Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा जारी, दंगाइयों ने इम्फाल में फूंकी कार...त्रिपुरा-नागालैंड ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर

Manipur Violence Update: हिंसाग्रस्त इलाकों में सेना की जबरदस्त तैनाती की गई है। असम रायफल्स और सेना की 55 टुकड़ियों को तैनात किया गया है।

Update:2023-05-05 15:04 IST
Manipur Violence Update (photo: social media )

Manipur Violence Update: मणिपुर हिंसा में हिंसा शुक्रवार (05 मई) को भी जारी है। सरकार और सेना की कोशिशों के बावजूद हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। राजधानी इंफाल में आज दंगाइयों ने कार फूंक दी। मणिपुर हिंसा के मद्देनजर पड़ोसी राज्य त्रिपुरा और नगालैंड की सरकार ने हेल्पलाइन नंबर (Helpline Number) जारी किए हैं। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा (Tripura CM Manik Saha) ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की तथा सहायता के लिए कंट्रोल रूप की स्थापना की गई। मणिपुर के बिगड़े हालात को देखते हुए त्रिपुरा सीएम ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है।

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने ट्वीट करते हुए कहा कि, हमारी सरकार ने मणिपुर में गड़बड़ी को देखते हुए त्रिपुरा के निवासियों को 24x7 आधार पर सहायता प्रदान करने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। ये नंबर हैं ERSS: 112, स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर- 1070/0381-2416045/ 2416241 और व्हाट्सएप नंबर: 8787676210 है।

नागालैंड सरकार का ये है हेल्पलाइन नंबर

इसी प्रकार, नागालैंड की सरकार ने मणिपुर में मौजूदा कानून-व्यवस्था के बिगड़े हालात पर कड़ी नजर रखे हुए है। मणिपुर से निकासी की आवश्यकता वाले राज्य के लोगों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। नागालैंड गृह विभाग के अनुसार, हेल्पलाइन नंबर को सक्रिय कर दिया गया है। गृह विभाग ने अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की भी अपील की। किसी शख्स को किसी भी सहायता की जरूरत हो तो वो फोन नंबर 3702242511, फैक्स: 0370 2242512 या मोबाइल/व्हाट्सएप: 08794833041 या ईमेल: spcrko[email protected] पर संपर्क कर सकते हैं। एनएसडीएमए हेल्पलाइन नंबर: 0370 2381122/0370 2291123 के माध्यम से राज्य पुलिस नियंत्रण कक्ष, कोहिमा से संपर्क किया जा सकता है।

आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदाय के बीच टकराव के कारण लगभग आधा मणिपुर हिंसा की आग में धधक रहा है। राज्य के कुल 16 जिलों में से 8 जिलों में कर्फ्यू लागू है और पांच दिनों के लिए इंटरनेट से लेकर ब्रॉडबैंड तक सस्पेंड है। हिंसाग्रस्त इलाकों में सेना की जबरदस्त तैनाती की गई है। असम रायफल्स और सेना की 55 टुकड़ियों को तैनात किया गया है। सेना को दंगाईयों और उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं।

बीजेपी शासित मणिपुर में लगातार बिगड़ रही स्थिति को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक्शन मोड में आ गए हैं। शाह लगातार बैठक पर बैठक कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, राज्य के सीएम एन बीरेन सिंह, पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय गृह सचिव, आईबी निदेशक के साथ-साथ केंद्र और राज्य के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय गृह मंत्री की अबतक दो बैठकं हो चुकी हैं। राज्य में अब तक करीब 9 हजार लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया जा चुका है।

अमित शाह ने रद्द किया कर्नाटक दौरा

मणिपुर के विस्फोटक हालात को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कर्नाटक का दौरा रद्द कर दिया है। कर्नाटक में अभी विधानसभा चुनाव के लिए जोरशोर से कैंपेन चल रहा है। अमित शाह के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तैनाती के लिए आरएएफ की टीमों को भी भेजा है। रेपिड एक्शन फोर्स की पांच कंपनियों को राजधानी इंफाल एयरलिफ्ट किया गया है। जबकि 15 अन्य जनरल ड्यूटी कंपनियों को भी राज्य में तैनाती के लिए तैयार रहने को कहा गया है।

रेलवे ने रद्द की सभी ट्रेनें

राज्य में हुई हिंसा के दौरान सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है। तनावभरे माहौल को देखते पूर्वोतर सीमांत रेलवे ने मणिपुर की ओर जाने वाली सभी ट्रेनों को फिलहाल के लिए रद्द कर दिया है। रेलवे की ओर से जारी बयान में बताया गया कि मणिपुर सरकार की ओर से ट्रेन की आवाजाही पर रोक लगाने की सलाह मिलने के बाद यह निर्णय लिया गया है। स्थिति में सुधार होने तक कोई ट्रेन मणिपुर में प्रवेश नहीं कर रही है।

मणिपुर में क्यों भड़की है हिंसा ?

मणिपुर में मैतेई समुदाय खुद को एसटी वर्ग में शामिल करने की मांग लंबे समय से करता रहा है। जिसके खिलाफ आदिवासी वर्ग मुखर रहा है। बीती 19 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि सरकार को मैतेई समुदाय को जनजातीय वर्ग में शामिल करने पर विचार करना चाहिए। उच्च न्यायालय ने चार हफ्ते में सरकार को इस पर अपना जवाब दाखिल करने को आदेश दिया। इस फैसले के खिलाफ आदिवासी वर्ग सड़क पर उतर गया और कई जिलों से हिंसा की खबरें आने लगीं।

दरअसल, आदिवासी वर्ग हाईकोर्ट के इस फैसले का विरोध इसलिए कर रहा है क्योंकि उसे डर है कि अगर मैतेई समुदाय को जनजातीय वर्ग में शामिल कर लिया जाता है तो वे उनके जमीन और संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे। मैतेई को मणिपुर की ताकवतर और पभावशाली समुदाय के तौर पर जाना जाता है, जिसकी आबादी राज्य में 60 प्रतिशत के करीब है। ऑल इंडिया ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन इस प्रोटेस्ट को फिलहाल लीड करता नजर आ रहा है।

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