Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर घमासान, 26 सीटों पर भाजपा की दावेदारी से सहयोगी दलों में मचा हड़कंप
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में अभी सीट बंटवारे को लेकर चर्चा शुरू नहीं हो सकी है मगर भाजपा की ओर से 48 में से 26 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए जाने के बाद सहयोगी दलों में हड़कंप मचा हुआ है।
Maharashtra Politics: देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने भीतर ही भीतर तैयारियां शुरू कर रखी हैं। महाराष्ट्र में भी सभी दल लोकसभा चुनाव के लिए कमर कसने में जुटे हुए हैं। महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में अभी सीट बंटवारे को लेकर चर्चा शुरू नहीं हो सकी है मगर भाजपा की ओर से 48 में से 26 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए जाने के बाद सहयोगी दलों में हड़कंप मचा हुआ है।
भाजपा का कहना है कि वह महाराष्ट्र में 26 सीटों पर दावेदारी करेगी जबकि बाकी 22 सीटें सहयोगी दलों शिवसेना के शिंदे गुट और एनसीपी के अजित पवार गुट को दी जाएगी। शिंदे गुट शिवसेना और अजित पवार गुट एनसीपी पर प्रभुत्व के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने में जुटे हुए हैं और दोनों दलों के लिए भाजपा की दावेदारी से निपटना आसान नहीं माना जा रहा है।
सहयोगी दलों को मंजूर नहीं बीजेपी की दावेदारी
वैसे भाजपा की ओर से 26 सीटों पर की जा रही दावेदारी सहयोगी दलों को नागवार गुजरी है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शिवसेना शिंदे गुट से जुड़े हुए एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि निश्चित रूप से भाजपा को गठबंधन का बड़ा पार्टनर माना जा सकता है,लेकिन वह अपने फैसलों को सहयोगी दलों पर नहीं थोप सकती। हमारी ओर से मदद दिए जाने के बाद ही भाजपा को सत्ता हासिल करने में कामयाबी मिली है।
एनसीपी के अजित पवार गुटके एक नेता ने भी कहा कि गठबंधन में थोड़ा बहुत ऊपर-नीचे चलता है, लेकिन यह भी मानना चाहिए कि यहां हर कोई एक समान है। भाजपा के शीर्ष नेताओं को सहयोगियों के महत्व की पूरी जानकारी है। सहयोगी दलों के नेताओं के इन बयानों से साफ हो गया है कि महाराष्ट्र में सीट बंटवारे की राह आसान नहीं होगी।
फडणवीस ने दिए सहयोगी दलों से चर्चा के संकेत
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम की कमान देवेंद्र फडणवीस के हाथों में है जो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। गठबंधन की मजबूरियों के चलते भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर उन्होंने डिप्टी सीएम का पद संभाला था। महाराष्ट्र में सहयोगी दलों को साधने में देवेंद्र फडणवीस ही सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सीट बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों की घबराहट देखने के बाद उन्होंने रुख नरम करते हुए सहयोगी दलों के साथ चर्चा के संकेत दिए हैं।
हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आमतौर पर हर दल को पिछले चुनाव में लड़ी गई सीटों को बरकरार रखने का हक होता है मगर सीटों के बंटवारे पर आखिरी फैसला शिंदे और अजित पवार गुट से चर्चा के बाद ही किया जाएगा।
गठबंधन में मतभेद से इनकार
भाजपा के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी सीटों को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में किसी भी प्रकार के मतभेद की संभावना से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे,डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार सभी अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे सभी नेताओं के बीच पूर्ण सामंजस्य है और सीटों को लेकर किसी भी प्रकार के मतभेद की कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में आखिरी फैसला व्यापक चर्चा और आम सहमति बनने के बाद ही लिया जाएगा।
भाजपा इसलिए कर रही दावेदारी
भाजपा की ओर से सीटों को लेकर की जा रही दावेदारी अनायास नहीं है। दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि पार्टी ने 23 लोकसभा सीटें सहयोगी दल शिवसेना के उद्धव गुट के लिए छोड़ दी थीं। 2019 की 25 सीटों के अलावा पार्टी ने पालघर लोकसभा सीट पर भी नजरें गड़ा रखी हैं जिसे पार्टी अपना पारंपरिक चुनाव क्षेत्र मानती रही है। पिछली बार भाजपा ने इस सीट पर शिवसेना को लड़ने का मौका दिया था।
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को महाराष्ट्र में बड़ी कामयाबी मिली थी। पार्टी ने 25 में से 23 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा को सिर्फ बारामती और चंद्रपुर लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। बारामती को पवार कुनबे का गढ़ माना जाता है और ऐसे में भाजपा इस बार यह सीट पवार गुट के लिए छोड़ सकती है।
सीट बंटवारे को लेकर क्यों फंसा हुआ है पेंच
सीट बंटवारे का मसला इसलिए भी पेचीदा माना जा रहा है क्योंकि शिंदे गुट में अविभाजित शिवसेना के 18 में से 13 सांसद शामिल हैं। इसलिए माना जा रहा है कि शिंदे गुट इन सीटों पर अपनी दावेदारी छोडने के लिए तैयार नहीं होगा। शिंदे गुट की ओर से भी इन सीटों पर दावेदारी किए जाने की संभावना जताई जा रही है। जानकारों का मानना है कि शिंदे गुट अजित पवार गुट के लिए सिर्फ आठ सीटें छोड़ने के लिए तैयार होगा जबकि माना जा रहा है कि अजित पवार 12 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं होंगे।
एनसीपी ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और पार्टी चार सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी। माना जा रहा है कि पवार इस बार कुछ नई सीटों पर दावेदारी जताने के लिए दबाव बना सकते हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में सीटों को लेकर आने वाले दिनों में घमासान और तेज हो सकता है।