बनारस में मोदी को घेरने की कोशिश, कुर्मी व मुस्लिम वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर
आशुतोष सिंह
वाराणसी। लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सियासी मैदान सजने लगा है। एक ओर बीजेपी की अगुवाई में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन है तो दूसरी ओर सपा-बसपा की जोड़ी के अलावा कांग्रेस। सियासी मुकाबले के लिए पार्टियां भी जोरशोर से जुटी हुई हैं। हर बार की तरह इस बार भी सियासी रणनीतिकारों की नजरें अस्सी लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश पर टिकी हैं। कहा जाता है कि यूपी की 80 लोकसभा सीटें दिल्ली दरबार के लिए गेटवे की तरह है। यहां जीत हासिल करने वाली पार्टी ही दिल्ली की सत्ता पर राज करती है। इसी फॉर्मूले पर सभी पार्टियां आगे बढ़ रही हैं। 26 साल बाद सपा-बसपा का जहां एक ओर गठबंधन हुआ तो दूसरी ओर कांग्रेस ने मास्टरकार्ड चलते हुए प्रियंका को मैदान में उतार दिया है। यूपी में भी बनारस लोकसभा सीट सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इस सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। सभी पार्टियों की कोशिश यही है कि हर कीमत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा जाए। हालांकि मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में कौन सा चेहरा होगा, यह अभी तक फाइनल नहीं हुआ है।
बनारस से ही चुनाव लड़ेंगे मोदी
पिछले कुछ महीनों से इस बात की अटकलें लगाई जा रही थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपना संसदीय क्षेत्र बदल दें। जितनी मुंह उतनी बातें सामने आती रहीं, लेकिन बीजेपी ने हमेशा चुप्पी साधे रखी। अब जबकि चुनाव की घोषणा हो चुकी है, इस संशय से भी पर्दा उठ गया है। बीजेपी ने ऐलान कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से ही लोकसभा प्रत्याशी होंगे। दिल्ली में केंद्रीय बोर्ड की बैठक में इस बात पर मुहर भी लग गई है। दूसरे चुनाव क्षेत्र जाने की अटकलों को दरकिनार कर मोदी ने विरोधियों को जता दिया है कि वो भागने वालों में से नहीं हैं। इसके साथ ही यह भी तय हो गया कि इस बार भी सत्ता के केंद्र में उत्तर प्रदेश रहेगा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस से चुनाव लडऩे का मतलब पूरा फोकस यूपी है।
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मोदी के खिलाफ प्रत्याशी कौन
बनारस की मौजूदा सियासी तस्वीर को समझना जरूरी है। सपा-बसपा गठबंधन के तहत यह सीट सपा के खाते में गई है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी मोदी को घेरने में जुटी है। माना जा रहा है कि जल्द ही खुद प्रियंका गांधी यहां आएंगी और चुनावी तैयारियों की समीक्षा करेंगी। हर पार्टी की यही कोशिश है कि मोदी के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार उतारा जाए। सूत्रों के मुताबिक वाराणसी संसदीय सीट पर इस बार भी घमासान की संभावना है। पिछली बार यहां से नरेंद्र मोदी के सामने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल थे तो इस बार गुजरात के नेता हार्दिक पटेल के कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उतरने की चर्चा है। इस दांव को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने स्थानीय नेताओं से दिल्ली में बात की है। बताया जा रहा है कि इस रणनीति की कमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्वी जोन की प्रभारी प्रियंका गांधी ने संभाल रखी है। यह सब कुछ अचानक नहीं हुआ है बल्कि इसकी पूरी तैयारी पहले से ही की जा रही है। दो महीने पहले हार्दिक पटेल ने बनारस और मिर्जापुर का दौरा कर चुनावी जंग का आंकलन किया था। उन्होंने दोनों जिलों में प्रवास के दौरान कुर्मी और मुस्लिम बहुल इलाकों का भ्रमण भी किया। समझा जा रहा है कि वाराणसी संसदीय क्षेत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए हार्दिक पटेल मैदान में उतर सकते हैं।
कांग्रेस में बन रही रणनीति के तहत वाराणसी संसदीय क्षेत्र के रोहनिया और सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र से हार्दिक पटेल को बढ़त मिलने की उम्मीद है। ये दोनों ही विधानसभा क्षेत्र कुर्मी मतदाता बहुल है। वहीं शहर के अन्य तीन विधानसभा क्षेत्र कैंट, दक्षिणी और उत्तरी में मुस्लिम मतदाताओं में पैठ की आस है। कांग्रेस के स्थानीय दिग्गजों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रति मतदाताओं की नाराजगी भी हार्दिक को सीधे फायदा पहुंचा सकती है। बनारस में करीब ढाई लाख कुर्मी मतदाता है। इसके अलावा तीन लाख मुस्लिम मतदाता है। कांग्रेस की रणनीति है कि अगर इन दोनों ही वर्गों को जोड़ लिया जाए तो उनकी राह आसान हो जाएगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी को करीब पौने छह लाख वोट मिले थे। ऐसे में अगर कांग्रेस ने मेहनत कर दी तो उसे उम्मीद है कि वो मोदी को टक्कर दे सकती है। हालांकि जानकार बता रहे हैं कि कांग्रेस की राह इतनी आसान नहीं होगी।कांग्रेस जिन इलाकों में और जिन वर्गों पर दावा कर रही है, उसे बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है। मोदी ने इन इलाकों के लिए काफी काम किया है। चार गांवों को गोद लेने के साथ ही मोदी अपने हर दौरे में इन इलाकों में जनसभा करते रहे हैं। साथ ही इन इलाकों के विकास पर पानी की तरह पैसा बहाया गया है।
