रथयात्राओं का जवाब पदयात्राओं से, बंगाल में भाजपा के खिलाफ ममता की बड़ी रणनीति

ममता बनर्जी को पदयात्राओं का माहिर खिलाड़ी माना जाता रहा है और सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा की रथयात्राओं का जवाब देने के लिए ममता बनर्जी एक बार फिर खुद सड़कों पर उतरकर पदयात्राएं निकालेंगी।

Update:2021-01-18 09:39 IST
रथयात्राओं का जवाब पदयात्राओं से, बंगाल में भाजपा के खिलाफ ममता की बड़ी रणनीति (PC: social media)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की चुनौतियों का जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पूरी ताकत लगा दी है। वे पार्टी में असंतोष की आवाज दबाने में भी जुटी हुई है और इसी कड़ी में बगावती तेवर अपनाने के बाद मान जाने वाली सांसद शताब्दी रॉय को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया है।

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दूसरी ओर भाजपा ने ममता की घेराबंदी को और कड़ा करते हुए फरवरी में पांच रथयात्राएं निकालने का फैसला किया है। ये रथयात्राएं राज्य विधानसभा की सभी 294 सीटों को कवर करेंगी।

ममता बनर्जी को पदयात्राओं का माहिर खिलाड़ी माना जाता रहा है और सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा की रथयात्राओं का जवाब देने के लिए ममता बनर्जी एक बार फिर खुद सड़कों पर उतरकर पदयात्राएं निकालेंगी।

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बागियों को गढ़ में ललकारेंगी ममता

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निशाने पर इस बार वे नेता खासतौर पर होंगे जिन्होंने तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। ऐसे नेताओं में सबसे बड़ा नाम शुभेंदु अधिकारी का है जो कभी ममता बनर्जी के काफी खास हुआ करते थे।

ममता बनर्जी सोमवार को शुभेंदु के गढ़ माने जाने वाले नंदीग्राम में बड़ी चुनावी रैली करने जा रही हैं। पूर्वी मिदनापुर के टीएमसी कार्यकर्ताओं को इस रैली की तैयारियों में लगाया गया है।

पहले ममता बनर्जी नंदीग्राम में 7 जनवरी को रैली करने वाली थीं, लेकिन टीएमसी के जिला कोआर्डिनेटर अखिल गिरी के कोरोना स॔क्रमिक होने के कारण ममता रैली में शामिल नहीं हुई थीं। अब उनकी रैली सोमवार को आयोजित की गई है और माना जा रहा है कि इस रैली में ममता शुभेंदु पर बड़ा सियासी हमला बोलेंगी।

टीएमसी ने शुभेंदु को विश्वासघाती बताया

ममता की इस रैली पर कटाक्ष करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने भी कहा है कि पहले लोग नंदीग्राम नहीं आते थे मगर अब चुनाव से पहले उन्हें नंदीग्राम की याद क्यों आने लगी है, यह सबको पता है।

टीएमसी के बड़े नेता राज्य में पार्टी की रैलियों में शुभेंदु अधिकारी को विश्वासघाती और मीरजाफर बता रहे हैं। उनका कहना है कि शुभेंदु ने दीदी के भरोसे को तोड़ा है और ऐसे लोगों को मतदाता चुनाव में सबक सिखाएंगे।

सूबे में पांच रथयात्राएं निकालेगी भाजपा

राज्य में विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के पहले भाजपा और टीएमसी की ओर से चुनावी रणनीति तैयार करने का काम जोरशोर से चल रहा है। दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की हाल में हुई बैठक में सूबे में पांच रथयात्राएं निकालने का फैसला किया गया है।

इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और राज्य भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष भी मौजूद थे।

जानकारों के मुताबिक पार्टी की ओर से ये रथयात्राएं फरवरी में निकाली जा सकती हैं। इन यात्राओं के जरिए पार्टी ने राज्य की सभी विधानसभा सीटों को कवर करने की योजना तैयार की है।

शाह के रोड शो का जवाब पदयात्रा से

भाजपा की रथयात्राओं का जवाब देने के लिए टीएमसी की ओर से अपनाई जाने वाली रणनीति का अभी तक खुलासा नहीं किया गया है। हालांकि सियासी जानकारों का मानना है कि ममता अपनी पदयात्राओं के जरिए भाजपा नेताओं को जवाब देंगी।

पिछले महीने बीरभूम के बोलपुर इलाके में अमित शाह की अगुवाई में भाजपा के रोड शो के बाद ममता बनर्जी भी इलाके में पहुंची थे और उन्होंने पद यात्रा निकालकर भाजपा को जवाब दिया था।

ममता बनर्जी पहले भी पदयात्रा निकालकर मतदाताओं का समर्थन पाती रही हैं। बोलपुर में भाजपा पर हमला करते हुए ममता ने कहा था कि गांधी का सम्मान न करने वाले भी सोनार बांग्ला बनाने की बात कर रहे हैं।

इसलिए पदयात्रा को महत्व देती हैं ममता

करीब 30 साल से सियासी मैदान में सक्रिय ममता बनर्जी ने एक बार खुद खुलासा किया था कि वै अपनी रैलियां कार से क्यों नहीं करती हैं। उन्होंने दो साल पूर्व 2019 में एक साक्षात्कार में बताया था कि उन्हें गाड़ियों से रैली करना बिल्कुल पसंद नहीं है। इसकी जगह वे पैदल मार्च करते हुए रोड शो करना ज्यादा पसंद करते हैं।

उनका कहना था कि पैदल मार्च करने से लोगों से मेल-मिलाप बढ़ता है। साथ ही उन्हें आम लोगों से व्यक्तिगत रूप से कनेक्ट कर पाने में कामयाबी हासिल होती है। उनका यह भी कहना था कि वे आमतौर पर 5 किलोमीटर का पैदल मार्च आसानी से कर लेती हैं।

फिर लेंगी पदयात्राओं का सहारा

सियासी जानकारों का कहना है कि अभी पिछले महीने भी भाजपा के रोड शो का जवाब ममता बनर्जी ने पैदल मार्च के जरिए ही दिया था। आगे भी वे पैदल यात्राओं के जरिए भाजपा की रथयात्राओं का जवाब दे सकती हैं।

ममता की पैदल यात्रा में भारी जनसमूह उमड़ता रहा है। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान वे इसके जरिए एक बार फिर अपना शक्ति प्रदर्शन करने में कामयाब होंगी।

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बंगाल की लड़ाई में शिवसेना भी कूदी

वैसे पश्चिम बंगाल की सियासी लड़ाई लगातार दिलचस्प होती जा रही है। भाजपा और ममता बनर्जी की हर रोज तीखी होती जंग में अब शिवसेना भी कूद पड़ी है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि उनकी पार्टी भी आगामी विधानसभा की चुनावी जंग में कूदेगी।

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उन्होंने कहा कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी को पश्चिम बंगाल के चुनावी रण में कूदने की अनुमति दे दी है और हम भी जल्द ही कोलकाता पहुंच रहे हैं। जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान शिवसेना की ओर से 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के भी जल्द ही पश्चिम बंगाल का दौरा करने की संभावना जताई गई है। पार्टी की ओर से 2019 के लोकसभा चुनाव में भी 15 सीटों पर उम्मीदवार उतारे गए थे।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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