दूध का पैकेट करो इकट्ठा! होगा बंपर फायदा, जल्दी-जल्दी शुरू करें ये काम

देश के लगभग सभी राज्यों में प्लास्टिक के उपयोग और सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बैन करने के लिए भारत सरकार इस मुद्दे पर अहम कदम उठा रही है। 'से नो टू प्लास्टिक' योजना को आगे बढ़ाने के लिए पशुपालन और मत्स्य मंत्रालय बड़ी योजना बना रहा है।

Update: 2019-08-22 10:15 GMT

नई दिल्ली: देश के लगभग सभी राज्यों में प्लास्टिक के उपयोग और सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बैन करने के लिए भारत सरकार इस मुद्दे पर अहम कदम उठा रही है। 'से नो टू प्लास्टिक' योजना को आगे बढ़ाने के लिए पशुपालन और मत्स्य मंत्रालय बड़ी योजना बना रहा है।

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योजना के अनुसार, बाजार में बिकने वाला दूध प्लास्टिक की पॉलीथिन में मिलता है। लेकिन इस योजना के बाद उस पैकेट को रिसाइकिल किया जाएगा। इस योजना में पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक को ग्राहकों से वापस लेकर उसकी रिसाइक्लिंग की जाएगी और प्लास्टिक लौटाने पर ग्राहकों को दूध, दही, पनीर, छाछ, लस्सी या आइसक्रीम जैसी चीजों पर छूट दी जाएगी। यह योजना जनता के लिए थोड़ी मददगार हो सकती है। जनता को दूध के समानो की बढ़ती कीमतों से थोड़ी राहत मिल जाएगी और इससे प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को भी कम किया जा सकेगा।

2 अक्टूबर को योजना लागू होने की उम्मीद

पशुपालन और मत्स्य मंत्रालय के तरफ से प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए रिड्यूस, रिबेट और रि-यूज़ मॉडल को ध्यान में रखकर रोड मैप तैयार किया जा रहा है। इस योजना को आने वाले 2 अक्टूबर को लागू भी किया जा सकता है।

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प्लास्टिक को बैन करने की अपील पीएम मोदी ने की थी

पीएम मोदी ने 2 अक्टूबर से प्लास्टिक को बैन करने की अपील भी की थी। 'से नो टू प्लास्टिक कैंपेन' को लेकर पशु पालन मंत्रालय ने देश के तमाम मिल्क कॉपरेटिव फेडरेशन और प्राइवेट डेयरी प्रोड्यूसर के साथ मीटिंग की है। इसमें दूध और उससे जुड़े उत्पादों की पैकेजिंग में प्लास्टिक के उपयोग को कम करना, पैकेजिंग में इस्तेमाल प्लास्टिक को रिकलेक्ट कर उसकी रिसाइक्लिंग करने पर भी विचार किया गया है। इसमें रैपर की रिसाइक्लिंग में मदद करने वाले उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए पैकेजिंग मैटेरियल वापस करने के बदले उनको खरीदारी पर छूट देने की बात कही गई है। सरकार की योजना में कोशिश ये है कि उपभोक्ता रैपर को कूड़े का हिस्सा न बनाकर उसे संभाल कर पुनः मिल्क बूथ में वापस करे दें।

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भारत जैसे बड़े देश में मिल्क कॉपरेटिव संगठनों के अलावा निजी क्ष्रेत्र की डेयरी कंपनियों में रोजाना मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट में बड़े पैमाने पर पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक का प्रयोग होता है। इनमें ज़्यादातर रैपर इस्तेमाल के बाद कूड़े की तरह फेंक दिये जाते हैं। प्लास्टिक का यह कूड़ा प्रदूषण और इससे जुड़े दूसरे तरह से हैजर्ड पैदा करते है। पीएम के अपील के बाद कई स्तर पर प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने, रिसाइक्लिल करने और सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने की कोशिश की जा रही है। इससे पहले रेलवे ने भी ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाले पानी के बोतलों को रिकलेक्ट करने, सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बैन करने का आदेश जारी किया है।

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