Delhi Mayor Election: मेयर के चुनाव को लेकर मनोज तिवारी ने संकेतों में कह दी बड़ी बात, जानें क्या है समीकरण

Delhi Mayor Election: पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और दिल्ली के बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने भी संकेतों में मेयर के पद पर बीजेपी का दावा ठोंक दिया है।

Update: 2022-12-09 11:14 GMT

Manoj Tiwari hints regarding Delhi Mayor Election (Image: Social Media) 

Delhi News: दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भले ही बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है लेकिन पार्टी ने अब तक मेयर पद पर अपना दावा नहीं छोड़ा है। नतीजे के दिन से ही बीजेपी के नेता दिल्ली में अपना मेयर होने का दावा करते रहे हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और दिल्ली के बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने भी संकेतों में मेयर के पद पर बीजेपी का दावा ठोंक दिया है।

एक निजी न्यूज चैनल के कार्यक्रम में दिल्ली में बीजेपी का मेयर होने के सवाल पर उन्होंने कहा, दिल्ली के मेयर यहां के पार्षद चुनेंगे। बीजेपी के 104 पार्षदों के साथ सातों सांसद भी वोट करेंगे, वरिष्ठ नागरिक भी वोट करेंगे। बाद में आंकड़ा बदल सकता है। इसलिए मेयर चुनाव में कुछ भी हो सकता है। तिवारी के इस बयान ने दिल्ली मेयर के चुनाव को दिलचस्प बना दिया है।

आप के पार्षद नाखुश

कार्यक्रम में बीजेपी सांसद ने आम आदमी पार्टी के नवनिर्वाचित पार्षदों को लेकर बड़ा दावा कर दिया। उन्होंने कहा कि अब तक कई पार्षदों के फोन उन्हें आ चुके हैं, जो बीजेपी में आने के लिए तैयार बैठे हैं। लेकिन हमने उन्हें लेने से इनकार कर दिया है। हमने उन्हें कह दिया कि हमें नहीं मिलना, जो करना उधर ही करना।

आप ने लगाया था बीजेपी पर पार्षदों को प्रलोभन देने का आरोप

नतीजों के आने के बाद डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बीजेपी पर आप पार्षदों को प्रलोभन देने का आरोप लगाया था। उन्होंन कहा था कि बीजेपी का खेल शुरू हो गया। हमारे नवनिर्वाचित पार्षदों के पास फोन आने शुरू हो गये। हमारा कोई पार्षद बिकेगा नहीं। हमने सभी पार्षदों से कह दिया है कि इनका फोन आये या ये मिलने आयें तो इनकी रिकॉर्डिंग कर लें।

बीजेपी को चंडीगढ़ मॉडल से उम्मीद

एमसीडी चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो आम आदमी पार्टी को 134, बीजेपी को 104, कांग्रेस को 9 और अन्य को तीन सीटें मिली हैं। एमसीडी में बहुमत का आंकड़ा 126 है। बीजेपी और आप के बीच 30 सीटों का फासला है और बहुमत से 22 सीटों का फासला है। सूत्रों के मुताबिक, निर्दलीय और कुछ कांग्रेस पार्षद बीजेपी के संपर्क में हैं। चूंकि नगर निगम में दलबदल कानून लागू नहीं होता, इसलिए दूसरी पार्टियों को अपनी निष्ठा बदलने में जरा भी संकोच नहीं होता। आप को इसी बात का डर सता रहा है कि बीजेपी निर्दलीय, कांग्रेस और उनकी पार्टी के कुछ पार्षदों की मदद से हारी हुई बाजी को पलट सकती है। चंडीगढ़ नगर निगम में हुआ मेयर पद का चुनाव इसका उदाहरण है। जहां आप से पिछड़ने के बावजूद बीजेपी ने कांग्रेस के बागी पार्षदों की मदद से अपना मेयर बनवा लिया था। 

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