Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में हो सकता है बड़ा सियासी खेला, अजित पवार गुट से कन्नी काट सकती है BJP

Maharashtra Politics: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से भी हाल में भाजपा और अजित पवार गुट में गठबंधन को लेकर सवाल उठाए गए थे।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-06-13 07:39 GMT

Ajit Pawar   (photo: social media )

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में करारा झटका खाने के बाद भाजपा अब राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर मंथन करने में जुटी हुई है। राज्य में इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी से दूरी बना सकती है। हालांकि अभी तक इस बाबत कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है मगर राज्य में सियासी समीकरण बदलने के संकेत मिलने जरूर शुरू हो गए हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से भी हाल में भाजपा और अजित पवार गुट में गठबंधन को लेकर सवाल उठाए गए थे। अजित पवार गुट इस बार के लोकसभा चुनाव में राज्य की सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहा है। ऐसे में भाजपा को अजित पवार गुट से कोई बड़ा लाभ मिलता हुआ नहीं दिख रहा है।

संघ पहले ही जता चुका है नाराजगी

एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक संघ भाजपा नेतृत्व की ओर से एनसीपी में तोड़फोड़ किए जाने और फिर अजित पवार के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने से खुश नहीं है। अजित पवार से हाथ मिलाने का भाजपा को कोई सियासी लाभ भी नहीं मिल सका है। दूसरी ओर शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी ने राज्य की आठ लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है।

पवार फैमिली का गढ़ मानी जाने वाली बारामती लोकसभा सीट पर अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को हार का मुंह देखना पड़ा है इस सीट पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने फिर जीत हासिल की है।

लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने जिन क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी उतारे थे,वहां भाजपा कार्यकर्ताओं का अजित पवार गुट के कार्यकर्ताओं के साथ कोई तालमेल नहीं दिखा। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा विधानसभा चुनाव के दौरान केवल शिंदे गुट के साथ मिलकर मैदान में उतर सकती है।

लोकसभा चुनाव में नहीं दिखा तालमेल

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का भी कहना है कि भाजपा और आरएसएस का कैडर पवार विरोधी नारे के साथ तैयार किया गया था। महाराष्ट्र के कई इलाकों में भाजपा पवार विरोधी लड़ाई लड़ती रही है मगर अजित पवार के साथ हाथ मिलाने से पवार के खिलाफ लड़ाई लड़ने की मूल धारणा ही खत्म हो गई। एनसीपी में तोड़फोड़ के बाद भाजपा नेतृत्व ने पवार को महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम बना दिया जिसे लेकर भी नाराजगी फैली।

भाजपा नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा और संघ से जुड़े हुए कार्यकर्ता पवार गुट के प्रत्याशियों का प्रचार करने के लिए तैयार नहीं दिखे। कई चुनाव क्षेत्रों में दोनों दलों के बीच सामंजस्य नहीं दिखा। इस कारण भाजपा को कई सीटों पर नुकसान भी उठाना पड़ा।

विधानसभा चुनाव में दूरी बना सकती है भाजपा

लोकसभा चुनाव में करारा झटका लगने के बाद बीजेपी हार के कारणों की समीक्षा करने में जुटी हुई है। भाजपा नेतृत्व इस मुद्दे पर भी लगातार मंथन करने में जुटा हुआ है कि अजित पवार गुट से अलग होने का विधानसभा चुनाव के नतीजे पर क्या असर पड़ेगा। इस मुद्दे पर एक अन्य नेता का कहना था कि यदि भाजपा ने अजित पवार का साथ छोड़ने का फैसला किया तो इससे यह संदेश जाएगा कि भाजपा यूज एंड थ्रो की नीति पर चलने वाली पार्टी है।

वैसे इस सिक्के का दूसरा पल्लू यह भी है कि भाजपा को अजित पवार का साथ रास नहीं आ रहा है। विधानसभा चुनाव के दौरान अजित पवार से हाथ मिलाने पर पार्टी को कई सीटें छोड़नी पड़ेगी और इसके साथ ही पार्टी को कोई बड़ा सियासी लाभ मिलता भी नहीं दिख रहा है। ऐसे में बीजेपी अजित पवार से दूरी बनाने का बड़ा फैसला ले सकती है।

लोकसभा चुनाव में लगा करारा झटका

इस बार के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में एनडीए को करारी हार का सामना करना पड़ा है। एनडीए को सिर्फ 17 सीटों पर जीत हासिल हुई है जबकि इंडिया गठबंधन ने 30 सीटों पर कब्जा कर लिया है। सबसे ज्यादा तेरह लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (उद्धव बाला साहब ठाकरे) ने नौ और शरद पवार की एनसीपी ने आठ सीटों पर जीत हासिल की है।

दूसरी ओर यदि बात एनडीए की की जाए तो भाजपा इस बार के चुनाव में सिर्फ नौ सीटों पर सिमट गई है। भाजपा ने पिछले चुनाव में 23 सीटों पर जीत हासिल की थी। एकनाथ शिंदे की शिवसेना को सात और अजित पवार की एनसीपी को एक सीट पर जीत हासिल हुई है। मोदी सरकार के शपथ ग्रहण से पहले अजित पवार गुट को राज्य मंत्री पद का ऑफर दिया गया था मगर अजित पवार गुट ने यह ऑफर ठुकरा दिया था। अजित पवार गुट मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री की मांग को लेकर अड़ा हुआ है।

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