की गुहार लगाई है।
इन दो वैक्सीनों की बढ़ी मांग
देश में राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान की शुरुआत पहले ही हो चुकी है। पिछले शनिवार को शुरू हुए अभियान के तहत कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है। इसमें कोविशील्ड का विकास ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनका ने किया है और इसका उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट में किया जा रहा है। भारत की दूसरी वैक्सीन कोवैक्सीन पूरी तरह स्वदेशी है और भारत बायोटेक ने आईसीएमआर के साथ मिलकर इसका निर्माण किया है।
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दस लाख लोगों को लग चुका है टीका
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत 6 दिनों में 10 लाख से अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है। टीकाकरण अभियान के सुचारू रूप से संचालन के लिए प्रधानमंत्री लगातार संवाद में जुटे हुए हैं और इसी के तहत वे शुक्रवार को वाराणसी में कोविड-19 टीकाकरण के लाभार्थियों से संवाद करेंगे। उन्होंने खुद ट्वीट कर इस बाबत जानकारी दी है।ञ टीकाकरण के पहले चरण में तीन करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों को टीका लगाया जाएगा।
अंशुमान तिवारी