Menstrual Leave: माहवारी के दौरान इन देशों में है छुट्टी का प्रावधान, अब भारत में भी उठी मांग

Menstrual Leave: जापान एशिया का पहला देश है जहां पर माहवारी के दैरान दी जाने वाली छुट्टी को श्रम कानून में शामिल किया गया है, वहां पर 1947 से ही ऐसी छुट्टी का प्रावधान है।

Written By :  Anant kumar shukla
Update: 2023-02-28 13:20 GMT

Menstrual Leave (Social Media)

Menstrual Leave: माहवारी के दौरान दर्द को देखते हुए कई देशों में महिलाओं को पेड छुट्टी का प्रावधान किया गया है। इसके लिए महीने में दो से तीन छुट्टी दिया जाता है। युनाइटेड किंगडम, चीन, वेल्स, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया जैसे देशों में महिलाओं की इस गंभीर समस्या को देखते हुए छुट्टी का प्रावधान किया गया है। यदि डॉक्टरों और अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओबर्ट्रेशियन एंड गायनाकॉलोजिस्ट की माने तो जिन महिलाओं को माहवारी होती है उन्हे महीने में एक या दो दर्द होता है। कुछ लोगों में इतना अधिक दर्द होता है कि वो अपना दैनिक कार्य भी सुचारु रूप से नहीं कर पाती हैं।

जाने स्पेन में कितने दिन छुट्टी का अधिकार है

स्पेन में महिलाओं को तीन दिन की छुट्टी का अधिकार दिया गया है। ये यूरोप का पहला देश है जहां माहवारी के दौरान पेड छुट्टी दी जाएगी। इसके लिए स्पेन की संसद में 16 फरवरी को विधेयक को मंजूरी दे दी गई है। स्पेन के मंत्री आयरीन मोंटेरो ने संसद में कहा कि इन अधिकारों के बिना महिलाएं पूर्ण रूप से नागरिक नहीं हैं। सरकार अतिरिक्त छुट्टियों का खर्च वहन करेगी।

जापान

जापान एशिया का पहला देश है जहां पर माहवारी के दैरान दी जाने वाली छुट्टी को श्रम कानून में शामिल किया गया है। वहां पर 1947 से ही ऐसी छुट्टी का प्रावधान है। पीरियड के दौरान परेशानी होने पर दो दिन की छुट्टी का प्रावधान है।

इंडोनेशिया

इंडोनेशिया ने माहवारी के दौरान छुट्टी के लिए साल 1948 में ही नीति लेकर आया था। याहां प्रावधान है कि जिन महिलाओं को पीरियड दौरान कोई परेशानी होती है तो उससे काम नहीं करवाया जा सकता है। दो दिन छुट्टी का प्रावधान है।

जाम्बिया

अफ्रीकी देश जाम्बिया में भी माहवारी के दौरान एक दिन की छुट्टी का प्रावधान है।

दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया सरकार 1953 में यह प्रावधान में ही आ गया था। तब से माहवारी के दौरान छुट्टी दी जा रही है।

जानें भारत में क्या है प्रावधान

अन्य देशों को देखते हुए अब भारत में पीरियड के दौरान छुट्टी की मांग उठने लगी है। लेकिन भारत में कुल सकल घरेलू उत्पाद में महिलाओं की भागीदारी 18 प्रतिशत है। यदि छुट्टी का प्रावधान किया जाता है तो अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। अभी हाल ही में शैलेंद्र मणि त्रिपाठी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को चीफ जस्टिस डॉ धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह नीतिगत मामला है। इस पर असहमति जताते हुए शैलेंद्र ने कहा कि कठिन समय में महिलाओं की देखभाल के लिए कानून में सभी प्रावधान हैं, इसके बावजूद जाने अंजाने में इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है जहां 1992 मे ही यह यह प्रावधान किया गया था। सुप्रीम कोर्ट की वकील सत्या मित्रा ने कहा कि ऐसे फैसलों से महिला कर्मचारियों के कार्यों पर असर पड़ सकता है।

भारत में इस समय कई कंपनियां माहिवारी के दौरान महिलाओं को पेड लीव दे रही हैं। महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली कई संस्थाएं इस दिशा में कार्य कर रही हैं। उनका कहना है कि जब नारी विकसित होगी, तभी देश विकसित होगा।

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