Dr. APJ Abdul Kalam: सपना टूटने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, वैज्ञानिक से किस तरह बने राष्ट्रपति

Dr. APJ Abdul Kalam: अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (एपीजे अब्दुल कलाम) का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेष्वरम के धनुषकोडी गांव में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था।

Update:2024-10-15 13:07 IST

मिसाइन मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बायोग्राफी (न्यूजट्रैक)

Dr. APJ Abdul Kalam: देश के राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हिम्मत न हारकर सफलता की बुलंदियों तक पहुंचने की सीख देता है। उन्होंने भी अपने जीवन में बहुत कुछ खोया। लेकिन हिम्मत को कभी भी नहीं खोने दिया। अपनी मेहनत, लगन और उम्मीदों के बल पर उन्होंने सोच से बढ़कर सफलता हासिल की। उनका पूरा जीवन आने वाली भावी पीढ़ी को दिशा और प्रेरणा देती है। डॉ. अब्दुल कलाम का सपना फाइटर पायलट बनने का था। लेकिन दुर्भाग्यवश यह सपना पूरा नहीं हो सका। लेकिन उन्होंने खुद को टूटने नहीं दिया और जीवन लक्ष्य के पथ पर आगे बढ़ते रहे।

अब्दुल कलाम बेचा करते थे अखबार

अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (एपीजे अब्दुल कलाम) का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेष्वरम के धनुषकोडी गांव में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। अब्दुल कलाम के पिता मछुआरों को नाव किराये पर देने का काम करते थे। वह खुद भी हिंदुओं को नाव पर बिठाकर तीथ कराते थे। उनका परिवार बेहद गरीब था। बड़ी कठिनाई से परिवार का जीवन यापन होता था। ऐसे में अब्दुल कलाम ने परिवार की मदद करने के लिए अखबार बेचने का काम किया। गरीबी की वजह से उनके परिवार में न तो पढ़ाई का कोई माहौल था और न ही आर्थिक तौर पर कोई सुविधा ही थी। लेकिन फिर भी अब्दुल कलाम की पढ़ाई में दिलचस्पी थी। उन्होंने रामानाथपुर में अपनी शुरूआती पढ़ाई की। उनकी गणित और भौतिकी में बेहद रूचि थी।


फाइटर पायलट बनना चाहते थे अब्दुल कलाम

एपीजे अब्दुल कलाम जब कक्षा पांच में थे। तब उनके षिक्षक बच्चों को पक्षियों के उड़ने के तरीके के बारे में बता रहे थे। लेकिन बच्चों को समझ नहीं आया तो षिक्षक सभी छात्रों को समुद्र तट के किनारे ले गये और पक्षियों को दिखाकर अच्छी तरह से समझाया। पक्षियों को उड़ते देख नन्हें अब्दुल कलाम ने फैसला किया कि वह विमान विज्ञान की पढ़ाई करेंगे और फाइटर पायलट बनेंगे। अब्दुल कलाम ने 1954 में त्रिचिरापल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से भौतिकी विषय से स्नातक की डिग्री हासिल की। फाइटर पायरल बनने के लिए कलाम ने भारतीय वायुसेना में आठ पदों की भर्ती के लिए परीक्षा दी। लेकिन दुर्भाग्यवश वह नौवें स्थान पर आए और उनका फाइटर पायलट बनने का सपना टूट गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानीं।

टूटने के बजाय पढ़ाई रखी जारी

अब्दुल कलाम ने फाइटर पायलट की परीक्षा में फेल होने के बाद हिम्मत नहीं हारी और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोल़ॉजी से एरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। जिसके बाद उन्होंने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट सर्विस में सदस्यता हासिल की। अब्दुल कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमैंट में बतौर वैज्ञानिक के रूप करियर की शुरू की। इसके बाद डॉ. कलाम ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब्दुल कलाम इसरो में पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के प्रोजेक्ट निदेशक बने। जिसने रोहिणी सैटेलाइट को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने कई उपलब्धियों को अपने नाम किया।


उन्होंने पोलर सैटेलाइल लॉन्च व्हीकल के भी सफल परीक्षण में योगदान दिया। इसके बाद डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को बैलेस्टिक मिसाइल विकसित करने वाले प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलिएंट की जिम्मेदारी मिली। बाद में कलाम को ही इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम जैसे महत्वाकांक्षी अभियान के प्रमुख की भी जिम्मेदारी सौंपी गयी। जिसकी सफलता के बाद डॉ. कलाम को मिसाइल मैन के नाम से जाना जाने लगा।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में ही भारत ने पोखरण 2 के सफल परमाणु परीक्षण किया। जिस समय पर पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया उस समय डॉ. कलाम प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सचिव थे। साल 2002 में सरकार ने उनकी उपलब्धियों के चलते उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया और वह देश के 11वें राष्ट्रपति बन गये। 27 जुलाई 2015 को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने दुनिया से अलविदा कह दिया।

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