Manipur Violence Update: मणिपुर हिंसा की पूरी कहानी, कैसे जल गया पूरा शहर, आइये जाने सब कुछ विस्तार से
Manipur Violence Update: सड़कों पर जली हुई गाड़ियां और शहर के जली हुई इमारतें खौफनाक हिंसा की दास्तान को बयां करते हैं। राज्य के कुल 16 जिलों में से 8 में कर्फ्यू लगा हुआ है, इंटरनेट सेवा बंद है।
Manipur Violence Update: उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में पिछले दिनों हुए जातीय दंगे के कारण माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। आदिवासी और गैर – आदिवासी समुदाय के बीच हुए टकराव ने आधे मणिपुर को हिंसा की आग में झोंक दिया। तकरीबन तीन दिनों तक राज्य के आदिवासी बहुल जिलों में हिंसा का जमकर नंगा नाच हुआ। दंगाईयों और उपद्रवियों ने चीजों को तबाह करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। हिंसा की शुरूआत चूराचांदपुर जिले से हुई, जो देखते ही देखते बाकी जिलों में भी फैल गई।
मणिपुर के हिंसाग्रस्त इलाके किसी युद्धग्रस्त इलाके सरीखे दिख रहे हैं। सड़कों पर जली हुई गाड़ियां और शहर के जली हुई इमारतें खौफनाक हिंसा की दास्तान को बयां करते हैं। राज्य के कुल 16 जिलों में से 8 में कर्फ्यू लगा हुआ है, इंटरनेट सेवा बंद है। स्थिति जरूर सुरक्षाबलों के नियंत्रण में है लेकिन स्थानीय लोगों के जेहन में खौफ अब भी बना हुआ है। मणिपुर से निकलने के लिए लोगों के बीच आपाधापी मची हुई है। हिंसाग्रस्त इलाके में रह रहे सक्षम लोग जल्द से जल्द यहां से निकल जाना चाहते हैं।
अब तक कितनी मौतें ?
दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प ने कई परिवारों की जिंदगी उजार दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मणिपुर में हुई हिंसा में अब तक 54 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 100 से ज्यादा घायल हैं। सेना के मुताबिक, हिंसा प्रभावित क्षेत्र से अब तक 23 हजार से अधिक लोगों को निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। पड़ोसी राज्य असम के सीमावर्ती जिले कछार में भी हजारों की तादाद में मणिपुर के लोगों ने शरण ले रखी है। मणिपुर में फंसे अन्य राज्यों के छात्रों को निकालने की कवायद तेज कर दी गई है।
दो समुदायों के बीच तनाव ?
भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित राज्यों ने सशस्त्र समूहों द्वारा की जाने वाली हिंसा का एक लंबा दौर देखा है। यह इलाका पांच देशों चीन, भूटान, म्यांमार, नेपाल और बांग्लादेश की सीमा से जुड़ा हुआ है, इसलिए यहां उग्रवादी संगठन खूब पनपे। मणिपुर में भी किसी समय 60 सशस्त्र समूह हुआ करते थे। समय के साथ-साथ उत्तर पूर्व में सक्रिय विभिन्न सशस्त्र समूहों में से कुछ मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए और कुछ सुरक्षाबलो के साथ संघर्ष में मारे गए। मिलाजुला कर फिलहाल वहां शांति कायम थी। लेकिन ताजा घटना ने वहां की पहाड़ियों और घाटियों को फिर से सुलगा दिया है।
मणिपुर में हिंसा का ताजा कारण मैतेई और जनजातीय समुदाय नागा और कुकी के बीच हुए टकराव का नतीजा है। राज्य की आबादी में करीब 53 प्रतिशत की हिस्सेदार रखने वाले मैतेई राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी सशक्त माने जाते हैं। हालांकि, उनका राज्य की महज 10 फीसदी जमीन पर ही कब्जा है। वहीं, आदिवासी समुदायों की आबादी करीबन 40 फीसदी है लेकिन उनका जमीन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा है। आदिवासी समुदाय के लोग अधिकतर राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। कुल 16 जिलों में से 8 जिलों में इनकी अधिकता है। मैतेई समुदाय के लोग जमीन पर कब्जा के लिए खुद को ट्रायबल घोषित करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। जिसका जनजातिय वर्ग की ओर से शुरू से ही विरोध होता रहा है।
कोर्ट के फैसले ने तनाव को हिंसा में बदला
मणिपुर हाईकोर्ट ने पिछले दिनों राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को एसटी में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किया था। इस आदेश के बाद नागा और कुकी जैसी जनजातियां भड़क उठीं। 3 मई को चूराचांदपुर जिले में मैतेई समुदाय को एसटी का दर्ज देने के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया। इस दौरान जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई। आरोप है कि प्रदर्शन में शामिल हथियारबाद लोगों ने कथित तौर पर मैतेई समुदाय के लोगों को निशाना बनाने की कोशिश की। इसके बाद वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया और देखते ही देखते पूरा राज्य हिंसा की आग में झुलस उठा।
सुप्रीम कोर्ट में आज होनी है सुनवाई
मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज बड़ी सुनवाई होने जा रही है। बीजेपी विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने शीर्ष अदालत से उच्च न्यायालय के आदेश पर स्टे लगाने की मांग की है। इसके अलावा एक और याचिका पर सुनवाई होगी जिसमें हिंसा की एसआईटी जांच की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।