तेज प्रताप सिंह
गोंडा : उच्चतर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्वायतशासी संस्था राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के शैक्षिक गुणवत्ता का अध्ययन करेगी। अब ग्रेडिंग और मूल्यांकन में बहानेबाजी नहीं चलेगी, क्योंकि वर्ष 2022 तक देश के सभी विश्वविद्यालय और कालेजों को नैक एक्रिडेशन लेना अनिवार्य किया गया है। खराब गुणवत्ता वाले उच्च शिक्षा संस्थानों को अनुदान नहीं दिया जाएगा। जिले के लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय एवं आचार्य नरेंद्र देव कृषि पीजी कालेज बभनान सहित अवध विश्वविद्यालय से सम्बध सभी स्वपोषित व सहायता प्राप्त 600 महाविद्यालय इसके दायरे में आएंगे।
कालेजों के लिए जरूरी होगा नैक एक्रिडेशन
पारदर्शी और सुविज्ञ बाह्य समीक्षा प्रक्रिया के माध्यम से उच्च शिक्षा में मूल्यांकन तथा प्रमाणन गुणवत्ता आश्वासन के प्रभावी साधन हैं, जिनसे भारत और विदेश के संस्थानों में विद्यार्थियों के आदान-प्रदान में सहायता मिलती है। इसीलिए वर्ष 2022 तक देश के सभी विश्वविद्यालय और कालेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद (नैक) एक्रिडेशन लेना अनिवार्य किया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 2022 तक सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों को नैक एक्रिडेशन का दर्जा देने का लक्ष्य रखा है। इसी के तहत यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को पत्र भी लिखा है। इसमें कहा गया है कि वे नैक एक्रिडेशन लेने के लिए रिसर्च, विद्यार्थियों की संख्या, शिक्षकों के पदों को भरने समेत शिक्षा गुणवत्ता पर खास फोकस करें।
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मेंटर की भूमिका निभाएंगे बड़े विश्वविद्यालय
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं उसमें नैक एक्रिडेशन (क्रेडिट या मान्यता प्रदान करने वाला कार्य) के नियमों व शर्तों को भी शामिल किया गया है। इसके तहत सभी संस्थानों को 2022 तक कम से कम 2.5 प्राप्तांकों के साथ नैक एक्रिडेडन लेना अनिवार्य है। पत्र के अनुसार, बड़े विश्वविद्यालय इस प्रक्रिया में छोटे विश्वविद्यालयों व कालेजों के लिए मेंटर की भूमिका निभाएंगे। मेंटर बनने के लिए नैक एक्रिडेशन में 3.26 या उससे अधिक अंक होने जरूरी हैं। वे छोटे विश्वविद्यालयों व कालेजों को नैक एक्रिडेशन लेने में मदद करेंगे। इसके बदले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) उन्हें 30 लाख रुपये तक की मदद भी करेगा।
क्या है एक्रिडेशन
मूल्यांकन एवं प्रत्यायन को मूलत: किसी भी शैक्षिक संस्था की गुणवत्ता की स्थिति को समझने के लिए प्रयोग किया जाता है। वास्तव में यह मूल्यांकन यह निर्धारित करता है कि कोई भी शैक्षिक संस्था या विश्वविदद्यालय प्रमाणन एजेंसी के द्वारा निर्धारित गुणवत्ता के मानकों को किस स्तर तक पूरा कर रही है। नैक के माध्यम से सभी स्वपोषित व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों का सिर्फ मूल्यांकन कराया जाएगा। नैक के विशेषज्ञों की टीम शैक्षिक प्रक्रियाओं में संस्था का प्रदर्शन, पाठ्यक्रम चयन एवं कार्यान्वयन, शिक्षण अधिगम एवं मूल्यांकन तथा छात्रों के परिणाम, संकाय सदस्यों का अनुसंधान कार्य एवं प्रकाशन, बुनियादी सुविधाएं तथा संसाधनों की स्थिति, संगठन, प्रशासन व्यवस्था, आर्थिक स्थिति तथा छात्र सेवाएं आदि कुल सात बिन्दुओं पर जांच करके देखेगी कि कालेज मानकों के दायरे में आते हैं अथवा नहीं। नैक टीम के विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर सम्बन्धित विश्वविद्यालय अथवा महाविद्यालय को ए-उत्कृष्ट, बी-अच्छा, सी-संतोषजनक अथवा डी-असंतोषजनक ग्रेड दिया जाएगा। इसी आधार पर उन्हें ग्रांट या सहायता का लाभ मिलेगा। असंतोषजनक ग्रेड की स्थिति में वह इस दायरे के बाहर हो जाएंगे।
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अभी क्या है स्थिति
आंकड़ों के अनुसार, देश के 350 विश्वविद्यालयों और 30 हजार कालेजों में नैक एक्रिडेशन नहीं है। इन विश्वविद्यालयों और कालेजों ने इसके लिए आवेदन भी नहीं किया है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय मानकों के तहत सभी संस्थानों को रैकिंग में शामिल होने के लिए नैक एक्रिडेशन अनिवार्य है। अभी तक यूजीसी उच्च शिक्षा संस्थानों की ग्रेडिंग करती थी। इसलिए देश स्तर पर यूनिवर्सिटी में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नैक से ग्रेडिंग कराने का फैसला किया गया है।
शैक्षिक गुणवत्ता में आएगा सुधार
लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय के बीएड विभागाध्यक्ष डा. श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि देश में उच्च शिक्षा को बढ़ावा जरूर मिला। लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा नहीं मिल सका। तमाम विदेशी शैक्षिक संस्थान जल्द ही देश में दस्तक देने वाले हैं ऐसे में उनकी तुलना में हम पिछड़ जाएंगे। अंतराष्ट्रीय स्तर की तुलना में यूजीसी ने एक संस्था बनाई है जो उसी स्तर का शिक्षा का मानदंड यहां के विद्यालयों में स्थापित करेगा। जो भी स्वपोषित व सहायता प्राप्त महाविद्यालय 2022 तक एनएएसी के इन मानदंडों पर खरा नहीं उतरेगा उन्हें यूजीसी ग्रांट अनुदान नहीं देगी। उच्च शिक्षा में यह व्यवस्था लागू होने पर शैक्षिक गुणवत्ता में काफी सुधार आएगा।