महंगा होगा फोन: अब लगेगा इतने प्रतिशत शुल्क, अभी ही खरीद लें

आईसीईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज महेंद्रू ने बयान में कहा, ‘इससे मोबाइल फोन की कीमतों में डेढ़ से तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।’ आईसीईए के सदस्यों में एप्पल, हुआवे, शियोमी, वीवो और विंस्ट्रॉन जैसी कंपनियां शामिल हैं।

Update: 2020-10-03 07:48 GMT
महंगा होगा फोन: अब लगेगा इतने प्रतिशत शुल्क, अभी ही खरीद लें

भारत में सभी चीज़ डिजिटल होने के कारण हम अब अपने फ़ोन पर निर्भर हो गए है। यही कारण है कि फ़ोन की बिक्री में काफी इजाफा हुआ है। आए दिन लोग नए-नए मॉडल को खरीदना पसंद करते है। लेकिन सरकार ने अब डिस्प्ले के आयात पर 10 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है, जिससे अब मोबाइल फोन के दाम तीन प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं।

एक अक्टूबर से लगना था शुल्क

शुक्रवार को इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने बताया कि डिस्प्ले असेंबली और टच पैनल पर यह शुल्क एक अक्टूबर से लगाए जाने का प्रस्ताव था। वर्ष 2016 में घोषित चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) के तहत उद्योग के साथ सहमति में इसे लगाने का प्रस्ताव किया गया था।

इन सभी फ़ोन पर लगेंगे शुल्क

बता दें, कि आईसीईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज महेंद्रू ने बयान में कहा, ‘इससे मोबाइल फोन की कीमतों में डेढ़ से तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।’ आईसीईए के सदस्यों में एप्पल, हुआवे, शियोमी, वीवो और विंस्ट्रॉन जैसी कंपनियां शामिल हैं। पीएमपी का उद्देश्य कलपुर्जों के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देना और उसके बाद इनके आयात को हतोत्साहित करना है। महेंद्रू ने आगे बताया कि 'कोविड-19 महामारी और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के ‘एम्बार्गो’ की वजह से उद्योग डिस्पले असेंबली के उत्पादन को पर्याप्त मात्रा में बढ़ा नहीं पाया। जिस कारण उद्योग उम्मीद के मुताबिक आगे नहीं बढ़ पाया। हम कलपुर्जों के घरेलू विनिर्माण को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हालांकि अब हमारा ध्यान वैश्विक बाजार में बड़ा हिस्सा हासिल करने पर है, सिर्फ आयात की ही भरपाई करने पर नहीं।

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2016 में कारखाने की स्थापना का प्रस्ताव

बता दें, कि 2016 में वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल प्रवर्तित वोल्कॉन इन्वेस्टमेंट्स ने ट्विनस्टार डिस्प्ले टेक्नोलॉजीज के नाम देश के पहले एलसीडी विनिर्माण कारखाने की स्थापना का प्रस्ताव किया था। जिसपर 68,000 करोड़ रुपये निवेश किया जाना था। लेकिन इस प्रस्ताव को किसी कारण सरकार से मंजूरी नहीं मिली जिसके बाद इस परियोजना को वही रोक दिया गया।

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