अगरतला : त्रिपुरा में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों के गठबंधन बनाने के प्रयासों के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कहा कि तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस विधायकों को वह अपने में शामिल नहीं करेगी। भारतीय जनता पार्टी की त्रिपुरा राज्य इकाई के अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब ने संवाददाताओं से कहा, "हमारे दरवाजे तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के नौ विधायकों के लिए बंद हैं।"
उन्होंने कहा, "हमारे दरवाजे हालांकि तृणमूल के अन्य नेताओं व कार्यकताओं के लिए खुले हैं लेकिन इन नौ विधायकों के लिए नहीं।"
देब ने कहा, "पार्टी के केंद्रीय नेताओं के साथ परामर्श के दौरान हमने पहले ही तृणमूल और कांग्रेस के विधायकों की भाजपा में प्रवेश की समय सीमा 31 मई तय की थी। यह समय सीमा खत्म हो गई है और दरवाजे भी बंद हो गए हैं।"
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देब के अनुसार, कुछ तृणमूल विधायकों ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, असम के मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव और अन्य नेताओं से मुलाकात कर पार्टी में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी।
उन्होंने कहा, "त्रिपुरा में अगले विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ वाम मोर्चे को बाहर करने के लिए भाजपा में शामिल होने के उनके दृष्टिकोण से मैं व्यक्तिगत रूप से चौंक गया था।"
जनजातीय दलों के साथ चुनावी गठबंधन पर देब ने कहा कि हिमांता बिस्वा सरमा तीन जनजातीय दलों के साथ गठबंधन का मामला देख रहे हैं।
देब ने बताया, "उन्होंने आईएनपीटी (इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा), आईपीएफटी (इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) और एनसीटी (नेशनल कॉंफ्रेंस ऑफ त्रिपुरा) के नेताओं के साथ कई बैठकें की हैं।"
असम में भाजपा सरकार में वित्त, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और शिक्षा विभाग संभालने वाले सरमा भाजपा के नेतृत्व वाले कांग्रेस विरोधी गठबंधन नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलांयस (एनईडीए) के संयोजक भी हैं।
देब ने कुछ दिन पहले तृणमूल विधायक और उत्तरी त्रिपुरा में पार्टी के प्रमुख नेता विश्वबंधु सेन और कांग्रेस के विधायक एव पूर्व विपक्षी नेता रतनलाल नाथ के साथ बंद कमरे में बैठक की थी।
तृणमूल कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस के कई नेता और हजारों कार्यकर्ता हाल के दिनों में भाजपा में शामिल हुए हैं। त्रिपुरा में आठ महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
त्रिपुरा में तृणमूल के मुख्य नेता व विधायक सुदीप रॉय ने हालांकि भाजपा नेता देब की घोषणा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई।
बरमन ने कहा, "मैं देब की घोषणा पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। लेकिन, हम अगले साल विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ वाम मोर्चे को त्रिपुरा से हटाने के लिए एक 'वाम विरोधी महाजोत (गठबंधन)' बनाने को लेकर गंभीर हैं।"
तृणमूल अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के एक टेलीविजन चैनल को दिए साक्षात्कार में संकेत दिया था कि बरमन और त्रिपुरा के अन्य पार्टी के विधायक भाजपा के केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिए दिल्ली गए थे।
लेकिन, बरमन ने ममता की बात से इनकार करते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट फंड से संबंधित मामलों सहित त्रिपुरा के कुछ अन्य मुद्दों के बारे में जानकारी देने के लिए दिल्ली गए थे। मोदी की हालांकि तृणमूल नेताओं से मुलाकात नहीं हुई थी।
कांग्रेस त्रिपुरा इकाई के प्रमुख बीराजीत सिन्हा ने भी देब की घोषणा पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई। सिन्हा ने कहा, "ऐसे बयान अपरिपक्वता,बेवकूफी और हास्यास्पद होने की निशानी होते हैं।"
कांग्रेस ने हाल ही में वरिष्ठ विधायक रतनलाल नाथ पर अमित शाह सहित भाजपा के नेताओं के साथ मिलने और पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए 'कारण बताओ' नोटिस दिया था।