सपा प्रत्याशी को लेकर सस्पेंस
सपा-बसपा गठबंधन की ओर से कौन प्रत्याशी होगा, इसे लेकर अभी तक सस्पेंस बरकरार है। मोदी के खिलाफ प्रत्याशी को लेकर सपा वेट एंड वॉच की स्थिति में है। यह भी माना जा रहा है कि मोदी को घेरने की कांग्रेस की रणनीति कामयाब दिखी तो सपा अपरोक्ष रूप से उसे समर्थन दे सकती है। भले ही तरीका अमेठी या रायबरेली जैसा हो यानी सपा वाराणसी सीट से अपना प्रत्याशी ना उतारे। कुछ दिनों पहले हार्दिक पटेल ने अखिलेश यादव से मुलाकात भी कर चुके हैं। अगर ऐसा होता है तो सपा से गठबंधन के कारण बीएसपी का बेस वोट भी कांग्रेस के खाते में जुड़ सकता है। हालांकि इसकी संभावना कम दिख रही है। पिछले दिनों सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम वाराणसी के दौरे पर थे। उन्होंने साफ कहा कि मोदी के खिलाफ सपा मजबूत उम्मीदवार खड़ा करेगी। उन्होंने स्थानीय संगठन को चुनाव प्रचार में लग जाने को कहा है। उन्होंने कहा कि वक्त आने पर प्रत्याशी घोषित कर दिया जाएगा। कांग्रेस से गठबंधन ना करने का दूसरा कारण यह भी है कि मायावती और कांग्रेस के बीच तल्खियां बढ़ती जा रही हैं। प्रियंका गांधी के चुनावी मैदान में आने के बाद जिस तरह से कांग्रेस और बीएसपी में दूरियां बढ़ी हैं, उसके बाद अखिलेश यादव बीएसपी सुप्रीमो मायावती को नाराज करने की मुसीबत नहीं मोल लेना चाहेंगे। दरअसल बीएसपी ने साफ कह दिया है कि देश के किसी राज्य में कांग्रेस से उनकी पार्टी का गठबंधन नहीं होगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि सपा-बसपा गठबंधन अब अमेठी और रायबरेली में भी अपना उम्मीदवार खड़ा करने का मन बना रहा है।
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भीम सेना के चंद्रशेखर ने भी ठोकी ताल
मोदी के खिलाफ ताल ठोकने वालों में भीम सेना मुखिया चंद्रशेखर रावण भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने बनारस से खुद चुनाव लडऩे का मन बना लिया है। चन्द्रशेखर ने कहा है कि वह चाहते हैं कि मोदी चुनाव जीतकर यूपी से दिल्ली न पहुंचें। उनका कहना है कि वे पहले तो बनारस में मोदी के खिलाफ अपने संगठन से कोई मजबूत प्रत्याशी उतारने का प्रयास करेंगे और अगर प्रत्याशी न मिला तो वह स्वयं मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। भीम सेना पश्चिम की तरह पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती है। गाजीपुर, जौनपुर, मऊ और भदोही सरीखे जिलों में पार्टी ने अपना संगठन खड़ा कर लिया है। लिहाजा उसे लगता है कि अगर मोदी को सीधी टक्कर दी जाए तो पार्टी ज्यादा हाईलाइट हो जाएगी। इसके अलावा चंद्रशेखर मोदी को चुनौती देकर दलितों में एक बड़ा संदेश देने की कोशिश में जुटे हैं। चंद्रशेखर एससी-एसटी और अन्य मुद्दों के बहाने मोदी को घेरने के लिए बनारस आने का मन बना चुके हैं। उनका ये बयान उस वक्त आया जब उनसे मिलने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश की कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी मेरठ पहुंचीं। वहीं जानकार बता रहे हैं कि सियासी बिसात पर चंद्रशेखर रावण कांग्रेस का मोहरा हो सकते हैं। यही कारण है कि चुनाव के ऐलान के साथ ही प्रियंका गांधी चंद्रशेखर रावण से मिलने अचानकर मेरठ पहुंच गयी और दलितों के लिए उनके संघर्ष की जी भरके प्रशंसा की।
मोदी से रहा है हार्दिक का छत्तीस का आंकड़ा
हार्दिक पटेल और नरेंद्र मोदी का हमेशा ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है। हार्दिक पटेल गुजरात में पाटीदार आंदोलन से उभरकर आए युवा नेता हैं। उन्होंने गुजरात में पटेलों के लिए आरक्षण की मांग करते हुए 2015 में व्यापक स्तर पर आंदोलन किया। इस आंदोलन का मकसद शिक्षा और सरकारी नौकरियों में पाटीदारों को आरक्षण के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल कराना था। आंदोलन के वक्त से ही हार्दिक ने राज्य की भाजपा सरकार खिलाफ सख्त रुख अपनाया। उन्होंने गुजरात चुनाव में खुलकर भाजपा को हराने की अपील की। हार्दिक हाल ही में कथित सेक्स सीडी को लेकर भी विवादों में रहे। गुजरात के विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल ने बीजेपी के खिलाफ जमकर प्रचार किया। खासतौर से उनके निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे।