Maharashtra Politics News: पूरी तरह गच्चा खा गए शरद पवार, शपथ से दो दिन पहले ही हो गया था बड़ा खेल, अब दिल्ली में बैठक
Maharashtra Political Crisis Update: पार्टी के चुनाव निशान पर दावेदारी के लिए दोनों गुट चुनाव आयोग पहुंच चुके हैं। अजित गुट की ओर से अपने समर्थन में 40 से अधिक विधायकों और सांसदों के हलफनामे आयोग को सौंपे गए हैं।
Maharashtra Political Crisis Update: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) पर कब्जे की जंग में बुधवार को हुए पहले शक्ति परीक्षण में अजित पवार अपने चाचा शरद पवार पर भारी पड़ते दिखे। बुधवार को दोनों गुटों की हुई अलग-अलग बैठक में अजित पवार के साथ ज्यादा विधायक दिखे। अब पार्टी और चुनाव निशान पर कब्जे की जंग चुनाव आयोग पहुंच गई है। अब दोनों गुट आगे की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।
बुधवार को पहले शक्ति परीक्षण में पिछड़ने के बाद अब सबकी निगाहें शरद पवार की अगली चाल पर टिकी हुई हैं। महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार ने आज दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। एनसीपी में हुई बगावत के संबंध में एक दिलचस्प बात यह भी उजागर हुई है कि अजित पवार ने शपथ लेने से दो दिन पहले ही चुनाव आयोग के समक्ष पार्टी पर दावा ठोक दिया था। 30 जून को हुई एक बैठक के दौरान शरद पवार को हटाकर अजीत पवार को अध्यक्ष भी चुन लिया गया था। अजित पवार की ओर से उठाए गए इस कदम की शरद पवार को भनक तक नहीं लग सकी थी।
शक्ति परीक्षण में शरद पर भारी पड़े अजित पवार
एनसीपी में बगावत के बाद बुधवार का दिन काफी गहमागहमी भरा रहा। दोनों गुटों की अलग-अलग बैठक के दौरान शरद पवार और अजित पवार ने एक दूसरे पर जमकर हमले किए पहले। शक्ति परीक्षण के दौरान अजित पवार अपने चाचा शरद पवार पर भारी पड़े। अजित पवार गुट की बैठक के दौरान एनसीपी के 53 में से 32 विधायक मौजूद रहे। हालांकि अजित पवार की ओर से 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया जा रहा है। अजित पवार गुट की बैठक के दौरान शरद पवार को हटाकर उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुन लिया गया।
दूसरी ओर शरद पवार गुट की बैठक के दौरान 16 विधायक, तीन विधान परिषद सदस्य और चार सांसद मौजूद थे। बुधवार की बैठक से साफ हो गया है कि अजित पवार के पास शरद पवार से अधिक विधायकों का समर्थन है।
अब चुनाव आयोग पहुंची दोनों गुटों की लड़ाई
अब पार्टी के चुनाव निशान पर दावेदारी के लिए दोनों गुट चुनाव आयोग पहुंच चुके हैं। अजित गुट की ओर से अपने समर्थन में 40 से अधिक विधायकों और सांसदों के हलफनामे आयोग को सौंपे गए हैं। अजित पवार के सहयोगी और वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल का कहना है कि विधान परिषद के कई सदस्यों का समर्थन भी अजित पवार के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि कई विधायक बाहर होने के कारण बुधवार की बैठक में नहीं पहुंच सके मगर उनका समर्थन हमारे साथ है।
चाचा-भतीजे का एक-दूसरे पर तीखा हमला
अजित पवार अब शरद पवार के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है और बुधवार को उन्होंने अपने चाचा को रिटायरमेंट लेने की सलाह दे डाली। उनका कहना था कि अब आप 83 साल के हो चुके हो। अब हमें आशीर्वाद दो और कुछ गलत काम हो तो हमारा कान पकड़ो। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मैं भी महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं और राज्य के लोगों की भलाई के लिए राज्य प्रमुख बनना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अधिकारी भी 60 साल में रिटायर हो जाते हैं और भाजपा में तो 75 साल की उम्र तय है तो फिर आपने 83 साल की उम्र में इतनी जिद क्यों पकड़ रखी है।
दूसरी ओर शरद पवार ने साफ तौर पर कहा कि भाजपा से गठबंधन करने वाले सभी दल बर्बाद हो गए। भाजपा का यह सियासी इतिहास रहा है कि वह सहयोगी दलों को हमेशा कमजोर करती रही है। उन्होंने अकाली दल, पीडीपी और जदयू का उदाहरण देते हुए अपनी दलील को मजबूत बनाने की कोशिश की। अजित पवार पर हमला करते हुए उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उन्होंने गलती की है और उन्हें इस बात की सजा भुगतनी होगी। शरद पवार का कहना था कि हम पार्टी और पार्टी का सिंबल किसी को छीनने नहीं देंगे।
ढीले पढ़ते दिखे शरद पवार के तेवर
हालांकि बुधवार को दोनों गुटों की बैठक के बाद शरद पवार के तेवर कुछ ढीले पड़ते हुए दिखे। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि यदि अजित पवार को तो कोई दिक्कत थी तो उन्हें इस बाबत मुझसे चर्चा करनी चाहिए थी। जानकारों का कहना है कि बैठक के दौरान शरद पवार को इस बात का एहसास हो गया कि पार्टी के काफी संख्या में लोग अजित पवार के साथ हैं।
वैसे दोनों गुटों में अब समझौते की कोई गुंजाइश बाकी नहीं रह गई है और ऐसे में शरद पवार की अगली चाल पर सबकी निगाहें लगी हुई है। शरद पवार ने आज दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है और इस बैठक के दौरान आगे की रणनीति पर फैसला किया जाएगा।
30 जून को ही हो गया था बड़ा खेल
इस बीच एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एनसीपी में हुई बगावत के प्रकरण में शरद पवार पूरी तरह गच्चा खा गए क्योंकि बगावत से दो दिन पहले ही बड़ा खेल हो गया था मगर शरद पवार को इसकी भनक तक नहीं लगी। दरअसल एनसीपी में हुई बगावत से दो दिन पहले ही अजित पवार पार्टी और सिंबल पर दावेदारी को लेकर चुनाव आयोग पहुंच गए थे।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने 30 जून को ही एक बैठक बुलाई थी और इसमें आम राय से शरद पवार को हटाकर अजित को पार्टी अध्यक्ष चुनने का फैसला किया गया था। बाद में उसी दिन अजित पवार ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में 40 शपथ पत्र भी दिए थे। इस पत्र में पार्टी के सांसद, विधायक और एमएलसी शामिल थे।
अजित पवार ने पहले ही कर ली थी पूरी तैयारी
इस तरह साफ है कि शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने से पूर्व ही अजित पवार ने सारी तैयारी कर ली थी। शरद पवार की ओर से 3 जुलाई को कैविएट दाखिल किया गया था जिसमें कोई भी फैसला लेने से पहले पक्ष सुनने की बात कही गई है। जानकारों का मानना है कि पार्टी पर कब्जे की इस जंग में अब अजित पवार भारी पड़ते दिख रहे हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि शरद पवार इस बगावत से निपटने के लिए आखिर क्या कदम उठाते हैं।