भारत ने रखी शर्त: चीन को करना होगा ये काम, वरना LAC पर मिलेगी लताड़
भारत और चीन के बीच सोमवार को लंबी बातचीत हुई। कोर कमांडर स्तर की करीब 12 घंटे से ज्यादा समय तक चली इस बातचीत के दौरान भारत ने चीन के सामने कड़ी शर्ते रखीं।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच सोमवार को लंबी बातचीत हुई। कोर कमांडर स्तर की करीब 12 घंटे से ज्यादा समय तक चली इस बातचीत के दौरान भारत ने चीन के सामने कड़ी शर्ते रखीं। भारत ने कहा कि चीन को पैंगोंग झील और डेपसांग सहित सभी तनावग्रस्त जगहों से अपने सैनिक हटाने होंगे। भारत ने जोर देकर कहा कि चीन की सेना ने भारतीय जमीन पर घुसपैठ का प्रयास किया है और इसलिए उसे पीछे हटकर सीमा विवाद को सुसझाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
भारत की मजबूती से बौखलाया है चीन
पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाने वाली चोटियों पर भारतीय सैनिकों के कब्जे से चीन पहले ही बौखलाया हुआ है। चीनी पक्ष का कहना था कि भारतीय सेना को इन इलाकों से पहले हटना चाहिए। दोनों पक्ष इस बात पर रजामंद दिखे कि बातचीत जारी रखते हुए दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ाया जा सकता है और अप्रैल से पहले की यथास्थिति कायम रखने में कामयाबी पाई जा सकती है।
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जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच मंगलवार को फिर बातचीत हो सकती है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच 10 सितंबर को हुई मुलाकात के बाद इस बातचीत की पृष्ठभूमि तैयार हुई थी। भारत और चीन के बीच सोमवार को सुबह नौ बजे शुरू हुई बातचीत रात नौ बजे के कुछ समय बाद तक जारी रही। यह बातचीत चुशूल इलाके में एलएसी के उस पार चीन की तरफ मोल्डो में हुई।
तनातनी वाली जगहों से हटना होगा पीछे
भारतीय पक्ष का नेतृत्व लद्दाख कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरेंद्र सिंह ने किया। चीन की ओर से उनके समकक्ष बातचीत के लिए मौजूद थे। पहली बार बातचीत में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी) नवीन श्रीवास्तव भी शामिल हुए। भारत की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन भी बातचीत में शामिल थे। जानकारों के मुताबिक हरेंद्र सिंह का कार्यकाल समाप्त होने वाला है और उनके बाद मेनन ही 14वीं कोर के कमांडर होंगे।
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सूत्रों के मुताबिक भारतीय पक्ष ने चीनी सेना से तनातनी वाली सभी जगहों से जल्द से जल्द पूरी तरह हटने के लिए कहा। भारतीय पक्ष की ओर से 5 सूत्रीय बिंदुओं पर सहमति बनाने पर भी जोर दिया गया। भारतीय पक्ष का कहना था कि चीन की ओर से तय समय सीमा के भीतर कदम उठाए जाने चाहिए ताकि चार महीने से ज्यादा समय से पूर्वी लद्दाख में चल रहे गतिरोध को जल्द से जल्द समाप्त किया जा सके।
अब चीन के कदमों पर टिकी नजर
हालांकि अभी तक भारत की ओर से इस बातचीत के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है। मगर सूत्रों के मुताबिक चीन की ओर से भी 5 सूत्रीय कार्यक्रम के प्रति सकारात्मक रुख दिखाया गया है। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि बातचीत को जारी रखते हुए विश्वास बहाली के साथ ही अप्रैल की स्थिति कायम की जा सकती है। दोनों पक्ष आगे भी बातचीत जारी रखकर विवाद को सुलझाने के लिए दिशा में सहमत दिखे।
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दोनों पक्षों की बातचीत के बाद कूटनीतिक बातचीत के रास्ते नए सिरे से खुलने की संभावना दिख रही है। अब हर किसी की नजर दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत के बाद चीन की ओर से उठाए जाने वाले कदमों पर टिकी है। वैसे पहले हुई बातचीत में तय किए गए बिंदुओं पर चीन की ओर से कोई कदम न उठाए जाने के कारण दोनों देशों के बीच गतिरोध खत्म नहीं हो पा रहा है।