दिल्ली पर मंडरा रहा खतरा! NASA ने देश की राजधानी को लेकर किया बड़ा दावा

NASA को उम्मीद है कि इस बार पराली 200 मीट्रिक टन ज्यादा निकलेगा, जिसकी वजह से प्रदूषण और होगा। नासा का कहना है कि 2 किलोग्राम सल्फर डाईऑक्साइड (SO2), 3 किलोग्राम पर्टिकुलेट मैटर (PM), 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), 1,460 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड (CO2) और 199 किलोग्राम राख परानी जलाने से पैदा होती है।

Update:2023-08-11 17:19 IST
दिल्ली पर मंडरा रहा खतरा! NASA ने देश की राजधानी को लेकर किया बड़ा दावा

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर के लोग अब जल्द ही अपने चेहरे पर मास्क के साथ नजर आएंगे। दरअसल ठंड का मौसम शुरू होने वाला है और यह मौसम अब लोगों अपने-अपने घरों में कैद कर देगा। बता दें, ठंड के मौसम में दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो जाती है, जिसकी वजह से यहां रह रहे लोगों का जीवन काफी अस्त-व्यस्त हो जाता है। आलम ये हैं कि लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

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वहीं, राष्ट्रीय राजधानी के लोगों को बदलती स्थितियों के मद्देनजर एक सलाह दी गई है, जिसमें कहा गया है कि वह प्रदूषित हवा से दूर रहें। सलाह में ये भी कहा गया कि सुभा और शाम को सैर पर जाने वाले लोग अब सैर बंद कर दें और अगर सांस लेने में दिक्कत तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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दिल्ली-NCR में आज यानि 14 अक्टूबर 2019 को PM2.5 का स्तर 121 है। ये आंकड़े SAFAR (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) ने जारी किए हैं। यह आंकड़े बेहद खराब श्रेणी में आते हैं, जबकि कल यानि 15 अक्टूबर को यह 129 होने संभावना है। आगे भी हालात और बिगड़ सकते हैं। 3 दिन बाद यह 136 के अंक पर चली जाएगी। वहीं, PM10 का स्तर आज यानी 14 अक्टूबर 2019 को दिल्ली-NCR में 258 है। कल यानि 15 अक्टूबर को यह 234 और तीन दिन बाद 277 अंक हो जाएगा। मतलब हवा में जहर की मात्रा बढ़ जाएगी।

क्यों रहा है ऐसा?

दरअसल इस साल बारिश करीब 10 प्रतिशत से ज्यादा हुई है, जिसकी वजह से चावल की खेती के लिए दिल्ली के पड़ोसी राज्यों को भरपूर मात्रा में पानी मिला। इस साल मॉनसून देर से आया था और जब बारिश हुई तो दिल्ली के साथ आसपास के राज्यों और इलाकों में भी भरपूर मात्रा में हुई। अब मॉनसून देर से आया, जिसकी वजह से चावल और अन्य फसलों की पैदावार बंपर हुई। अब इन फसलों की पराली को जलाया जा रहा है, जिसकी वजह से दिल्ली की हवा जहरीली हो जाएगी।

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बता दें, पराली पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान में जलाया जा रहा है, जिसको लेकर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने कहा कि 1 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक 1645 जगहों पर पराली जलाने की घटना दिखी है। वहीं, इस बात की पुष्टि SAFAR ने भी की और बताया कि पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान में पराली जलाई जा रही है। हवा की दिशा दिल्ली की तरफ है, इसलिए पराली का धुआं दिल्ली की हवाओं में मिल रहा है।

क्या है NASA की आशंका?

NASA के नॉर्मेलाइज्ड डिफरेंस वेजीटेशन इंडेक्स (NDVI) दुनियाभर में फसलों की पैदावार का आंकड़ा जुटाता है। NASA के अनुसार, 2002 से 2018 तक हर साल पराली जलाने की घटनाओं में इजाफा हो रहा है। सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटना 2016 में दर्ज हुई थी। 2016 में पराली जलाने की 18 हजार घटनाएं हुई थीं। NASA को आशंका है कि इस साल 16 हजार के आसपास ये आंकड़ा पहुंचेगा।

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NASA को उम्मीद है कि इस बार पराली 200 मीट्रिक टन ज्यादा निकलेगा, जिसकी वजह से प्रदूषण और होगा। नासा का कहना है कि 2 किलोग्राम सल्फर डाईऑक्साइड (SO2), 3 किलोग्राम पर्टिकुलेट मैटर (PM), 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), 1,460 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड (CO2) और 199 किलोग्राम राख परानी जलाने से पैदा होती है। ऐसे में 200 मीट्रिक टन पराली तो और खतरनाक है।

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