ओबीसी जातियों की होगा देशव्यापी सर्वे, जानिए क्या है वजह

देश में अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) में शामिल जातियों की अलग-अलग अनुमानित जनसंख्या जानने के लिए सर्वे होगा। केंद्र की सूची में शामिल ओबीसी जातियों के वर्गीकरण के लिए जांच कर रहे सेवानिवृत्त न्यायाधीश जी. रोहिणी की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यों के आयोग ने यह निर्णय लिया है।

Update: 2018-12-31 08:47 GMT

नई दिल्ली: देश में अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) में शामिल जातियों की अलग-अलग अनुमानित जनसंख्या जानने के लिए सर्वे होगा। केंद्र की सूची में शामिल ओबीसी जातियों के वर्गीकरण के लिए जांच कर रहे सेवानिवृत्त न्यायाधीश जी. रोहिणी की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यों के आयोग ने यह निर्णय लिया है। ताकि जातिवार आबादी के आंकड़े जुटाए जा सकें और उसने इसके लिए केंद्र से बजट भी मांगा है।

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सर्वे के लिए 200 करोड़ के बजट की मांग

इसके लिए सरकार से 200 करोड़ रुपए से अधिक का अलग से बजट मांगा है। इसके लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को पत्र लिखा गया है। इस समिति का गठन ओबीसी आरक्षण के समान बंटवारे के लिए मानदंड तय करने का सुझाव देने के लिये किया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 नवंबर को आयोग का कार्यकाल 31 मई 2019 तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी थी।

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ओबीसी सूची में करीब 2600 जातियां

रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस रोहिणी ने अपने पत्र में कहा है कि केंद्रीय ओबीसी सूची में करीब 2600 जातियां शामिल हैं। इनमें से कुछ की आबादी काफी कम है, लेकिन यह भौगोलिक रूप से काफी फैली हुई है। इसलिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सभी जिले शामिल करते सर्वे करवाया जाना जरूरी है।

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आयोग का कार्यकाल 31 मई 2019 तक बढ़ा

ओबीसी जातियों के वर्गीकरण के लिए उनकी अनुमानित जनसंख्या के साथ प्रत्येक जाति के लोगों के शैक्षणिक स्तर और रोजगार की स्थिति का भी पता लगाया जाएगा। यह सारी जानकारी जुटाने के लिए करीब दस लाख घरों का सर्वे किया जाएगा। गौरतलब है कि इस आयोग का गठन अक्टूबर, 2017 में किया गया था। आयोग को दस सप्ताह में रिपोर्ट देनी थी लेकिन कार्यकाल चार बार बढ़ाकर अब 31 मई 2019 किया जा चुका है।

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