राज्यपाल किसानों के साथ: मोदी सरकार का फैसला बताया गलत, सुनें सत्यपाल मलिक को
सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से किसानों को नाराज न करने की गुजारिश की। उन्होंने कहा देश में किसान का बुरा हाल है।
बागपत: कृषि कानूनों को लेकर एनडीए में ही फूट पड़ने लगी है। किसानों ने आवाज उठानी शुरू की तो कई दल भाजपा से अलग हो गए। नए कृषि कानूनों पर बिल पास होने के बाद जहां केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने मोदी कैबिनेट से ही इस्तीफा दे दिया तो सबसे पुरानी समर्थक पार्टी अकाली दल ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया। वहीं अब भाजपा के वरिष्ठ नेता और मेघालय के राज्यपाल ने भी मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों को लेकर बड़ा बयान दिया।
बागपत में बोले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के अमीनगर सराय में रविवार को मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान अपने सम्बोधन में उन्होंने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन किया और कहा कि वे पीएम मोदी को कृषि कानूनों को लेकर समझा चुके हैं लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गयी।
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आंदोलनकारी किसान दिल्ली से न लौटे खाली हाथ
भाजपा नेता सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से किसानों को नाराज न करने की गुजारिश की। उन्होंने कहा देश में किसान का बुरा हाल है। किसान रोजाना गरीब हो रहा है। जबकि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन हर तीसरे साल बढ़ जाता है। सत्यपाल मलिक ने आगे कहा कि किसान जिसकी खेती करता है, वो सस्ता होता जा रहा है और जो खरीदता है वो महंगा हो जाता है।
मोदी-शाह से मिलकर समझा चुके सत्यपाल मलिक
उन्होंने कहा कि मैं भी किसान परिवार से हूं, इसलिए किसानों की तकलीफ समझता हूं। इसके साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि किसानों की समस्या हल कराने के लिए जहां तक जाना पड़ेगा, वह जाएंगे। वहीं उन्होने दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों से कहा कि वे खाली हाथ न लौटें। साथ ही सरकार से किसानों पर बल प्रयोग न करने की भी अपील की।
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बता दें कि बागपत भाजपा नेता सत्यपाल मलिक का गृह जनपद है। जहां कृषि कानूनों को लेकर किसान महापंचायतें हो रहीं हैं। किसान सरकार के खिलाफ खड़े हो गए है। ऐसे में सत्यपाल सिंह का बयान स्पष्ट करता है कि वह मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों से इत्तेफाक नहीं रखते और वह भी इसके खिलाफ किसानों के साथ है।
ऐसे में जहां कृषि कानूनों पर सरकार को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं पार्टी के अंदर भी नेताओं की बगावत दिखने लगी है। कई सहयोगी दल तो पहले ही कृषि कानूनों को लेकर एनडीए से किनारा कर लिए हैं।