तूफ़ान भी नहीं हिला सका इन्हें, अम्फान का नहीं पड़ा कोई असर
अम्फान तूफ़ान से भारत के कई इलाकों को बुरी तरफ प्रभावित किया। कई घर तबाह कर दिए, कई लोगों की मौत की बजह बना लेकिन इस भयानक चक्रवाती तूफ़ान के सामने भी कुछ अडिग रहा, तो वह थे ओडिशा में स्थिति मैन्ग्रोव के जंगल।
नई दिल्ली: अम्फान तूफ़ान से भारत के कई इलाकों को बुरी तरफ प्रभावित किया। कई घर तबाह कर दिए, कई लोगों की मौत की बजह बना लेकिन इस भयानक चक्रवाती तूफ़ान के सामने भी कुछ अडिग रहा, तो वह थे ओडिशा में स्थिति मैन्ग्रोव के जंगल। वहीं इसी हरियाली ने यहां बड़े लोगो को भी बचाया।
अम्फान तूफ़ान का सामना करते रहे मैन्ग्रोव के जंगल
दरअसल, ओडिशा के तटीय क्षेत्र में हाल ही में अम्फान तूफ़ान का कहर बरपा। इस दौरान यहां स्थित भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में मैन्ग्रोव के जंगलों ने इलाके की सुरक्षा की और आसपास बसी बस्तियों को प्रभावित होने से बचाया।
मैन्ग्रोव के जंगल ने बचाया भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान
जंगलों की गरियाली और झाड़ियों के कारण तूफान की तेज हवाएं इन इलाकों में कुछ थम सी गयीं। तूफ़ान से उद्यान के पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं को कोई नुकसान नहीं हुआ।
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इस बारे में राजनगर मैन्ग्रोव (वन्यजीव) वन संभाग के संभागीय वन अधिकारी बिकास रंजन दास ने जारी दी। यहां पर मानव बस्तियां भी है, जो मैन्ग्रोव से गिरी हुई है। इसलिए यहना तूफ़ान का ज्यादा असर नहीं दिखा।
तूफानों और समुद्री ज्वार भाटा के खिलाफ प्राकृतिक रक्षक हैं मैन्ग्रोव के जंगल
बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं था कि मैन्ग्रोव के जंगलों ने तूफ़ान का सामना किया हो। तटीय क्षेत्र में बसे होने के कारण यहां पहले भी चक्रवर्ती तूफ़ान आ चुका है। जानकारी के मुताबिक, साल 1999 में भी यहां चक्रवाती तूफान आया था, तब भी जंगलों ने इलाके को सुरक्षित रखा था। मैन्ग्रोव के जंगलों की पहचान ही अब तूफानों और समुद्री ज्वार भाटा के खिलाफ प्राकृतिक रक्षक के तौर पर बन गयी है।
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गौरतलब है कि अम्फान तूफ़ान ने बंगाल और ओडिशा में तबाही मचाई थी। इस दौरान 86 लोगों की मौत हो गयी थी, वहीं लाखों लोग तूफ़ान से प्रभावित हुए थे। लोगों के घर में डूब गए। बिजली पानी समेत कई सेवायें भी ठप्प हो गयी।
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