Mukhtar Abbas Naqvi: मुख़्तार अब्बास नक़वी का पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनना तय!

Mukhtar Abbas Naqvi: इन अटकलों को हवा तब और मिली जब दिल्ली से बीजेपी सांसद हंसराज हंस ने उन्हें वेस्ट बंगाल के नए गवर्नर के तौर पर अग्रिम बधाई सोशल मीडिया पर दे डाली थी।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-08-03 13:50 IST

मुख़्तार अब्बास नक़वी (photo: social media) 

Mukhtar Abbas Naqvi: पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी सियासी विद्वानों के लिए एक पहेली बन चुके हैं। जब से बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं बनाया, तब से उन्हें लेकर कयासों का दौर जारी है। लेकिन अब तक उनके लिए सियासी पंडितों द्वारा जो भी कयास लगाए गए सारे धरे के धरे रह गए है। एक बार फिर उनकी सियासी भविष्य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। इस पर उनके पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनने की चर्चा है।

इस अटकलों को हवा तब और मिली जब दिल्ली से बीजेपी सांसद हंसराज हंस ने उन्हें वेस्ट बंगाल के नए गवर्नर के तौर पर अग्रिम बधाई सोशल मीडिया पर दे डाली थी। उनका ये ट्वीट खासा वायरल हुआ था। हालांकि, बीजेपी आलाकमान ने इस बारे में कोई औपचारिक निर्णय अभी तक नहीं लिया है। इसलिए उन्हें ये अपना सोशल मीडिया पोस्ट बाद में डिलीट करना पड़ा था। लेकिन सियासी गलियारों में नकवी के बंगाल के राजभवन में जाने की चर्चा जोरों पर है। बीजेपी के अंदरखाने की खबर रखने वाले लोगों का भी मानना है कि पार्टी के कद्दावर मुस्लिम चेहरे मुख्तार अब्बास नकवी को बंगाल का राज्यपाल बनाया जाना करीब-करीब तय है।

नकवी को बंगाल का राज्यपाल क्यों बनाएगी बीजेपी

हिंदुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी में दो मुस्लिम नेता ऐसे हैं, जिनकी राष्ट्रीय पहचान है और जो केंद्र में मंत्री के साथ – साथ संगठन में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं। वो हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और बिहार सरकार में उद्योग मंत्री शहनवाज हुसैन। 53 वर्षीय हुसैन को बीजेपी केंद्र की राजनीति से हटाकर वापसबिहार की राजनीति में भेज चुकी है। वहीं अब बारी 64 वर्षीय मुख्तार अब्बास नकवी की है। नकवी ने लंबे समय तक बीजेपी में प्रवक्ता की भूमिका निभाई है और जिस तरह से उन्होंने पार्टी पर लगने वाले सांप्रदायिक राजनीति करने के आरोपों का जवाब दिया है, उससे आलाकमान काफी प्रभावित रहा है।

बीजेपी उनके लंबे सियासी अनुभव और शानदार वाकपटुता का इस्तेमाल ममता बनर्जी जैसी तेजतर्रार सियासी प्रतिद्वंदी के खिलाफ करना चाहती है। इतने लंबे सियासी करियर के बाद भी उनकी छवि बेदाग है। ऐसे में शिक्षक भर्ती घोटाले समेत कई अन्य स्कैमों के कारण बैकफुट पर नजर आ रहीं सीएम ममता बनर्जी का उनके खिलाफ मोर्चा खोलना कठिन होगा। जैसे – जैसे लोकसभा चुनाव की तारीख करीब आएगी, बंगाल की राजनीति दिलचस्प होते जाएगी। ऐसी सूरत में वहां के राजभवन की भूमिका भी काफी अहम होने वाली है। इसके अलावा बंगाल में मुस्लिमों की अच्छी खासी आबादी है, ऐसे में नकवी बंगाली मुस्लिमों और बीजेपी के बीच पुल का काम कर सकते हैं। जो सीएए और एनआरसी को लेकर बीजेपी को संदेह की नजर से देख रहा है।

नकवी को लेकर लगने वाली अटकलें

राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने जैसे ही मुख्तार अब्बास नकवी का टिकट काटा, उनके सियासी भविष्य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया। तमाम सियासी पंडित आसन्न रामपुर लोकसभा उपचुनाव में उनके चुनाव लड़ने की भविष्यवाणी करने लगे क्योंकि नकवी यहां से सांसद रह चुके हैं। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद उनके उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के बारे में चर्चा होने लगी। अखबरों और पोर्टलों में ऐसे लेख छपने लगे कि बीजेपी आखिर क्यों उन्हें उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाएगी कई वजनदार तर्क इसके पक्ष में दिए गए। लेकिन पश्चिम बंगाल के मौजूदा राज्यापल जगदीप धनखड़ को एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा के बाद एक बार फिर ये कयास भी धरे के धरे रह गए। अब नकवी के बंगाल के राजभवन जाने की बात कही जा रही है। हालांकि, बीजेपी आलाकमान की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई।

बता दें कि मुख्तार अब्बास नकवी ने मोदी मंत्रिमंडल में इकलौते मुस्लिम मंत्री थे। वह सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे। उनके जाने के बाद सरकार में कोई मुस्लिम मंत्री नहीं है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का प्रभार केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी संभाल रही हैं।

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