DY Chandrachud: ‘मैं 24 साल से जज हूं, मैंने सरकार के दबाव....’, पॉलिटिकल प्रेशर के प्रश्न पर CJI का बड़ा बयान

DY Chandrachud: इस महीने की शुरुआत में ऑक्सफोर्ड यूनियन द्वारा आयोजित एक प्रश्नोत्तर सत्र में सीजेआई से "न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव, विशेष रूप से पिछले कुछ वर्षों में" के बारे में पूछा गया था।

Newstrack :  Network
Update: 2024-06-27 09:51 GMT

CJI DY Chandrachud (सोशल मीडिया) 

CJI DY Chandrachud: जब भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ से एक कार्यक्रम में यह पूछो गया कि आप पर कभी किसी केस को लेकर पॉलिटिकल प्रेशर पड़ है, तो इस पर उन्होंने वह जबाव दिया, जिसको देश हर कानूनी जानकारों को जानना चाहिए। भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ ने हाल ही में कहा कि न्यायाधीश के रूप में अपने 24 साल के लंबे कार्यकाल में उन्हें कभी भी किसी सरकार से राजनीतिक दबाव का सामना नहीं करना पड़ा।

ऑक्सफोर्ड यूनियन के प्रश्नोतर सत्र में बोले CJI

इस महीने की शुरुआत में ऑक्सफोर्ड यूनियन द्वारा आयोजित एक प्रश्नोत्तर सत्र में सीजेआई से "न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव, विशेष रूप से पिछले कुछ वर्षों में" के बारे में पूछा गया था। इस पर सीजेआई ने कहा कि राजनीतिक दबाव अगर आप मुझसे सरकार के दबाव के अर्थ में पूछें, तो मैं आपको बताऊंगा कि 24 वर्षों में जब से मैं न्यायाधीश बना हूं, मुझे कभी भी सत्ता में बैठे लोगों से राजनीतिक दबाव का सामना नहीं करना पड़ा। सीजेआई ने कहा कि भारत में परंपराओं के अनुसार, न्यायाधीश सरकार की राजनीतिक शाखा से अलग-थलग जीवन जीते हैं।

न्यायाधीश राजनीतिक परिणामों के प्रति सचेत रहते

सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीश अक्सर अपने निर्णयों के संभावित राजनीतिक परिणामों के प्रति सचेत रहते हैं। यदि आप "राजनीतिक दबाव" का अर्थ व्यापक अर्थ में लेते हैं, जिसमें न्यायाधीश को किसी निर्णय के प्रभाव का एहसास होता है, जिसका राजनीतिक प्रभाव हो सकता है, तो जाहिर है न्यायाधीशों को संवैधानिक मामलों पर निर्णय लेते समय व्यापक रूप से राजनीति पर अपने निर्णयों के प्रभाव से परिचित होना चाहिए। मेरा मानना है कि यह राजनीतिक दबाव नहीं है। उन्होंने कहा कि यह न्यायालय द्वारा निर्णय के संभावित प्रभाव की समझ है, जिसे न्यायाधीश को अपने विचार में आवश्यक रूप से शामिल करना चाहिए।

‘सामाजिक दबाव’ पर ये बोले मुख्य न्यायाधीश

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने ‘सामाजिक दबाव’ के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि इस अर्थ में कि न्यायाधीश अक्सर अपने निर्णयों के सामाजिक प्रभाव के बारे में सोचते हैं। हमारे द्वारा तय किए गए कई मामलों में गहन सामाजिक प्रभाव शामिल होते हैं। न्यायाधीशों के रूप में मेरा मानना है कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने निर्णयों के सामाजिक व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव से अवगत रहें, जिसे हम अंततः प्रभावित करने जा रहे हैं।

न्यायपालिका के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी

उन्होंने कहा कि भारत की अदालतों में बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए जा रहे हैं, जो न्यायपालिका में जनता के विश्वास के स्तर का सूचक है। हालांकि, व्यवस्था में जनता का भरोसा बढ़ाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इसे हासिल करने का सबसे अच्छा तरीका न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है। "हम न्यायपालिका में जनता का भरोसा मजबूत करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं और हम बहुत कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं। सबसे अच्छा तरीका है कि अदालतें पारदर्शी हों और लोगों के प्रति जवाबदेह हों।

Tags:    

Similar News