Manish Sisodia Video: कौन हैं मनीष सिसोदिया, वीडियो में देखें कैसे एक पत्रकार बना डिप्टी सीएम

Manish Sisodia Video: मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री थे। वैसे राजनीति में आने से पहले मनीष सिसोदिया एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे। सामाजिक कार्य करने से पहले वह टीवी चैनल जी न्यूज में बतौर पत्रकार काम करते थे।

Written By :  Yogesh Mishra
Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2023-03-09 06:00 GMT

Manish Sisodia Biography: राजनीति इन दिनों एक ऐसी इबारत हो गई है जिसमें जो लिखा हो उसे पढ़ना नहीं चाहिए ।जो लिखा होता है, राजनेता ठीक इसके उल्टा करता है। यह बात समझना हो तो आप पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया तक आप को चलना पड़ेगा। कभी भारत से करेप्शन दूर करने के मामले में आंदोलन चलाने वाले अरविंद केजरीवाल के साथ 2011 में इंडिया अगेंस्ट करेप्शन में मनीष सिसोदिया जुड़े थे। यही नहीं, मनीष सिसोदिया ने जन लोकपाल विधेयक के ड्राफ़्ट करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर इन दिनों दिल्ली सरकार के शराब घोटाले के नाते उन्होंने कैसी ख्याति प्राप्त की है और वो जेल के अंदर है। इससे समझाके हैं कि सियासत कहती क्या है? और सियासत करती क्या है? इससे यह भी समझा जा सकता है कि राजनेताओें के कहे पर यक़ीन करना ज़रूरी नहीं होता है।

पिता एक स्कूल टीचर थे

मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री थे। वैसे राजनीति में आने से पहले मनीष सिसोदिया एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे। सामाजिक कार्य करने से पहले वह टीवी चैनल जी न्यूज में बतौर पत्रकार काम करते थे। मनीष सिसोदिया का जन्म उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के फगौता गांव में हुआ। उनके पिता एक स्कूल टीचर थे। मनीष ने अपने गाँव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। बाद में, उन्होंने पत्रकारिता में डिप्लोमा किया। और अपने कैरियर की शुरुआत पत्रकार के तौर पर की। 1993 में मनीष को भारतीय विद्या भवन द्वारा सम्मानित भी किया गया। मनीष सिसोदिया ने अपने शुरुआती पत्रकारिता के करियर में एफएम रेडियो पर रेडियो जॉकी का काम भी किया था। उन्होंने 1996 में ऑल इंडिया रेडियो के लिए "ज़ीरो आवर" जैसे कई कार्यक्रमों की मेजबानी की ।फिर 1997 और 2005 के बीच ज़ी न्यूज़ में काम किया।

"कबीर" संस्था की स्थापना

पत्रकारिता छोड़ने के बाद, केजरीवाल के साथ सिसोदिया ने "कबीर" संस्था की स्थापना की। इस संगठन ने सरकारी अधिकारियों और लोगों के साथ जन सुनवाई का आयोजन किया। मनीष उस ग्रुप के प्रमुख सदस्यों में से एक थे, जिसने सूचना का अधिकार अधिनियम का मसौदा तैयार किया था। इसके बाद, मनीष सिसोदिया 2011 के अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में एक प्रमुख भागीदार बन गए। वह प्रस्तावित जनलोकपाल कानून के पहले संस्करण का मसौदा तैयार करने में शामिल थे। मनीष "कबीर" और "परिवर्तन" नाम की सामाजिक संस्थाओं का संचालन भी करते हैं। इसके अलावा वे अरविन्द केजरीवाल के साथ 'सार्वजनिक हित अनुसन्धान फाउण्डेशन' के सह-संस्थापक भी हैं। अपने सामाजिक कार्यकर्ता वाले दौर में मनीष सिसोदिया आरटीआई कार्यकर्ता भी रहे। और उन्होंने “घूस को घूंसा" नामक एक बहुत सफल कार्यक्रम भी चलाया था।

आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक

जब अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे का आन्दोलन छोड़ राजनीति में आने का निश्चय किया तो मनीष भी साथ साथ राजनीति में आ गए। मनीष सिसोदिया 26 नवम्बर, 2012 को स्थापित आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं।  वह इसकी राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य बने। वह दिसंबर 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में  पटपड़गंज निर्वाचन क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नकुल भारद्वाज को 11,476 मतों से हरा कर विजयी हुए। फरवरी 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में वह फिर से पटपड़गंज से चुने गए, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के विनोद कुमार बिन्नी को 28,761 मतों से हराया। 2020 के दिल्ली विधान सभा चुनाव , में उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार रविंदर सिंह नेगी को 3000 से अधिक मतों से हराया।

2022 में भ्रष्टाचार में लिप्त होन की शिकायत के बाद जांच शुरू हई

जब आप दिल्ली में सत्ता में लौटी, तो मनीष सिसोदिया ने सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में कदम बढ़ाये। 2015 में दिल्ली के वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने जो पहला व सराहनीय निर्णय लिया, वह सह था कि शिक्षा के बजट को उन्होंने दोगुना कर दिया। तब से हर साल, दिल्ली सरकार ने अपने कुल बजट का चौथाई हिस्सा शिक्षा को आवंटित किया। और यह देश में शिक्षा को आवंटित होने वाला सबसे बड़ा हिस्सा है। सिसोदिया के प्रयासों से दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिले ।उन्होंने उच्च और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में कई पहल की, जिसमें तीन नए नए राज्य विश्वविद्यालयों की स्थापना शामिल है। जून 2022 में सिसोदिया के खिलाफ स्कूलों और कक्षाओं के निर्माण को लेकर दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) में शिकायत दर्ज कराई गई । जुलाई 2022 से भ्रष्टाचार निरोधक प्राधिकरण और दिल्ली लोकायुक्त भी जांच कर रहा है।

जुलाई 2022 में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी 2021-22 की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की सिफारिश की। सीबीआई मामले की जांच कर रही है। और इसी जाँच के चलते मनीष सिसोदिया इन दिनों जेल में हैं। और मनीष सिसोदिया आप पार्टी के पहले मंत्री नहीं है। इससे पहले से ही दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन जेल में हैं। बीते 22 अगस्त को, सिसोदिया ने इस बात का एलान किया कि उन्हें इस मामले से छोड़ने के लिए और आप को विभाजित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी बहुत बड़ी धनराशि लगाने को तैयार है। और इस मामले की उनके पास रिकार्डिंग है। लेकिन आज तक सिसोदिया इस रिकार्डिंग को सार्वजनिक नहीं कर पाये। वह भी तब जब सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को आबकारी घोटाले में गिरफ़्तार कर लिया।

पूरी की पूरी आप पार्टी किस तरह आरोपों में फँसती नज़र आ रही

कहने को कह सकते हैं कि यह भारतीय जनता पार्टी और आप पार्टी का राजनीतिक द्वंद्व है। लेकिन केवल यह सच नहीं है। ये अधूरा सच हो सकता है । क्योंकि राजनीति कभी भी पूरे सच की तरफ़ नहीं जाती है। मनीष सिसोदिया को लग रहा हो कि उन्होंने ऐसा नहीं किया। पर उनकी पूरी की पूरी आप पार्टी किस तरह आरोपों में फँसती नज़र आ रही है। इस पर अरविंद केजरीवाल व उनके दूसरे साथियो को विचार करना चाहिए। अन्ना हज़ारे को भी यह कहना चाहिए कि आख़िर जिस आंदोलन को लेकर के इस पार्टी को खड़ा किया गया, क्या पार्टी उसी दलदल में फँस जायेगी। हालाँकि पार्टी को निकालने का ज़िम्मा जनता के पास तो है ही। जनता हर पाँच साल में अपने फ़ैसले लेती है। लेकिन राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि ज़िंदा क़ौमें पाँच साल तक इंतज़ार नहीं करतीं। इस लिए इस दलदल से उबरने के लिए या तो आप को खुद कोशिश करनी पड़ेगी या ज़िंदा क़ौमें कोशिश शुरू कर देंगी।

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