Medicine Margin: 16 मई को दवाओं पर मार्जिन रखने के मुद्दे पर होगी बैठक
Medicine Margin:टीएमआर क्रमबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा और पहले चरण में 100 रुपए या इससे अधिक मूल्य की दवाएं शामिल की जा सकती है।
Medicine Margin: केंद्र सरकार के अन्य दूसरे विभागों के साथ दवा क्षेत्र के उद्योगपतियों के मौजूदगी में 16 मई को प्रस्तावित बैठक होगा। इस बैठक में दवा के कारोबार, मार्जिन को विशेष मुद्दा मानने के साथ दवा के मूल्य निर्धारण जैसे विषयों पर चर्चा की जाने की संभावना बनी हुई है। उद्योग जगत से मिली जानकारी के अनुसार अगले सप्ताह के इस होने वाले बैठक में केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडवीय और औषधि विभाग के अधिकारी भी भाग लेंगे। इनके अतिरिक्त राष्ट्रीय दावा मूल्य प्राधिकरण स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी भी इस बैठक में प्रतिभागी बनेंगे। इस बैठक में उद्योग संगठनों के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे।
सूत्रों का कहना है कि, चर्चा में टीएमआर (ट्रेड मार्जिन रेशनलाइजेशन) एक बड़ा मुद्दा होगा। मार्जिन के अलावा अगले बैचों में सेलिंग प्राइस के बदलाव करने पर भी चर्चा होगी। सेलिंग प्राइस को लागू करते समय एक ही कंपनी की एक दवा के कई ब्रांड होने पर एक ही मूल्य रखने के विचार पर भी चर्चा हो सकती है। केंद्र सरकार पिछले कुछ समय से बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर कारोबार मार्जिन को बनाने पर विचार कर रही है। इसका लक्ष्य इन दवाओं के कीमत को कम करना भी है।
टीएमआर क्रमबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा और पहले चरण में 100 रुपए या इससे अधिक मूल्य की दवाएं शामिल की जा सकती है। दवाओं के मूल्य पर फिलहाल कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। अगले सप्ताह होने वाली प्रस्तावित बैठक में इस विषय पर चर्चा होने की पूरी संभावना बनी हुई है।
ट्रेड मार्जिन रेशनलाइजेशन
दवा बनाने वाली कंपनियां जिस मूल्य पर थोक विक्रेताओं को दवाओं की बिक्री करती हैं उसे कारोबार मार्जिन कहा जाती है। थोक विक्रेता दवाएं फिर स्टॉकिस्टों और खुदरा विक्रेताओं (रिटेलर) को बेचते हैं और उसके बाद उपभोक्ता अधिकतम खुदरा मूल्य का भुगतान करते हैं। सूत्रों का दावा है कि सरकार ट्रेड मार्जिन 33-50 प्रतिशत के बीच तय कर सकती है। कारोबारी इकाइयों ने सरकार एवं एनपीपी से एनएलईएम दवाओं पर मौजूदा कारोबार मार्जिन में संशोधन पर विचार करने के लिए कहा है।