मोदी सरकार का बड़ा एलान: किसानों को मिली ये सौगातें, होंगे ये फायदे

सामान्य धान की MSP को 1815 रुपए से बढ़ाकर 1868 रुपए प्रति क्विंटल करने की सिफारिश की है। इसी प्रकार कपास की MSP 260 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाने की सिफारिश की गई थी।

Update:2020-06-01 14:17 IST

नई दिल्ली: कोरोना कॉल में किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। फसलों में लगी लागत के हिसाब से किसानों को फायदा नहीं मिला है। किसानों के हित को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक ख़त्म हो चुकी है। सूत्रों से मिले जानकारी के अनुसार कैबिनेट की बैठक में धान, कपास और मक्का सहित खरीफ फसल के मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) को मंजूरी देने की बड़ी संभावना है।


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किसानों के लिए अब तक के बड़े फैसले

मोदी कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्रियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हो गई है जिसमे सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर फैसलों की जानकारी दे रहे हैं। जावड़ेकर ने कहा कि किसानों की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य की कुल लागत का डेढ़ गुना ज्यादा रखने का वादा सरकार पूरा कर रही है। खरीफ फसल 20-21 के 14 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी कर दिया गया है। इन 14 फसलों पर किसानों को लागत का 50-83% तक ज्यादा दाम हासिल होगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि प्रतिकूल समय में भी बंपर उत्पादन हुआ है। मक्का में 52 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। गांव, किसान, गरीब को लेकर सरकार काम कर रही है। 93 लाख मिट्रिक टन धान अब तक खरीदा गया है।

-प्रतिकूल समय में बंपर उत्पादन

-किसान जहां चाहेंगे फसल बेच सकेंगे

-किसानों के लिए कर्ज अदायगी की तारीख अगस्त तक बढ़ाई गई

-न्यूनतम समर्थन मूल्य से डेढ़ गुना कीमत देगी सरकार

- मछली पालन को बढ़ावा देनें के लिए 20 हजार करोड़ रुपये

-दलहन तिलहन की खरीद चल रही है

-कोरोना कॉल में किसानों को मिलेगा सस्ता लोन

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MSME को 20 हजार करोड़ लोन के प्रस्ताव को मंजूरी

मोदी कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हो गई है। किसान और उद्योग को लेकर कई अहम फैसले लिए गए हैं। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि MSME को 20 हजार करोड़ लोन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है, जिससे नौकरी के बढ़ेंगे अवसर। कैबिनेट के फैसले से करोड़ों किसानों को लाभ होगा । MSME की परिभाषा को संशोधित किया गया ।

-रेहड़ी-पटरी वालों को 10-10 हजार का लोन

-देश में 6 करोड़ MSME हैं

कमजोर उद्योगों को उभारने के लिए 4 हजार करोड़ का फंडः गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में 6 करोड़ MSME हैं। MSME से देश में 11 करोड़ से ज्यादा नौकरी मिली है। 25 लाख MSME के पुर्नगठन की उम्मीद है। छोटे सेक्टर में टर्नओवर सीमा 50 करोड़ किया है। गडकरी ने कहा कि MSME अभी कठिन दौर से गुजर रहा है। 2 लाख MSME नए फंड से शुरू किए जाएंगे। कमजोर उद्योगों को उभारने के लिए 4 हजार करोड़ के फंड को मंजूरी मिली है।

 


50,000 करोड़ रुपए की इक्विटी

बताया जा रहा है कि कैबिनेट MSME के आकार के साथ क्षमता के विस्तार के लिए फंड ऑफ फंड्स की बनाने की मंजूरी देने की घोषणा कर सकती है। इसके लिए सरकार 50,000 करोड़ रुपए की इक्विटी दे सकती है। फंड ऑफ फंड्स की स्थापना 10,000 करोड़ रुपए के फंड के साथ की जाएगी।

बता दें कि पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने कहा था कि सरकार ने फंड ऑफ फंड्स के जरिये एमएसएमई में 50,000 करोड़ का इक्विटी इन्फ्यूज़न करेगी। इससे एमएसएमई के आकार और क्षमता को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। एमएसएमई को परिभाषित करने के लिये निवेश की सीमा को भी 25 लाख से 1 करोड़ कर दिया गया है।

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खरीफ की फसलों की MSP बढ़ाने की गई सिफारिश

कोरोना वायरस संक्रमण के बीच केंद्र सरकार किसानों को राहत देने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार खरीफ फसल की खरीदारी के लिए MSP बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स एंड प्राइसेज ने अपनी सिफारिशें सौंप दी थी। CAPC ने खरीफ की 17 फसलों की एमएसपी बढ़ाने की सिरफारिश की थी। इसमें धान की फसल सबसे प्रमुख है।

धान की एमएसपी में 53 रुपए प्रति क्विंटल की हो सकती है बढ़ोतरी

सीएसीपी ने धान ग्रेड ए की एमएसपी को 2.9 फीसदी बढ़ाकर 1888 रुपए प्रति क्विंटल करने की सिफारिश की है। अगर सीएपीसी की सिफारिश को कैबिनेट की मंजूरी मिलती है तो धान की एमएसपी में 53 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो जाएगी। वहीं सामान्य धान की MSP को 1815 रुपए से बढ़ाकर 1868 रुपए प्रति क्विंटल करने की सिफारिश की है। इसी प्रकार कपास की MSP 260 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाने की सिफारिश की गई थी।

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शुगर सेक्टर पर भी हो सकती है बात

कैबिनेट की बैठक में अगर खरीफ फसलों की एमएसपी बढ़ाने को मंजूरी मिलती है तो कोरोना काल में किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। शुगर सेक्टर के लिए राहत पैकेज देने का प्रस्ताव कैबिनेट के एजेंडे में शामिल नहीं। अगर बैठक के दौरान प्रस्ताव पेश हो जाए तो अलग बात है।

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