रायपुर। छत्तीसगढ़ में मिड डे मील में विकल्प के तौर पर अंडे बांटने का फैसला किया गया है। हालांकि अंडे बांटने के फैसले पर उपजे विवाद के कारण स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा है कि अंडा वितरण से पहले स्कूलों में आम सहमति बनाई जाए और जिन स्कूलों में आम सहमति न बन पाए, वहां अंडा पसंद करने वाले बच्चों के लिए अंडे उनके घर पर भेजे जाएंगे। विभाग ने इस संदर्भ में जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है।
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वैसे, अंडा देने के फैसले पर भाजपा सहित कई अन्य संगठनों ने विरोध दर्ज कराया है। कबीरपंथी लोग तो आंदोलन तक की चेतावनी दे चुके हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों में शाला विकास समिति और अभिभावकों की बैठक कराने के निर्देश दिए थे। कहा गया कि इन बैठकों में ऐसे छात्र-छात्राओं को चिन्हित किया जाए जो मिड डे मील में अंडा नहीं लेना चाहते। जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मिड डे मील तैयार करने के बाद अलग से अंडे उबालने या पकाने की व्यवस्था की जाए। अंडा खाना पसंद करने वाले छात्र-छात्राओं को मध्याह्न भोजन के समय अलग लाइन में बैठाकर उन्हें अंडे परोसे जाएं।
पत्र में कहा गया है कि जिन स्कूलों में अंडा बंटना हो, वहां शाकाहारी छात्र-छात्राओं के लिए अन्य प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ के तौर पर फ्लेवर्ड सोया दूध, सुगंधित दूध, प्रोटीन क्रंच, फोॢटफाइड बिस्किट, फोॢटफाइड सोयाबड़ी, सोया मूंगफली चिकी, सोया पापड़, फोॢटफाइड दाल इत्यादि विकल्प की व्यवस्था की जाए। अगर परेंट्स की बैठक में मिड डे मील में अंडा दिए जाने के लिए आम सहमति न बने, तो ऐसे स्कूलों में अंडे न परोसे जाएं, बल्कि अंडा पसंद करने वाले बच्चों के घर पर अंडे पहुंचाए जाएं।
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इसी साल जनवरी में बच्चों में प्रोटीन व कैलोरी की सप्लाई के लिए मिड डे मील के साथ हफ्ते में कम से कम दो दिन अंडा या दूध या इसके बराबर न्यूट्रीशन वाला खाद्य पदार्थ दिए जाने का सुझाव दिया गया था। इसके बाद राज्य में अंडा वितरण का विरोध शुरू हो गया था, इसलिए स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके लिए अब आम सहमति पर जोर दिया है।
सिर्फ एक तिहाई राज्यों में बंटता है अंडा
मिड डे मील में बच्चों को अंडा देने की व्यवस्था पूरे देश में लागू होनी थी लेकिन मात्र एक तिहाई राज्य ही ऐसा कर पाये हैं। सिर्फ दक्षिण और पूर्व के राज्यों के ही स्कूलों में अंडा बांटा जाता है। उत्तरी राज्यों में जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और बिहार के स्कूलों में ये स्कीम लागू हो पाई है वह भी आधे अधूरे ढंग से। यहां हफ्ते में सिर्फ एक दिन एक अंडा बांटा जाता है। आंध्र और तमिलनाडु में हर हफ्ते पांच अंडे बच्चों को दिये जाते हैं। महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में अंडा बांटा ही नहीं जाता। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने कहा है कि बच्चों के लिए अंडा एक संपूर्ण आहार है।