Mission 2024: क्षेत्रीय दलों की ताकत के हिसाब से सीट शेयरिंग के पक्ष में है जदयू, INDIA गठबंधन की बैठक में नीतीश करेंगे वकालत

Mission 2024: INDIA गठबंधन की बैठक के दौरान जदयू की ओर से विभिन्न राज्यों में दलों की ताकत के हिसाब से सीट बंटवारे की बात रखी जाएगी।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-12-18 10:58 IST

INDIA alliance meeting  (photo: social media )

Mission 2024: पांच राज्यों का विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब विपक्षी दल लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की कल राजधानी दिल्ली में बैठक होने वाली है और विपक्षी नेताओं को इस बैठक से काफी उम्मीदें हैं। इस बैठक के दौरान जदयू की ओर से विभिन्न राज्यों में दलों की ताकत के हिसाब से सीट बंटवारे की बात रखी जाएगी।

माना जा रहा है कि जदयू की ओर से बैठक में हिस्सा लेने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी का यह पक्ष बैठक में सभी विपक्षी नेताओं के सामने रखेंगे। अब यह देखने वाली बात होगी कि नीतीश कुमार की ओर से उठाए जाने वाले इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के बीच कहां तक सहमति बन पाती है।

क्षेत्रीय दलों को ताकत के हिसाब से सीटें दी जाएं

इंडिया गठबंधन की बैठक के दौरान जदयू का प्रतिनिधित्व नीतीश कुमार के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह करेंगे। दोनों नेता आज दिल्ली रवाना होने वाले हैं। जदयू से जुड़े हुए सूत्रों का कहना है कि पार्टी की ओर से बैठक में यह बात रखी जाएगी कि विभिन्न प्रदेशों में जिस दल की जितनी ताकत है, उसके हिसाब से सीटें उस दल को दी जाएं।

इसके लिए पार्टी की ओर से पूर्व के आम चुनाव में पाए गए वोटो के प्रतिशत को आधार बनाने की बात रखी जा सकती है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया व पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से भी क्षेत्रीय दलों को महत्व देने की बात कही जा रही है। कांग्रेस ने अभी तक इस मुद्दे पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इसलिए बैठक के दौरान इस मुद्दे पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।

जदयू को मिल सकता है सियासी फायदा

यदि 2019 में मिले वोटो के प्रतिशत को आधार बनाया गया तो बिहार में जदयू को सियासी फायदा हो सकता है। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जदयू को 21.81 प्रतिशत वोट मिले थे। वोट प्रतिशत के मामले में जदयू दूसरे नंबर पर था। 2019 के चुनाव के दौरान बिहार में सबसे ज्यादा वोट भाजपा के खाते में गए थे। पार्टी ने 23.58 प्रतिशत वोट हासिल किए थे मगर उसके वोट प्रतिशत में 5.82 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।

2019 के चुनाव में जदयू के वोट प्रतिशत में 6.61 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। यदि लालू की पार्टी राजद की बात की जाए तो राजद के हिस्से में 15.86 प्रतिशत वाेट आए थे। यह अलग बात है कि राजद को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। उसके वोट प्रतिशत में 4.70 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई थी।

बिहार में कांग्रेस की स्थिति काफी खराब रही थी और पार्टी को 10 प्रतिशत वोट भी नहीं मिले थे। कांग्रेस ने 7.70 वोट प्रतिशत के साथ लोकसभा की एक सीट पर जीत हासिल की थी।

कई दिग्गजों को होना पड़ सकता है निराश

बिहार के सियासी जानकारों का मानना है कि अगर जदयू ओर से वोट प्रतिशत को आधार बनाने की बात रखी जाती है तो विपक्ष के कई सियासी दिग्गजों को निराशा का सामना करना पड़ेगा। इसका कारण यह है कि जब 2019 के चुनाव में एनडीए और विपक्षी गठबंधन के बीच मुकाबला हुआ था तो इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के कई नेता विभिन्न सीटों पर आमने-सामने थे।

वाल्मीकि नगर सीट पर जदयू और कांग्रेस के बीच मुकाबला हुआ था जिसमें जदयू को जीत हासिल हुई थी। वैसे जदयू इस सीट को अपनी परंपरागत सीट मानता रहा है। इसी तरह कटिहार लोकसभा सीट पर भी जदयू और कांग्रेस के बीच मुकाबला हुआ था जिसमें जदयू को जीत हासिल हुई थी। किशनगंज सीट पर कांग्रेस और जदयू के बीच मुकाबला हुआ था जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।

विपक्ष में सीट शेयरिंग सबसे मुश्किल काम

विपक्षी दलों के गठबंधन सबसे मुश्किल काम सीट शेयरिंग का माना जा रहा है। इंडिया गठबंधन की अभी तक तीन बैठकें हो चुकी हैं मगर अभी तक सीट शेयरिंग पर कोई चर्चा नहीं हुई है। अब जबकि लोकसभा चुनाव काफी नजदीक आ गया है तो इस कारण सीट शेयरिंग पर चर्चा जरूरी मानी जा रही है।

कांग्रेस विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करके खुद ड्राइविंग सीट हासिल करने की कोशिश में जुटी हुई थी मगर तीन हिंदी भाषी राज्यों में पार्टी को मिली हार के बाद अब कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से अपनी शर्तें मनवाने की स्थिति में नहीं दिख रही है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि जदयू की ओर से रखे जाने वाले आधार पर इंडिया गठबंधन की बैठक में सहमति बन पाती है या नहीं।

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