Manipur Violence Update: एक दूसरे के इलाके में काम करने से डर रहे मैतेई और कुकी, चेतावनी के बावजूद ड्यूटी ज्वाइन नहीं कर
Manipur Violence Update: मणिपुर में हालात सामान्य करने की कोशिश में जुटी राज्य सरकार ने पिछले दिनों ‘नो वर्क नो पे’ का आदेश दिया था। सरकार ने ये आदेश जारी करते हुए चेतावनी दी कि जो कर्मचारी अपने दफ्तरों में काम पर नहीं लौटेंगे, उन्हें वेतन का भुगतान नहीं होगा। सरकार के इस ऐलान पर कुकी संगठन भड़क गए।
Manipur Violence Update: हिंसा की आग में बुरी तरह जल रहे उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में जनजीवन बेपटरी हो चुका है। लंबे समय से एक दूसरे के साथ रहने वाले मैतेई और कुकी के बीच जबरदस्त विभाजन पैदा हो गया है, जिसके निकट भविष्य में कम होने के आसार बेहद कम हैं। दोनों समुदायों के बीच एक दूसरे को लेकर अविश्वास और शत्रुता की भावना इस कदर पनप गई है कि दोनों एक-दूसरे के इलाके में जाने तक से कतरा रहे हैं।
यहां तक की सरकारी कर्मचारी ड्यूटी ज्वाइन करने में आनाकानी कर रहे हैं। राज्य में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद दोनों समुदायों के सरकारी कर्मचारियों ने भी उन इलाकों को छोड़ दिया था, जहां उनके प्रतिद्वंदी समुदाय बहुसंख्यक हैं। घाटी में रहने वाले कुकी कर्मचारी अपने पर्वतीय इलाकों में चले गए थे और पर्वतीय इलाकों में तैनात मैतेई समुदाय के कर्मचारी घाटी में हैं। इनमें सरकार के सभी विभागों के अलावा करीब 1400 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
सरकार की चेतावनी के बावजूद लौट नहीं रहे कर्मचारी
मणिपुर में हालात सामान्य करने की कोशिश में जुटी राज्य सरकार ने पिछले दिनों ‘नो वर्क नो पे’ का आदेश दिया था। सरकार ने ये आदेश जारी करते हुए चेतावनी दी कि जो कर्मचारी अपने दफ्तरों में काम पर नहीं लौटेंगे, उन्हें वेतन का भुगतान नहीं होगा। सरकार के इस ऐलान पर कुकी संगठन भड़क गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने फिर अपने आदेश में बदलाव करते हुए कहा कि कर्मचारी अपने इलाके में मौजूद संबंधित विभाग के दफ्कर में हाजिरी लगा सकते हैं।
दरअसल, सरकार के इस फैसले से कुकी जनजाति के लोग इस नाराज हुए क्योंकि ज्यादातार दफ्तर मैतेई आबादी बहुल इलाकों में है। जहां जातीय हिंसा और तनाव के कारण कुकी लोगों को डर है कि उन्हें निशाना बनाया जा सकता है। इसलिए वे उन इलाकों में ड्यूटी ज्वाइन करने से कतरा रहे हैं। कुकी संगठनों का कहना है कि उन इलाकों में जाकर नौकरी देना मौत को दावत देने जैसा है।
राज्य में सरकारी कर्मचारियों की संख्या की बात करें तो ये 70 हजार है। जबकि कुल स्वीकृत पद 1.17 हजार हैं। 70 में से 63 हजार के करीब मैतेई हैं और बाकी कुकी और अन्य जनजातिय समुदाय से हैं। इसके अलावा राज्य में करीब 30 हजार पुलिसकर्मी भी हैं, जिनमें अधिक संख्या मैतेईयों की है। सरकारी कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण राजकीय कामकाज भी पूरी तरह से चरमा चुका है। इसलिए सरकार बार-बार कर्मचारियों को काम पर लौटने की चेतावनी दे रही है।
मणिपुर में कब थमेगी हिंसा ?
मणिपुर में हिंसा की शुरूआत 3 मई को हुई थी। आज ढ़ाई महीने से अधिक समय बीत चुका है लेकिन राज्य में शांति बहाल नहीं हो पाई है। मैतेई और कुकी-नागा जनजाति के हथियारबंद लड़ाके अभी भी एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं। अभी तक 150 लोग हिंसा की भेंट चढ़ चुके हैं। एक हजार से अधिक घायल हैं और 65 हजार लोगों को अपना घर-बार छोड़कर अन्य स्थानों पर शरण लेना पड़ा है।