Akash Anand: क्यों बहनजी ने आकाश आनंद को चुना उत्तराधिकारी? सियासी मैदान में करना होगा कई चुनौतियों का सामना
Mayawati Successor Akash Anand: मायावती अपने उत्तराधिकारी के रूप में आकाश आनंद को तैयार कर रही हैं। इसी के मद्देनजर में उन्होंने हाल के दिनों में आकाश को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी सौंपी थीं।
Mayawati Successor Akash Anand: बहुजन समाज पार्टी में आकाश आनंद को लेकर काफी दिनों से लगाई जा रहीं अटकलें आखिरकार सच साबित हुई हैं। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने बड़ा कदम उठाते हुए रविवार को आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। आकाश मायावती के भाई आनंद कुमार के पुत्र हैं। आनंद की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी मगर आकाश ने अपनी बुआ की पार्टी से ही अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी।
उनकी राजनीति में एंट्री 2017 में हुई थी जब मायावती ने सहारनपुर की रैली में उन्हें सियासी मैदान में उतारा था। बसपा मुखिया मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित करके भविष्य की राजनीति का बड़ा संकेत दिया है। वैसे आनंद के लिए बसपा को मजबूत बनाने की सियासी राह काफी मुश्किल मानी जा रही है। हाल में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं था और अब आकाश आनंद को 2024 की सियासी जंग में बड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा।
बसपा की बैठक में मायावती का ऐलान
बसपा मुखिया और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आज पार्टी के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारियों और विभिन्न राज्यों के प्रमुख पदाधिकारियों की अहम बैठक बुलाई थी। इस बैठक में मायावती भतीजे आकाश आनंद को साथ लेकर पहुंची थीं। बैठक के दौरान मायावती ने सभी राष्ट्रीय पदाधिकारियों और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की महत्वपूर्ण जानकारी दी।
वैसे इस बात की अटकलें पहले से ही लगाई जा रही थीं कि मायावती अपने उत्तराधिकारी के रूप में आकाश आनंद को तैयार कर रही हैं। इसी के मद्देनजर में उन्होंने हाल के दिनों में आकाश को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी सौंपी थीं।
आखिर कौन हैं आकाश आनंद
आकाश आनंद ने अपनी स्कूली शिक्षा गुड़गांव में पूरी की है जबकि बाद में उन्होंने लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) की डिग्री हासिल की। सियासी मैदान में उनकी एंट्री 2017 में हुई थी जब वे सहारनपुर में मायावती की रैली में मंच पर दिखे थे। मायावती ने अपनी इस रैली के जरिए आकाश आनंद को सियासी मैदान में लॉन्च किया था। मायावती के इस कदम के बाद से ही यह तयमाना जा रहा था कि आने वाले दिनों में आकाश को बसपा में बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है।
चार राज्यों में सौंपी थी बड़ी जिम्मेदारी
2019 में उन्हें पार्टी का स्टार प्रचारक बनाया गया था। मौजूदा समय में आकाश आनंद बहुजन समाज पार्टी में नेशनल कोआर्डिनेटर की भूमिका निभा रहे हैं। मायावती ने आकाश को चार प्रमुख चुनावी राज्यों में पार्टी की रणनीति बनाने की अहम जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी थी। मायावती ने राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में प्रबंधन की अगुवाई आकाश आनंद को सौपी थी। उसके बाद से ही आकाश को मायावती के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा था।
बसपा का अच्छा नहीं रहा प्रदर्शन
मायावती की ओर से यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद आकाश आनंद ने पार्टी मुखिया के प्रति आभार जताते हुए कहा था कि वे शीर्ष नेतृत्व की ओर से जताए गए भरोसे और कार्यकर्ताओं के विश्वास पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे। हालांकि चुनाव के दौरान बसपा अपेक्षा के अनुरूप सीटें हासिल नहीं कर सकी मगर इसके बावजूद मायावती ने अपनी विरासत अपने भतीजे आकाश को सौंप दी है। मायावती ने यह कदम उठाते हुए पार्टी के कई अनुभवी नेताओं की अनदेखी भी की है। ऐसे में भविष्य में इन नेताओं का रुख भी देखने वाला होगा।
भतीजे को आशीर्वाद देने पहुंची थीं मायावती
आकाश आनंद की गत मार्च महीने में डॉ प्रज्ञा सिद्धार्थ के साथ शादी हुई थी। आकाश आनंद ने लंदन से एमबीए की डिग्री हासिल की है और उनकी पत्नी प्रज्ञा सिद्धार्थ मायावती के करीबी माने जाने वाले बसपा नेता अशोक सिद्धार्थ की बेटी हैं। अशोक सिद्धार्थ बसपा के एमएलसी और राज्यसभा के सदस्य रहे हैं और उन्हें मायावती का काफी खास माना जाता रहा है। आकाश आनंद की शादी में उन्हें आशीर्वाद देने के लिए बुआ मायावती भी पहुंची थीं। इस मौके पर देशभर से बसपा नेताओं का भारी जमावड़ा लगा था।
दलितों को बसपा से जोड़ने की जिम्मेदारी
मायावती के उत्तराधिकारी आकाश आनंद के लिए आगे की सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है। एक समय दलित वोट बैंक का पूरा जुड़ाव बसपा के साथ माना जाता था मगर अब वैसी स्थिति नहीं रह गई है। बसपा और दलितों के बीच बढ़ती दूरियों के कारण पार्टी को सियासी नुकसान भी उठाना पड़ा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी सिर्फ एक विधानसभा सीट पर सिमट गई थी।
ऐसे में दलितों के साथ ही ओबीसी और अन्य वर्गों के मतदाताओं को बसपा से जोड़ना आकाश के लिए बड़ी चुनौती होगी। भाजपा की ओर से चलाई जा रही लाभार्थी योजना का लाभ दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और सवर्णों सभी वर्गों को मिल रहा है और ऐसे में इस लाभार्थी वोट बैंक को तोड़ना भी आकाश के लिए आसान नहीं होगा।
2024 की जंग की चुनौतियां
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर आजाद जैसे नेता बसपा मुखिया मायावती को खुली चुनौती देते रहे हैं। ऐसे में पश्चिमी यूपी में बसपा को मजबूत बनाने की चुनौती भी आकाश के सामने होगी। उत्तर प्रदेश से बाहर अन्य हिंदी भाषी राज्यों में बसपा को मजबूत बनाना भी आकाश के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।
हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की बड़ी जीत के बाद अब जल्द ही 2024 की सियासी जंग लड़ी जानी है। इस सियासी जंग के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी दलों ने इंडिया नामक गठबंधन बना लिया है मगर बसपा मुखिया मायावती ने इस गठबंधन से दूरी बनाए रखी है।
मायावती ने अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सपा से गठजोड़ करके 10 सीटों पर जीत हासिल की थी मगर 2024 में अपने दम पर चुनाव लड़कर भाजपा,सपा और कांग्रेस की चुनौतियों से लड़ना आसान साबित नहीं होगा। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में आकाश आनंद अपनी सक्रियता से बसपा को मजबूत बनाने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।