मुसलमानों में बढ़ते कोरोना के मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम

महाराष्ट्र सरकार ने अब फैसला किया है कि हॉटस्पॉट वाले इलाकों में लोगों को कोरोना को लेकर जागरूक करने के लिए अब उर्दू में मैजेस दिए जाएंगे। साथ ही लोगों को समझाने के लिए धार्मिक नेताओं की भी मदद ली जाएगी।

Update: 2020-05-07 05:45 GMT

मुंबई: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में भीषण तबाही मचा रखी है। इससे बचने के लिए दुनिया भर के मुल्कों ने अपने यहां लॉकडाउन लागू कर रखा है। भारत भी उन मुल्कों में शामिल है। क्योंकि भारत में भी कोरोना का खतरा तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। यहां जितनी तेजी के साथ नये केस सामने आ रहे हैं। उतनी ही बड़ी तादाद में लोगों की मौतें भी हो रही हैं।

इन सबके बीच एक हैरान कर देने वाली बात सामने आई है। इनमें से ज्यादातर कोरोना के केस मुसलमानों में पाए गये हैं। अकेले महाराष्ट्र में 3 मई तक कोरोना से 548 लोगों की जान जा चुकी है, जिसमें से 44 फीसदी मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या में मुसलमानों की हिस्सेदारी सिर्फ 12 फीसदी है।

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हॉटस्पॉट वाले इलाकों में उर्दू में मैसेज दिए जाएंगे

हालात को देखते महाराष्ट्र सरकार ने अब फैसला किया है कि हॉटस्पॉट वाले इलाकों में लोगों को कोरोना को लेकर जागरूक करने के लिए अब उर्दू में मैसेज दिए जाएंगे। साथ ही लोगों को समझाने के लिए धार्मिक नेताओं की भी मदद ली जाएगी।

मुसलमानों की ज्यादा मौत की संख्या को देखते हुए महाराष्ट्र की सरकार परेशान है। ऐसे में अब इस समुदाय में कोरोना के संक्रमण को कम करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

इन आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि 17 मार्च को राज्य में कोरोना से पहली मौत का केस सामने आया था। 15 अप्रैल तक मौत की संख्या बढ़कर 187 हो गई। इसमें से मुसलमानों की संख्या 89 थी। अब ज़रा इस आंकड़ें पर गौर कीजिए 15 अप्रैल से 3 मई के बीच महाराष्ट्र में 361 लोगों की और जान गई। मौत के इस आंकड़े में मुसलमानों की संख्या 150 थी।

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