Manmohan Singh: मनमोहन सिंह के नाम पर क्यों हो रही सियासत,देश और दिल्ली की राजनीति में सिख फैक्टर कितना अहम
Manmohan Singh: कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देने के साथ ही अंतिम संस्कार के मौके पर भी राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय से लेकर निगमबोध घाट तक काफी सक्रिय दिखे।
Manmohan Singh: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का शनिवार को दिल्ली के निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके अंतिम संस्कार को लेकर सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस ने डॉ मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जमीन न दिए जाने पर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस देश के पहले सिख प्रधानमंत्री का अपमान बताया है।
दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि दुख की इस घड़ी में भी कांग्रेस राजनीति करने से बाज नहीं आ रही है। कांग्रेस ने डॉक्टर मनमोहन सिंह के जरिए सिखों के अपमान का यह मुद्दा ऐसे समय में उठाया है जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि दिल्ली और देश के अन्य राज्यों के चुनाव में सिख बिरादरी की क्या भूमिका है और यह बिरादरी कितनी अहम साबित हो सकती है।
मनमोहन के मुद्दे पर कांग्रेस और आप सक्रिय
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के निधन के बाद से ही कांग्रेस और पार्टी के बड़े नेता सोनिया गांधी,मल्लिकार्जुन खड़गे,राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने काफी सक्रियता दिखाई है। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देने के साथ ही अंतिम संस्कार के मौके पर भी राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय से लेकर निगमबोध घाट तक काफी सक्रिय दिखे। उन्होंने मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को कंधा भी दिया। अंतिम संस्कार के बाद उन्होंने केंद्र सरकार पर तीखा हमला भी किया। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह का जिस तरह अंतिम संस्कार हुआ, वो सिखों का अपमान है। भारत माता के महान सपूत और सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करवाकर वर्तमान सरकार की ओर से उनका सरासर अपमान किया गया है।
उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह हमारे सर्वोच्च सम्मान और समाधि स्थल के हकदार हैं। सरकार को देश के इस महान पुत्र और उनकी गौरवशाली कौम के प्रति आदर दिखाना चाहिए। आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि सिख समाज से आने वाले,पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त,10 वर्ष भारत के प्रधानमंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह जी के अंतिम संस्कार और समाधि के लिए बीजेपी सरकार 1000 गज जमीन भी न दे सकी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव पर निगाहें
सियासी जानकारों का मानना है कि डॉ.मनमोहन सिंह के नाम पर सिख समुदाय की राजनीति को गरमाने का प्रयास किया जा रहा है और इसका सबसे बड़ा कारण दिल्ली में जल्द ही होने वाला विधानसभा का चुनाव है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में सिखों की बड़ी भूमिका मानी जाती रही है। दिल्ली में सिख समुदाय की आबादी करीब चार फीसदी है और दिल्ली की नौ विधानसभा सीटों पर सिख समुदाय के लोग प्रत्याशियों की जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं।
दिल्ली की जिन सीटों पर सिख समुदाय की भूमिका अहम मानी जाती है, उनमें हरि नगर, कालकाजी, राजौरी गार्डन जैसी प्रमुख सीटें भी शामिल हैं। कालकाजी सीट से दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी चुनाव लड़ती हैं और आने वाले चुनाव में भी वे पार्टी की प्रत्याशी घोषित की गई हैं।
दिल्ली में सिख समुदाय कितना अहम
मनमोहन सिंह के दौर में सिखों का समर्थन कांग्रेस को मिला करता था मगर बाद में इस बिरादरी का रुख बदल गया। 2013 के विधानसभा चुनाव में सिखों का वोट कांग्रेस,आप और अकाली दल के बीच बंट गया था। पिछले दो विधानसभा चुनावों में सिख समुदाय ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को बड़ा झटका देते हुए आम आदमी पार्टी का एकतरफा समर्थन किया था।
दिल्ली में जल्द ही होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार सिख समुदाय के वोट पर आप और कांग्रेस के साथ ही भाजपा ने भी नजरे गड़ा रखी हैं। कांग्रेस और आप की ओर से इसीलिए मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को सियासी मुद्दा बनाया जा रहा है जबकि भाजपा की ओर से इस मुद्दे पर संभलकर जवाब दिया जा रहा है। भाजपा और सरकार का कहना है कि मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए सरकार को जमीन और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए।
पंजाब का समीकरण साधने की कोशिश
वैसे सिख समुदाय के नाम पर राजनीति इसलिए भी की जा रही है क्योंकि सिख समुदाय का वोट सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के कई अन्य राज्यों में भी काफी अहम माना जाता है। पंजाब में सिख समुदाय की आबादी करीब 58 फ़ीसदी है। पंजाब में पंजाब में विधानसभा की 117 सीटें हैं और इनमें से अधिकांश पर सिख विधायक ही चुने जाते रहे हैं। यहां पर अधिकांश मुख्यमंत्री भी सिख समुदाय के ही बनते रहे हैं।पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी को सिख समुदाय का व्यापक समर्थन मिला था और इस कारण पार्टी 90 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी। पार्टी ने पंजाब में कांग्रेस और भाजपा दोनों बड़े दलों को करारा झटका दिया था। पंजाब में सिख समुदाय को खुश करने के लिए कांग्रेस और आप दोनों दलों की ओर से मनमोहन सिंह के नाम पर खुलकर बैटिंग की जा रही है।
अन्य राज्यों में भी महत्वपूर्ण है सिख फैक्टर
वैसे पंजाब ही नहीं बल्कि हरियाणा और राजस्थान में भी सिख समुदाय का वोट काफी अहम माना जाता रहा है। हरियाणा में पंजाब सीमा से लगने वाले इलाकों में सिख समुदाय के मतदाता प्रत्याशियों की जीत-हार में प्रमुख भूमिका निभाते रहे हैं। हरियाणा में लोकसभा के चार और विधानसभा की 12 सीटों पर सिख समुदाय के वोटर की भूमिका अहम मानी जाती है।
राजस्थान में भी विधानसभा की सात सीटों पर सिख समुदाय का वोट काफी अहम माना जाता रहा है। वैसे सिख समुदाय के लोग देश के विभिन्न ने हिस्सों में फैले हुए हैं और राजनीतिक दलों के बीच उन्हें खुश बनाए रखने की होड़ लंबे समय से दिखती रही है। जानकारों का मानना है कि इसी कारण मनमोहन सिंह के नाम पर सिख राजनीति को उभारने का प्रयास किया जा रहा है।