बैंकों में बड़ा बदलाव: मोदी सरकार करेगी ऐलान, अब होगा इनका निजीकरण

देश के बैंकों में बड़ा बदलाव हो सकता है। इसके लिए नीति आयोग ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है। इस सुझाव में ये है कि सरकार पब्लिक सेक्टर के तीन बैंकों का प्राइवेटाइजेशन कर दे।

Update: 2020-08-01 06:51 GMT
बैंकों में बड़ा बदलाव: मोदी सरकार करेगी ऐलान, अब होगा इनका निजीकरण

नई दिल्ली। देश के बैंकों में बड़ा बदलाव हो सकता है। इसके लिए नीति आयोग ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है। इस सुझाव में ये है कि सरकार पब्लिक सेक्टर के तीन बैंकों का प्राइवेटाइजेशन कर दे। इन बैंकों में पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल है। नीति आयोग के सुझावों में सभी ग्रामीण बैंकों के मर्जर का भी सुझाव दिया गया है। वहीं इसके साथ ही एनबीएफसी को भारी मात्रा में छूट देने की भी बात चल रही है।

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प्राइवेटाइजेशन की योजना

मोदी सरकार अपने आधे से भी अधिक पब्लिक सेक्टर बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की योजना बना रही है। सरकार की योजना ये है कि इनकी संख्या घटाकर 5 पर ले आया जाए।

ऐसे में इसकी शुरुआत सरकार द्वारा बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक के अपने शेयर्स बेचने से हो सकती है।

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पीएम मोदी ने बैठक भी की

बता दें, इस बारे में पीएम मोदी ने बैंकों और एनबीएफसी के प्रमुखों के साथ बैठक भी की थी और बैंकिंग सेक्टर को फिर से पटरी पर लाने के उपायों पर बातचीत भी की गई थी।

तीन बैंकों का प्राइवेटाइजेशन

जानकारी के लिए आपको बता दें कि बीते साल आईडीबीआई बैंक में भी हिस्सेदारी LIC को बेच दी थी। इसके बाद से ये बैंक प्राइवेट हो गया है। IDBI एक सरकारी बैंक था, जो 1964 में देश में बना था।

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ग्राहकों का क्या

साथ ही LIC ने IDBI में 21000 करोड़ रुपये का निवेश करके 51 प्रतिशत हिस्सेदारी ख़रीदी थी। इसके बाद LIC और सरकार ने मिलकर 9300 करोड़ रुपये IDBI बैंक को दिये थे। इसमें एलआईसी की हिस्सेदारी 4,743 करोड़ रुपये थी।

ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर ये बैंक प्राइवेट होंगे है तो आखिरकार ग्राहकों का क्या होगा? इस पर एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल बताते हैं कि इस फैसले से ग्राहकों पर कोई भी खास असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि बैंक की सेवाएं पहले की तरह ही एक जैसी ही रहती है।

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