अडानी ग्रुप को मिला 45000 करोड़ का ठेका, मोदी सरकार पर उठे सवाल

एक बार फिर सरकार संदेह के घेरे में आ गई, इस बार मुद्दा अडाणी ग्रुप को पनडुब्बी ठेका देने के मामले पर नौसेना व रक्षा मंत्रालय आमने-सामने हैं। 45000 करोड़ के इस ठेके में 75-आई प्रोजेक्ट के लिए अडाणी डिफेंस व हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) की तरफ से आवेदन किया गया था।

Update: 2020-01-17 16:13 GMT

नई दिल्ली एक बार फिर सरकार संदेह के घेरे में आ गई, इस बार मुद्दा अडाणी ग्रुप को पनडुब्बी ठेका देने के मामले पर नौसेना व रक्षा मंत्रालय आमने-सामने हैं। 45000 करोड़ के इस ठेके में 75-आई प्रोजेक्ट के लिए अडाणी डिफेंस व हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) की तरफ से आवेदन किया गया था। इसे नौसेना ने रिजेक्ट कर दिया था, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के ज्वाइंट वेंचर्स को मौका देना चाहिए। यह प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया के तहत बड़ा प्रोजेक्ट है।

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एक खबर के अनुसार सबसे बड़े इस प्रोजेक्ट के तहत 5 आवेदन आए थे। इसमें नौसेना की एंपावर्ड कमेटी ने दो को चुना। इसमें मझगांव डॉक शिपबिलडर्स लिमिटेड और लारसन एंड ट्रूबो शामिल है। दोनों को सबमरीन के बारे में पता है। एंपावर्ड कमेटी के सुझाव पर सरकान ने इस प्रोजेक्ट के लिए अडाणी ग्रुप को चुना है। इस तरह सरकार और नौसेना के बीच विवाद की यही वजह है। कांग्रेस ने भी अडाणी ग्रुप को चुनने पर सरकार पर हमला बोला है। मोदी सरकार पर सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरेजवाला ने कहा है कि सरकार अपने दोस्तों को पिछे दरवाजे से मदद कर रही है। अडाणी ग्रुप को भले यह प्रोजेक्ट मिला है, लेकिन उसे इसका अनुभव नहीं है।

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