E-Census: 18 साल का होते ही अब खुद-ब-खुद वोटर लिस्ट में जुड़ जाएगा आपका नाम, 2024 से पहले सरकार का खास प्लान तैयार

E-Census: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक ऐसा बिल लाने जाने जा रही है, जिसके पास होते ही देश के किसी भी नागरिक को वोटर आईडी कार्ड बनवाने की जरूरत नहीं होगी। वह जैसे ही 18 साल का होगा खुद-ब-खुद उसका नाम मतदाता सूची में जुड़ जाएगा। इतना ही नहीं किसी की मुत्यु होने पर अपने आप ही उसका नाम वोटर लिस्ट से कट जाएगा।

Update:2023-05-24 00:02 IST
फाइल फोटो- अमित शाह और नरेंद्र मोदी (साभार- सोशल मीडिया)

E-Census: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक ऐसा बिल लाने जाने जा रही है, जिसके पास होते ही देश के किसी भी नागरिक को वोटर आईडी कार्ड बनवाने की जरूरत नहीं होगी। वह जैसे ही 18 साल का होगा खुद-ब-खुद उसका नाम मतदाता सूची में जुड़ जाएगा। इतना ही नहीं किसी की मुत्यु होने पर अपने आप ही उसका नाम वोटर लिस्ट से कट भी जाएगा। जनगणना भवन का उद्घाटन करते हुए इसकी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दी। उन्होंने बताया कि मानसून सत्र में सरकार संसद में एक बिल लेकर आएगी, जिसमें बर्थ और डेथ रजिस्टर को वोटर लिस्ट से जोड़ने का प्रावधान होगा। सदन में बिल पास होते ही यह कानून बन जाएगा।

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार अब इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जनगणना कराएगी। इसमें हर व्यक्ति को डाटा भरने का अधिकार होगा। इसमें सामाजिक-आर्थिक स्थिति के 35 से अधिक मापदंडों को शामिल किया गया है। इस डाटा का सत्यापन और ऑडिट भी होगा। उन्होंने बताया कि सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही है कि जैसे ही एक व्यक्ति 18 वर्ष का होगा, उससे सूचना लेकर चुनाव आयोग वोटर कार्ड बना देगा। किसी की मृत्यु होने पर जनगणना रजिस्ट्रार से चुनाव आयोग के पास इसकी सूचना जाएगी और प्रक्रिया के तहत उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा।

विकास के लिए जरूरी हैं आंकड़े

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जनगणना के सही-सही आंकड़े किसी भी देश के लिए जरूरी होते हैं। उन्हीं के आधार पर विकास की मूल योजना को बनाई जा सकती है। ताकि वंचितों और शोषितों को आधारभूत सुविधायें मुहैया हो सकेंगी और उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाई जा सकेंगी। गृहमंत्री ने कहा कि जनगणना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें अगर सबकुछ दुरुस्त हो, सारे कागज सही हों, सब डेटा मौजूद हों तो ये विकास के एजेंडे का आधार बन सकती है।

खुद जुड़ जाएगा नाम

अमित शाह ने कहाकि पहले जनगणना सटीक नहीं थी, जनगणना और विकास की योजना बनाने वाले लोगों के बीच कोई कड़ी नहीं थी। 1981 से अभी तक सभी जनगणनाओं के इतिहास को एक पुस्तक में संकलित करके प्रकाशित किया गया है। लेकिन अब मोदी सरकार एक ऐसी व्यवस्था करने जा रही है, जिसके तहत मतदाता सूची में खुद-ब-खुद लोगों का नाम जुड़ जाएगा, साथ ही उनकी मौत पर होने पर नाम कट जाएगा।

जियोफेंसिंग सुविधा से लैस

नए जनगणना भवन के साथ ही अमित शाह ने जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के लिए एक वेब पोर्टल का भी उद्घाटन किया। जनगणना रिपोर्ट का एक संग्रह, जनगणना रिपोर्ट का एक ऑनलाइन बिक्री पोर्टल और जियोफेंसिंग सुविधा से लैस एसआरएस मोबाइल ऐप का उन्नत संस्करण की भी शुरुआत की गई। उन्होंने कहाकि जियोफेंसिंग से लैस मोबाइल एप्लीकेशन यह सुनिश्चित करेगा कि दर्ज किए गया डाटा सटीक है।

कैसे होगी जनगणना?

अमित शाह ने पिछले वर्ष ही बताया था कि अगली जनगणना पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक होगी जो 100 फीसदी सटीक होगी। इसी डाटा के आधार पर ही अगले 25 साल के लिए विकास योजनाएं बनाई जाएंगी। ई-जनगणना के लिए एक सॉफ्टवेयर बनेगा। इसकी मोबाइल एप्लीकेशन भी तैयार होगी, जिसकी मदद से लोग घर बैठे ही अपना डाटा अपडेट कर सकेंगे। इसमें जन्म से मृत्यु तक की तारीख दर्ज होगी।

फायदा क्या होगा

जानकारों का मानना है कि अगर केंद्र सरकार की यह योजना उम्मीदों पर खरी उतरी तो बड़े पैमाने पर इसका परिणाम देखने को मिलेगा। फिर क्षेत्र विशेष के आधार पर योजनाएं बनाकर उनको क्रियान्वित किया जाएगा। इसके अलावा चुनाव के वक्त सभी को मतदान का अधिकार मिल सकेगा। अभी तक हर बार चुनाव में बड़ी तादाद में वोटर के नाम कटने की शिकायतें आती हैं। दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि नाम और एड्रेस में बदलाव करने के लिए या वोटर आईडी कार्ड बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर काटना नहीं पड़ेगा।

कब तक होगी जनगणना?

जनगणना का काम वैसे तो 1 मार्च 2021 तक पूरा हो जाना था। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तो यह 1 अक्टूबर 2020 तक जनगणना होनी थी. - जनगणना के लिए घरों की लिस्टिंग और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने का काम 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 के बीच होना था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण ये नहीं हो सका।

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