किसान का बेटा बना IAS, ज्योतिषी ने कहा था तुम्हारे हाथों में विद्या की रेखा नहीं है

नवजीवन विजय पवार से एक ज्योतिषी ने कहा था कि वह कभी भी आईएएस नहीं बन सकते।ये बात उन्हें इतनी चुभी कि उन्होंने ठान लिया कि वह अपनी हाथों की लकीर खुद बदलेंगे। हालांकि, ये सफर आसान नहीं था।

Update: 2019-12-21 09:35 GMT

मुंबई: कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने की ठान लें तो जीवन में कुछ भी हासिल करना मुश्किल नहीं है। नवजीवन विजय पवार भी ऐसे ही लोगों में से एक हैं। एक ज्योतिषी ने उनसे कहा था कि वह कभी भी आईएएस नहीं बन सकते।

ये बात उन्हें इतनी चुभी कि उन्होंने ठान लिया कि वह अपनी हाथों की लकीर खुद बदलेंगे। हालांकि, ये सफर आसान नहीं था। इस दौरान उन्हें डेंगू से लेकर डायरिया जैसी बीमारियों से भी लड़ना पड़ा। आखिर में उन्होंने अपनी तकदीर लिख डाली और यूपीएससी 2018 में 316वीं रैंक हासिल कर सपने को साकार कर डाला।

पहले अटेंप्ट में आईएएस बनें नवजीवन ने बताया कि- मैंने 2017 में मैंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। इस साल मैंने पहला अटेंप्ट दिया। प्रीलिम्स में सफलता हासिल की।

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नवजीवन पवार का सफर

नवजीवन विजय पवार महाराष्ट्र से हैं। उनके पिता किसान और मां टीचर हैं। वे बचपन से ही पढ़ाई में अच्छेा थे. उन्होंनने स्कूषली एजुकेशन पूरी करने के बाद सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी करने का ठान लिया।

दिल्ली में आकर शुरू की तैयारी

नवजीवन यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली आ गए। यहां आकर उन्होंीने पढ़ाई शुरू कर दी, लेकिन यहां नवजीवन ने तैयारी के लिए किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया. वो सेल्फ स्टडी पर ज्यादा फोकस करते थे. यहां रहकर उन्होंैने पढ़ाई शुरू की।

मेन्सउ एग्जानम में हुआ डेंगूनवजीवन ने एक इंटरव्यूं में बताया, मेन्स एग्जाम के एक महीने पहले मुझे तेज बुखार और शरीर में दर्द होने लगा। अस्पताल गए तो पता चला मुझे डेंगू हो गया है। मैं घर गया तो तुरंत अस्पताल में भर्ती कर दिया गया. अस्पताल में एक हाथ पर डॉक्टर इंजेक्शन लगा रहे थे और दूसरे हाथ में किताब थी।

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फिर शुरू की तैयारी

15 दिनों बाद जब नवजीवन को डेंगू से आराम मिला तो वापस लौटकर दिल्लीो आए लेकिन अबकी बार वे काफी डिप्रेस हो चुके थे. वो काफी परेशान थे तब उनके दोस्तव ने उन्हेंय हिम्मित बंधाई।

18 में मिली सफलता

आखिरकार साल 2018 में नवजीवन की मेहनत रंग लाई. उन्होंंने यूपीएससी की परीक्षा क्रैक कर 316वीं रैंक हासिल की थी।

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