National Interest on TV: चैनलवालों को अब महीने में 15 घंटे राष्ट्रहित का कंटेंट दिखाना होगा

National Interest on TV: कुछ विषयों के आधार पर निजी प्रसारकों के लिए हर दिन 30 मिनट के लिए सार्वजनिक सेवा प्रसारण करने की आवश्यकता शामिल की गयी थी।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2023-01-31 04:41 GMT

National Interest content on tv (photo: social media )

National Interest on TV: देश में मार्च 2023 से सभी निजी टेलीविजन चैनलों को हर महीने 15 घंटे राष्ट्रीय हित की सामग्री प्रसारित करनी होगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस आशय का एक विस्तृत परामर्श जारी किया है।

सरकार के दिशा निर्देश

मंत्रालय ने कहा है कि टेलीविजन चैनलों के अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए हाल के दिशा-निर्देशों में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा दिए गए कुछ विषयों के आधार पर निजी प्रसारकों के लिए हर दिन 30 मिनट के लिए सार्वजनिक सेवा प्रसारण करने की आवश्यकता शामिल की गयी थी। इस संबंध में मंत्रालय ने निजी प्रसारकों और उनके संगठनों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया। उनके इनपुट के आधार पर 30 जनवरी को एक सलाह जारी की गई।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में राष्ट्रीय हित की सामग्री को एम्बेड यानी शामिल किया जा सकता है, और यह कोई जरूरी नहीं है कि ये सामग्री लगातार 30 मिनट की हो। बल्कि सार्वजनिक सेवा प्रसारण को छोटे समय स्लॉट में विभाजित किया जा सकता है। लेकिन ये सामग्री आधी रात से सुबह 6 बजे तक प्रसारित नहीं की जा सकती। मतलब ये हुआ कि टीवी चैनल छोटे छोटे अंश में राष्ट्रीय हित की सामग्री दिखा सकेंगे और ये कम उन्हें सूबा 6 बजे से रात 12 बजे के बीच करना होगा।

रिकार्ड भी रखना होगा

प्रसारकों को 90 दिनों की अवधि के लिए प्रसारित होने वाली सामग्री का रिकॉर्ड रखना भी आवश्यक है। मंत्रालय की एडवाइजरी में कहा गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर 90 दिनों की अवधि के लिए प्रसारित होने वाली सामग्री का रिकॉर्ड रखेगा। प्रसारकों को प्रसारण सेवा पोर्टल पर एक मासिक रिपोर्ट ऑनलाइन जमा करनी होगी। सामग्री को प्रसारकों के बीच साझा किया जा सकता है और एक या कई चैनलों पर दोबारा प्रसारण की भी अनुमति है। वास्तव में, इस उद्देश्य के लिए प्रासंगिक वीडियो या पाठ्य सामग्री का एक डिजिटल भंडार विकसित किया जा सकता है। जिसे टीवी चैनलों द्वारा एक्सेस और उपयोग किया जा सकता है।

आठ विषय गिनाये

मंत्रालय ने अपलिंकिंग/डाउनलिंकिंग नीति दस्तावेज़ में शामिल आठ विषयों को भी जोड़ा है - शिक्षा और साक्षरता, कृषि और ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिलाओं का कल्याण, समाज के कमजोर वर्गों का कल्याण, पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और राष्ट्रीय एकीकरण।

निर्धारित विषयों का दायरा भी बढ़ाया गया है। एडवाइजरी में कहा गया है कि नीतिगत दिशानिर्देशों के खंड 35 के तहत दिए गए राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक प्रासंगिकता के विषयों की सूची सांकेतिक है और राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक प्रासंगिकता जैसे जल संरक्षण, आपदा प्रबंधन आदि के समान विषयों को शामिल करने के लिए इसका विस्तार किया जा सकता है।

सभी चैनलों पर लागू

यह शर्त सभी चैनलों पर लागू होती है, सिवाय उनके जिन्हें विशेष रूप से छूट के रूप में वर्णित किया गया है, जहां यह व्यवहार्य नहीं हो सकता है। इनमें खेल चैनलों के मामले में सीधा प्रसारण के अलावा वन्यजीव चैनल और विदेशी चैनल शामिल हैं।

12 घंटे से अधिक भक्ति/आध्यात्मिक/योग सामग्री प्रसारित करने वाले चैनलों को मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने से छूट दी गई है। अधिकारियों ने कहा कि नियमों का पालन नहीं करने वाले चैनलों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। सरकार के अनुसार, इस कदम के पीछे तर्क यह है कि एयरवेव्स सार्वजनिक संपत्ति हैं और समाज के सर्वोत्तम हित में इसका उपयोग करने की आवश्यकता है। हालांकि, कई ब्रॉडकास्टरों के प्रतिनिधियों ने बताया था कि हालांकि एयरवेव्स सार्वजनिक संपत्ति हो सकती हैं, लेकिन उन्होंने उनके उपयोग के लिए भारी शुल्क का भुगतान किया था, और कोई भी बाध्यकारी दिशानिर्देश उनके व्यावसायिक हितों को प्रभावित कर सकता है।

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