पीएम मोदी का बड़ा फैसला: रेलवे में होगा ये बदलाव, पड़ेगा कर्मचारियों पर असर
पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में रेलवे को लेकर ऐतिहासिक फैसले लिए गए। जिसमें सरकार ने रेलवे बोर्ड और रेलवे की 8 अलग-अलग सर्विसों का पुनर्गठन किया है
नई दिल्ली: पूरा देश इस समय कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी से जूझ रहा है। देश में इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। लेकिन दूसरी ओर से इस वायरस की वजह से अब तक बंद पड़ी सुविधाओं व सेवाओं को पुन: शुरू करने में लगा है। इस बीच सरकार की ओर से अब एक और बड़ा फैसला रेलवे से जुड़ा लिया गया है।
पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में रेलवे को लेकर कुछ बड़े और ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं। इसके तहत सरकार ने रेलवे बोर्ड और रेलवे की 8 अलग-अलग सर्विसों का पुनर्गठन कर दिया है। अब इस फैसले के बाद रेलवे बोर्ड के चेयरमैन आधिकारिक रूप से CEO की तरह काम करेंगे। वहीं एख ओर जहां देश में बेरोजगारी बढ़ रही है वहीं सरकार ने रेलवे बोर्ड मेंबरों की तीन पोस्ट ख़त्म कर दी गई हैं। यानी कि अब बोर्ड में चेयरमैन कम सीईओ के साथ सिर्फ 4 रेलवे बोर्ड मेंबर ही काम करेंगे।
बदल गया रेलवे बोर्ड
सरकार के इन नए बड़े फैसलों के बाद अब रेलवे बोर्ड का पूरा का पूरा रूप ही बदल गया है। गौरतलब है कि रेल मंत्री के बाद रेलवे का सबसे बड़ा अधिकारी रेलवे बोर्ड का चेयरमैन (सीआरबी) होता है। अब तक सीआरबी के साथ बोर्ड में 7 मेंबर होते थे। लेकिन सरकार के इस नए फैसले के बाद अब रेलवे के इस बोर्ड को छोटा कर दिया गया है।
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इसके तहत रेलवे की 3 बड़ी पोस्ट को अब खत्म कर दिया गया है। इसके साथ ही 27 जनरल मैनेजरों की स्केल को बढ़ा कर बोर्ड मेम्बरों के लगभग समकक्ष कर दिया गया है। आपको बते दें कि रेलवे बोर्ड सीआरबी और मेंबरों को मिला कर ही बनता है। साथ ही रेलवे के सभी बड़े फैसले रेल मंत्री की निगरानी में रेलवे बोर्ड ही लेता है। लेकिन अब सरकार के इस नए फैसले के बाद रेलवे बोर्ड का स्वरूप ही छोटा हो गया है।
इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस का गठन
इसके अलावा सरकार ने कुछ और भी परिवर्तन किए हैं। जिसके तहत सरकार ने इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस का गठन किया है। अभी तक भारतीय रेलवे के अलग-अलग कामों के लिए यानी अलग-अलग डिपार्टमेंट के लिए अब तक 8 अलग-अलग परीक्षाएं (ग्रुप सर्विस) होती थीं। जिसे पास कर कर्मचारी एक ही डिपार्टमेंट में काम करते थे। ऐसे में रेलवे के बड़े पदों के लिए इन डिपार्टमेंटों में मनमुटाव बना ही रहता था, जो एक बड़ी समस्या थी. नई रीस्ट्रकक्चरिंग में अब इन 8 ग्रुप सर्विसेज़ को एक साथ मर्ज कर के इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस (आईआरएमएस) नाम की एक नई ग्रुप ए सेंट्रल सर्विस का गठन किया गया है। इसका मतलब है कि अब उन आठों सर्विसेज़ के स्थान पर अकेली इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस काम करेगी।
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वहीं सरकार ने अब इंडियन रेलवे मेडिकल सर्विस का नाम भी परिवर्तित क दिया है। अब इसको बदल कर इंडियन रेलवे हेल्थ सर्विस कर दिया है। अब तक रेलवे में अलग अलग सर्विस ग्रुप से आए अधिकारियों में अच्छी पोस्टिंग आदि को लेकर कानूनी और आंतरिक लड़ाइयां चलती रहती थीं। यहां तक कि अगर किसी मैकेनिकल सर्विस ग्रुप के व्यक्ति को उसकी क़ाबिलियत के कारण किसी खास पोस्ट पर बैठाया गया तो इलेक्ट्रिकल या अन्य ग्रुप सर्विस के अधिकारी दूसरी ग्रुप सर्विस के अधिकारियों पर पक्षपात का आरोप लगाते थे। अब रेलवे की सभी ग्रुप सर्विसों के मर्जर से ये असंतोष ख़त्म हो जाएगा और काम काज में स्पष्टता आएगी।
अब परफॉर्मेंस के आधार पर होगा प्रमोशन, मिलेगा काम
इस बीच सरकार ने रेलवे में काम करने वालों को कुछ झटका भी दिया है। अभी तक रेलवे अधिकारियों को मिलने वाले काम, असाइनमेंट और सम्बंधित पोस्ट उनकी वरिष्ठता और उनके ग्रुप सर्विस के कोटे के आधार पर होती थीं। साथ ही प्रमोशन भी सिनियोरित्य और कोटा के आधार पर ही होता था। लेकिन मर्जर के बाद अब सभी अधिकारियों का प्रमोशन उनकी क्षमता और परफार्मेंस के आधार पर होगा। इसी आधार पर उन्हें काम भी दिया जाएगा। इससे सभी को सामान अवसर प्राप्त हो सकेंगे।
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रेलवे के नए अधिकारियों को अब उनकी लम्बी सर्विस के दौरान एक विशेष क्षेत्र का विशेषज्ञ बनाया जाएगा। साथ ही रेलवे के सभी कामों के प्रति उनका एक ज़रूरी नज़रिया विकसित करने पर ज़ोर दिया जाएगा। इसका फ़ायदा ये होगा कि एक स्तर के किसी भी सीनियर अधिकारी को मैनेजमेंट स्तर की ज़िम्मेदारी उसकी क्षमता के मानकों के आधार पर दी जा सकेगी। यूपीएससी लेगी इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस की परीक्षा-8 अलग ग्रुप सर्विस को एक सर्विस में मर्ज किए जाने के बाद अब नए सिरे से होने वाली परीक्षाओं और अन्य मामलों को देखने के लिए रेलवे यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन और डीओपीटी साथ मिल कर साझा प्रयास कर रहे हैं।