Monsoon in Andhra: आंध्र में मानसून लाता है साथ में बेशकीमती पत्थर!
Monsoon in Andhra: मानसून हर साल जून में आता है और जुलाई और उसके बाद भी सक्रिय रहता है, यह न केवल किसानों के लिए बल्कि सभी के लिए सुकून और उम्मीदें लाता है।
Monsoon in Andhra: मानसून हर साल जून में आता है और जुलाई और उसके बाद भी सक्रिय रहता है, यह न केवल किसानों के लिए बल्कि सभी के लिए सुकून और उम्मीदें लाता है। लेकिन आंध्र प्रदेश के कुछ इलाकों में बारिश अपने साथ कीमती पत्थरों को भी लाती है। आंध्र प्रदेश के रायलसीमा रीजन में कुछ जगहें हीरे और अन्य बेशकीमती पत्थरों की खोज के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। बताया जाता है कि बरसात के साथ मिट्टी बहने पर लोगों को करोड़ों के हीरे दबे मिलते हैं।
खेतों में मिलते हैं हीरे
बारिश खेतों - मैदानों में जमीन की ऊपरी परत को धो देती है और जगह जगह हीरे जैसे चमकदार पत्थर ऊपर आ जाते हैं। यदाकदा इनमें कई पत्थर काफी कीमती भी निकल आते हैं। क्षेत्र में ऐसे कई किस्से प्रचलित हैं कि किस तरह कीमती पत्थरों ने लोगों की किस्मत बदल दी। इन्हीं किस्सों से प्रभावित हो कर हर साल बारिश के शुरुआती दिनों में आंध्र और पड़ोसी राज्यों में जगह जगह से लोग इन क्षेत्रों में खेतों में हीरे ढूंढने के लिए आ जाते हैं। इस तरह की खोज के लिए अनंतपुर और कुरनूल जिले काफी प्रसिद्ध हैं। कुरनूल जिले की सीमा पर स्थित।जोन्नागिरी और वज्रकरूर गांवों के क्षेत्रों में कीमती पत्थर काफी पाए जाते हैं।
करोड़ों के हीरे
जगह जगह से आये "हीरे के शिकारी" गूटी शहर में लॉज और रेलवे स्टेशन में ठहरते हैं। ये शिकारी सुबह 6 बजे से खेतों और मैदानों में काम करना शुरू कर देते हैं और रात 8 बजे तक हीरे और कीमती पत्थरों की खोज में जुटे रहते हैं। लोकल अखबारों की रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में तीन 'हीरे के शिकारियों' ने जोन्नागिरी गांव में करीब ढाई करोड़ रुपये कीमत के पत्थर पाए। लोकल लोगों के अनुसार, पूरा ऑपरेशन आम तौर पर एक रहस्य होता है। जो लोग कीमती पत्थरों को ढूंढते हैं उन्हें उनके वास्तविक मूल्य के बारे में पता नहीं होता है। असली कीमत तो इन पत्थरों को खरीदने वाले व्यापारी लगाते हैं। ऐसे में कोई व्यापारी कुछ भी कीमत लगा सकता है।
बारिश का सीज़न
बारिश के सीजन में बहुत से लोग पूरे परिवार सहित अनंतपुर और कुरनूल जिलों के कई स्थानों में हीरे की खोज के लिए डेरा जमा लेते हैं। जून से सितंबर के बीच लोग तंबुओं में रहते हैं और कीमती पत्थर खोजते हैं। बहुत से लोग हीरे के शिकार के लिए प्राचीन मंदिरों के आसपास के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि विजयनगर साम्राज्य के श्रीकृष्णदेवराय और उनके मंत्री तिम्मारुसु ने मंदिरों के पास हीरों और सोने के गहनों का एक बड़ा खजाना छिपा दिया था।कुछ साल पहले, कुछ विदेशी फर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की एक टीम ने अपने अन्वेषण के हिस्से के रूप में इन क्षेत्रों में उत्खनन का निरीक्षण किया। एक विदेशी कंपनी ने नल्लामाला जंगल के पास महानंदी और महादेवपुरम में 50 एकड़ जमीन पट्टे पर ली और पिछले पांच वर्षों से भारी मशीनरी का उपयोग करके खुदाई कर रही है।