Mamata Banerjee Birthday: सियासत में अलग पहचान बनाने वाली जुझारू महिला, चुनौतियों का किया डटकर मुकाबला
Mamata Banerjee Birthday: 1955 में आज ही के दिन पैदा होने वाली ममता बनर्जी हमेशा राष्ट्रीय सुर्खियों में भी बनी रहती हैं।
Mamata Banerjee Birthday: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने जुझारू तेवर से देश की सियासत में अलग पहचान बनाई है। पश्चिम बंगाल से वामपंथी सरकार को उखाड़ फेंकने वाली ममता बनर्जी ने राज्य में भाजपा से मिल रही चुनौतियों का भी डटकर मुकाबला किया है। 20 मई 2011 से वे लगातार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी हुई हैं। 1
955 में आज ही के दिन पैदा होने वाली ममता बनर्जी हमेशा राष्ट्रीय सुर्खियों में भी बनी रहती हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पीएम पद के लिए विपक्ष के चेहरे का मजबूत दावेदार भी माना जा रहा है। ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेता काफी दिनों से इस मुहिम में जुटे हुए हैं। देश की सियासत में जिन क्षत्रपों ने भाजपा को मजबूत चुनौती दी है, उनमें ममता का नाम सबसे प्रमुख है।
संघर्षपूर्ण रहा शुरुआती जीवन
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एक ब्राह्मण परिवार में 5 जनवरी 1955 को ममता का जन्म हुआ था। दीदी के नाम से जानी जाने वाली ममता आज 68 वर्ष की हो गई हैं। ममता के पिता प्रोमिलेश्वर बनर्जी ने देश की आजादी की लड़ाई में योगदान किया था। ममता ने 17 साल की उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था और इसके बाद उनका जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा।
जोगमाया देवी कॉलेज से स्नातक करने वाली ममता बनर्जी ने एमए की पढ़ाई कलकत्ता यूनिवर्सिटी से की। उन्होंने इस्लामिक इतिहास में एमए की डिग्री हासिल की और इसके बाद कानून की पढ़ाई भी की। उन्होंने जोगेश चंद्रा चौधरी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की।
छात्र जीवन से ही सियासत में सक्रिय
अपने छात्र जीवन से ही ममता बनर्जी राजनीति के मैदान में सक्रिय हो गई थीं। जोगमाया देवी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्होंने छात्र परिषद की यूनियन की स्थापना की थी। छात्र राजनीति के दौरान ही उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय देना शुरू कर दिया था। उनकी अगुवाई में कांग्रेस आई से जुड़े इस संगठन ने कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन को हराने में कामयाबी हासिल की थी।
इसके बाद ममता कांग्रेस नेता के रूप में सियासी मैदान में लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती रहीं। 1984 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने वामपंथी दिग्गज सोमनाथ चटर्जी को जादवपुर संसदीय सीट पर चुनाव हराकर पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। 1991 से उन्होंने दक्षिण कोलकाता लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना शुरू किया और 2009 तक इस सीट पर लगातार अपना कब्जा बनाए रखा।
वाम दलों के खिलाफ मजबूत लड़ाई
पश्चिम बंगाल की सियासत में उन्होंने वामदलों की सरकार के खिलाफ लगातार संघर्ष जारी रखा। वाम सरकार की ओर से उनके खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई भी की गई मगर उन्होंने अपना जुझारू तेवर नहीं छोड़ा। बाद में 1997 में कांग्रेस और वामदलों में नजदीकी बढ़ने पर ममता ने कांग्रेस से अपना रास्ता अलग कर लिया।
उन्होंने अपनी अलग पार्टी तृणमूल कांग्रेस का गठन किया और जल्दी ही पार्टी को सशक्त बनाने में कामयाब रहीं। बाद में वे एनडीए में शामिल हो गईं और वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री के रूप में काम किया। 2004 के लोकसभा चुनाव में वाजपेयी सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद उनकी भाजपा से दूरियां लगातार बढ़ती गईं। 2009 में उन्होंने कांग्रेस से फिर हाथ मिलाया।
वाम सरकार को किया सत्ता से बेदखल
2011 का वर्ष ममता बनर्जी के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इस साल वे पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में वामपंथी सरकार को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब रहीं। 2011 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी लगातार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी हुई हैं। राज्य में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की अगुवाई में पश्चिम बंगाल में पूरी ताकत लगा दी थी। इसके बावजूद भाजपा ममता को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब नहीं हो सकी।
ममता की अगुवाई में टीएमसी ने भारी बहुमत हासिल किया था। ममता बनर्जी को तीखे तेवर वाला नेता माना जाता है और इसी कारण वे मोदी सरकार से दो-दो हाथ करने को हमेशा तैयार दिखती हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें विपक्ष की ओर से पीएम चेहरे का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा है।