New Year 2023: कैसा होगा PM मोदी और राहुल का नया साल, नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव करेंगे फैसला
New Year 2023: आने वाला साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी दोनों के लिए सियासी नजरिए से काफी अहम साबित होगा।
New Year 2023: 2022 का साल बीतने में अब दो दिन ही शेष रह गए हैं और अब सबकी निगाहें 2023 पर लगी हैं। हर किसी की दिलचस्पी नए साल में अपने भविष्य को लेकर होती है और यदि राष्ट्रीय राजनीति के नजरिए से देखा जाए तो आने वाला साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ( Congress Leader Rahul Gandhi) दोनों के लिए सियासी नजरिए से काफी अहम साबित होगा। अगले साल नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं और इन चुनावों के नतीजे काफी अहम साबित होंगे। इन चुनावों से निकलने वाला संदेश 2024 में होने वाली सबसे बड़ी सियासी जंग पर भी असर डालने वाला साबित होगा।
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजों से यह पता लगेगा कि भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राहुल अपनी सियासी ताकत बढ़ाने में कहां तक कामयाब हो पाए हैं। चुनाव के नतीजों से इस बात का भी खुलासा होगा कि देश के मतदाताओं पर अभी भी प्रधानमंत्री मोदी की पकड़ बरकरार है या ढीली पड़ चुकी है। सियासी जानकारों का मानना है कि 2023 का साल प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी दोनों की भविष्य की सियासत के लिए काफी अहम साबित होगा।
इन राज्यों के चुनाव पर सबकी निगाहें
2022 के आखिरी महीने में हुए चुनाव में जहां गुजरात में पीएम मोदी एक बार फिर अपना जादू साबित करने में कामयाब हुए वहीं दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में कामयाबी पाई। दिल्ली एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 15 वर्षों से काबिज भाजपा को पछाड़ते हुए अपनी ताकत दिखा दी। इससे पूर्व साल के शुरुआती दौर में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव हुए थे। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में भाजपा ने अपनी ताकत दिखाते हुए जीत हासिल की थी जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ था।
अब सबकी निगाहें 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर लगी हुए हैं। 2024 की सियासी जंग से पहले नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा है। 2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों के कारण अगला साल सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
चुनावी राज्यों में दोनों दलों का हाल
मध्यप्रदेश और राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव से उत्तर भारत के सियासी मूड का पता चलेगा। मौजूदा समय में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं जबकि मध्यप्रदेश में कमलनाथ को सत्ता से बेदखल करके भाजपा काबिज हो गई थी। राजस्थान में हर पांच साल सत्ता बदलने की परंपरा रही है और हाल के दिनों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच टकराव ने कांग्रेस को मुश्किल में डाल रखा है। दूसरी ओर भाजपा भी गुटबाजी की समस्या से जूझ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे खुद को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने के लिए दबाव डालने में जुटी हुई है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच खींचतान चल रही है। भाजपा भी यहां गुटबाजी से अछूती नहीं है। मध्य प्रदेश में भी दोनों दलों में खींचतान की खबरें बाहर आती रही हैं। इन तीन राज्यों के चुनावी नतीजे उत्तर भारत का नैरेटिव सेट करने वाले साबित होंगे।
दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर से निकलेगा संदेश
कर्नाटक दक्षिण भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां मौजूदा समय में भाजपा की सत्ता है। राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सबको साधने की कोशिश में अभी तक नाकाम साबित होते दिख रहे हैं। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा से उनकी अभी तक बेहतर ट्यूनिंग नहीं बैठ पाई है। रेड्डी बंधुओं के अलग होकर नई पार्टी बनाने से भी भाजपा की सियासी संभावनाओं पर ग्रहण लगा है। दूसरी ओर कांग्रेस में भी शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच टकराव चलता दिख रहा है। कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का ताल्लुक भी कर्नाटक से है। इसलिए कर्नाटक कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
तेलंगाना में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ( केसीआर) और भाजपा के बीच जबर्दस्त जोर आजमाइश चल रही है। भाजपा और केसीआर की पार्टी बीआरएस की ओर से जोरदार तैयारियां की जा रही हैं जबकि कांग्रेस इस मामले में पिछड़ती हुई दिख रही है। भाजपा के शीर्ष नेता लगातार कर्नाटक और तेलंगाना का दौरा करने में जुटे हुए हैं ताकि पार्टी दक्षिण भारत में अपनी ताकत दिखा सके।
यदि पूर्वोत्तर के राज्यों की बात की जाए तो भाजपा पूर्वोत्तर में पैर जमाने में कामयाब हुई है जबकि कांग्रेस की पकड़ लगातार कमजोर पड़ती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के राज्यों पर विशेष फोकस कर रखा है। ऐसे में त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में भाजपा और क्षेत्रीय दलों से जूझना कांग्रेस के लिए आसान साबित नहीं होगा।
नतीजे पीएम मोदी और राहुल के लिए अहम
इन चुनावों के मद्देनजर आने वाला साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। यदि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को कामयाबी मिली तो इसका श्रेय निश्चित रूप से राहुल गांधी की अगुवाई में निकली भारत जोड़ो यात्रा को दिया जाएगा।
चुनाव नतीजों से यह भी पता चलेगा कि मतदाताओं पर नरेंद्र मोदी का जादू अभी बरकरार है या उनकी पकड़ कमजोर पड़ चुकी है। इसके साथ ही इन चुनाव नतीजों का 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी बड़ा असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।